अश्विनी नक्षत्र : अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Ashwini Nakshatra : Ashwini Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)
वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र” है जिनमें से एक है “अश्विनी नक्षत्र” (Ashwini Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों में प्रथम स्थान पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में मेष राशि “00” से लेकर “13।20” अंश तक है। अश्विनी नक्षत्र में 2 तारें होते है। इस नक्षत्र को गण्डमूल नक्षत्रों की श्रेणी में रखा गया है। आज हम आपको अश्विनी नक्षत्र में जन्में लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतलायेंगे, पर सबसे पहले जानते है, अश्विनी नक्षत्र से जुड़ी कुछ जरुरी बातें :
अश्विनी नक्षत्र को “लघु क्षिप्र” नक्षत्र भी कहा जाता है। कालब्रुक के अनुसार अश्विनी नक्षत्र दो अश्व मुख तथा तीन तारो का समूह है। अश्विनी “चंद्र देव” की 27 पत्नियों में से एक है तथा ये प्रजापति दक्ष की पुत्री है। “अश्विनी “का अर्थ “घोड़ी या घोडी जैसी रूप वाली स्त्री” है। इसी नक्षत्र से मेष राशि और वसंत-विषुव की शुरुआत होती है।
अश्विनी नक्षत्र से जुड़े अन्य जरुरी तथ्य :
- नक्षत्र – “अश्विनी”
- अश्विनी नक्षत्र देवता – “अश्विनी कुमार”
- अश्विनी नक्षत्र स्वामी – “केतु”
- अश्विनी राशि स्वामी – “मंगल”
- अश्विनी नक्षत्र राशि – “मेष”
- अश्विनी नक्षत्र नाड़ी – “आदि”
- अश्विनी नक्षत्र योनि – “अश्व”
- अश्विनी नक्षत्र वश्य – “चतुष्पद”
- अश्विनी नक्षत्र स्वभाव – “क्षिप्र”
- अश्विनी नक्षत्र महावैर – “महिष”
- अश्विनी नक्षत्र गण – “देव”
- अश्विनी नक्षत्र तत्व – “अग्नि”
- अश्विनी नक्षत्र पंचशला वेध – “पूर्वाफाल्गुनी”
अश्विनी नक्षत्र जातक यदि राजकीय नौकरी में हो, तो सरकार इनसे बहुत खुश रहती है। यदि ये रोजगार क्षेत्र मे हो, तो उच्च लोगो से संपर्क बनाना इनका शौक होता है। यह मान-सम्मान का विशेष ख्याल रखनेवाले, निडर, वीर, जड़ी-बूटी और पारम्परिक चिकित्सा मे रुचि रखने वाले होते है। –ऋषि पराशर
अश्विनी नक्षत्र का वेद मंत्र :
।।ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो
बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम:।।
अश्विनी नक्षत्र में चार चरणें होती है। जो इस प्रकार है :
1. अश्विनी नक्षत्र प्रथम चरण : अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “मंगल देव” है तथा इस चरण पर मंगल और केतु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक साहसिक, क्रियाशील और प्रेरणादायक होते है। इस चरण के जातक माध्यम कद, छोटे हाथ और नाक वाले होते है। अश्विनी नक्षत्र के जातक की आवाज कर्कश होती है। ये परिणाम के बारे में नहीं सोचते और कार्य कर डालते है।
2. अश्विनी नक्षत्र द्वितीय चरण : अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी ‘‘शुक्र देव” है। इस चरण पर केतु, शुक्र तथा मंगल ग्रह का प्रभाव होता है। ये सावले रंग के, लम्बी नाक और चौड़े कन्धे वाले होते है। इस चरण के जातकों में अश्विनी कुमार जैसी सद्भावना अधिक होती है। ये आविष्कारी और कल्पनाओं को हकीकत में बदलने वाले होते है। ये धार्मिक, बलवान और हंसमुख होते है।
3. अश्विनी नक्षत्र तृतीय चरण : इस चरण के स्वामी “बुध ग्रह” है। इस चरण पर केतु, मंगल तथा बुध का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक विनोदी स्वभाव वाले होते है। इस चरण के जातक सुन्दर आँखों वाले, गोरे रंग और बिखरे बालों वाले होते है। इस चरण के जातक ज्ञानवान, विद्वान्, भौतिकवादी और भोजन प्रेमी होते है।
4. अश्विनी नक्षत्र चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी “चन्द्रमा” है। इस चरण पर केतु, मंगल तथा चन्द्रमा का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक छोटे कद, खुरदरे नाख़ून, कड़े रोम और सुन्दर नेत्र वाले होते है। इस चरण के जातकों में भावुकता, चेतना और सहानुभूति का समावेश होता है। इस चरण के जातक ईश्वर से डरने वाले और धार्मिक कार्य करने वाले होते है।
आइये जानते है, अश्विनी नक्षत्र के पुरुष और स्त्री जातकों के बारे में :
अश्विनी नक्षत्र के पुरुष जातक :
इस लग्न के जातक सुन्दर मुख वाले, बड़ी ललाट, बड़ी आँखें और लम्बी नाक वाले होते है। ये काफी शांत और जिद्दी स्वभाव वाले होते है। ये दूसरों की सलाह मानने वाले, सच्चा दोस्त, भरोसेमंद व्यक्ति होते है। अश्विनी नक्षत्र के पुरुष जातक अपने कार्यों को समय पर संपन्न करने वाले और अपनी बुराई नहीं सुनने वाले होते है। जीवन के 30 वर्ष की उम्र तक इन्हें अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन 30 से 55 वर्ष के बिच इनका जीवन सुखी, शांत हो जाता है। इनका विवाह 26 से 30 वर्ष के बीच हो जाता है। ये अंधविश्वास पर भरोसा नहीं करते और आधुनिकता के मार्ग पर चलते है।
अश्विनी नक्षत्र के स्त्री जातक :
इस लग्न की स्त्री जातिकाओं के सारे गुण और दोष पुरुष जातक के समान ही होते है। इनकी आँखे मछली की जैसी चमकीली होती है। इनके प्रति विपरीत लिंग वाले जल्दी आकर्षित हो जाते है। ये ईश्वर पर विश्वास करने वाली होती है। ये साफ़ मन की, आधुनिकता के मार्ग पर चलकर भी अपने से बड़ों का सम्मान करने वाली और परम्परों को मानने वाली होती है। ये प्रशासनिक कार्यों से जुड़ी होती है। इनका विवाह 23 से 26 वें वर्ष में हो जाता है। इनके दाम्पत्य जीवन में इन्हें अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Frequently Asked Questions
1. अश्विनी नक्षत्र के देवता कौन है?
अश्विनी नक्षत्र के देवता – अश्विनी कुमार है।
2. अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?
अश्विनी नक्षत्र का स्वामी ग्रह – मंगल है।
3. अश्विनी नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय कब होता है?
अश्विनी नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय – 31 वें वर्ष में होता है।
4. अश्विनी नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?
अश्विनी नक्षत्र की शुभ दिशा – दक्षिण है।
5. अश्विनी नक्षत्र का कौन सा गण है?
अश्विनी नक्षत्र का देव गण है।
6. अश्विनी नक्षत्र की योनि क्या है?
अश्विनी नक्षत्र की योनि – अश्व है।
7. अश्विनी नक्षत्र की वश्य क्या है?
अश्विनी नक्षत्र की वश्य – “चतुष्पद” है।