Chaitra Navratri 2022 Day 7: Maa Kaalratri (मां कालरात्रि ) Mantra, Aarti , Stotra
On the seventh day of Chaitra Navratri in 2022, Hindu devotees will worship Maa Kaalratri, a manifestation of Goddess Durga.
The seventh day of Navratri is sometimes referred to as Maha Saptami.
In her Kalratri form, Maa Durga has a black complexion and a fiery appearance. She is mounted on an ass and has four hands; two of them hold a torch and a sword, while the other two are depicted in positions of blessing and defence.
कालरात्रि आरती ( Maa Kaalratri Aarti )
कालरात्रि जय-जय महाकाली। काल के मुंह से बचानेवाली ।।
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा ।।
पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा ।।
खड्ग खप्पर रखनेवाली। दुष्टों का लहू चखनेवाली ।।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा ।।
सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी ।।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुख ना ।।
ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी ।।
उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली मां जिसे बचावे ।।
तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि मां तेरी जय ।।
कालरात्रि प्रार्थना मंत्र ( Maa Kaalratri Prathana Mantra )
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
कालरात्रि स्तुति मंत्र ( Maa Kaalratri Stuti Mantra )
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥कालरात्रि ध्यान मंत्र ( Maa Kaalratri Dhyan Mantra )
करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम्॥
दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम्॥
महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
कालरात्रि स्तोत्र पाठ ( Maa Kaalratri Strotr)
हीं कालरात्रि श्रीं कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥ क्लीं ह्रीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥