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चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा और इसके लाभ (Chamatkarik Shambhavi Mudra Aur Labh)

चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा और इसके लाभ (Chamatkarik Shambhavi Mudra Aur Labh)

संसार में ‘भारत’ को “योग” का जनक कहा जाता है। योग सनातन धर्म की ही देंन  है। योग में बहुत सारी मुद्राओं की चर्चा है और उन्हीं मुद्राओं में एक है चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा। इस मुद्रा को “भैरवी मुद्रा” या “शिव मुद्रा” भी कहते है। शाम्भवी मुद्रा को करने से मनुष्य न सिर्फ अपने क्रोध पर बल्कि अपने शरीर और मन पर भी नियंत्रण प्राप्त कर लेता है। इस गाइड में चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा से सम्बंधित तथ्यों को बताया गया है, जैसे की – चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा क्या है?, चमत्कारी शाम्भवी मुद्रा की शक्ति, चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा को कैसे करें? तथा, चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा से होने वाली लाभ, तो आइये शुरू करते है :

चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा क्या है ? (Chamatkari Shambhavi Mudra Kya Hai?)

शाम्भवी मुद्रा कई तरह की श्वास मुद्राओं की “एकीकृत प्रणाली” है। चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा में पारम्परिक योगों के कई ‘अंग’ तथा ‘योग सूत्र’ में पंतजलि द्वारा उल्लेखित योग भी शामिल है। इस मुद्रा से श्वास लेने की क्षमता में सुधार होता है तथा इस मुद्रा के द्वारा सांस को साधा भी जाता है। 

यह ध्यान की वह मुद्रा है जिसके द्वारा साधक बहुत ही सरलता से अपने ज्ञानेंद्रियों को सक्रिय कर लेता है। इस मुद्रा के कारण साधक कई तरह की मानसिक परेशानियों से निजात पा लेता है।   

चमत्कारी शाम्भवी मुद्रा की शक्ति (Chamatkari Shambhavi Mudra Ki Shakti) :

शाम्भवी मुद्रा एक चमत्कारिक मुद्रा है। इस मुद्रा को करने से प्रथम दिन ही शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। ऐसा इसीलिए संभव है क्योंकि इस योग मुद्रा को सही रूप से करने से साधक की स्वयं की ऊर्जा एक निश्चित दिशा की और प्रवाहित होती है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ होता है। अन्यथा, साधक की ऊर्जा विभिन्न प्रकार की संवेदी प्रतिक्रियाओं में बट जाती है। जैसे की – किसी वास्तु को कुछ समय के लिए ध्यान से देखना और फिर आँखों में थकान उत्पन्न होना और थोड़ी देर बाद पूरे शरीर से ही थका हुआ महसूस करना। किसी वस्तु पर देर तक ध्यान केंद्रित करने से मनुष्य अपनी ऊर्जा खो देते है। प्रकाश की एक किरण को देखने के लिए भी मनुष्य अपनी ऊर्जा खोते है। कुछ सुनने के लिए भी इंसान को ऊर्जा खोनी पड़ती है। चमत्कारी शाम्भवी मुद्रा को करने से साधक के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और थकान नहीं होती । 

चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा को कैसे करें ? (Chamatkari Shambhavi Mudra Ko Kaise Kare?)

आइये जान लेते है, चरणबद्ध तरीके से शाम्भवी मुद्रा को करने का सही तरीका, जो इस प्रकार है :

प्रथम चरण : सर्वप्रथम शाम्भवी मुद्रा को करने के लिए विशेष स्थान का चुनाव करें जहाँ किसी भी प्रकार की कोई भी रुकावट उत्पन्न ना हो। इसके साथ ही साधक को अभ्यास के समय का भी निर्धारण कर लेना चाहिए। 

दूसरा चरण : इस चरण में साधक को अपने सहजता के आधार पर बैठना चाहिए, जैसे की – पद्मासन, सुखासन या स्वस्तिकासन, सिद्धासन। साधक को अपनी हथेलियों को घुटने पर रखकर अपने उँगलियों को “ज्ञान मुद्रा या “चीन मुद्रा में कर लेना चाहिए । 

तीसरा चरण : इस चरण में साधक को शांति पूर्वक अपना ध्यान अपनी आज्ञा चक्र पर क्रेंद्रित करके रखना है। आज्ञा चक्र अर्थात भौहों के मध्य का भाग

चौथा चरण : इस चरण में साधक को उसके दोनों भौहें, केंद्र में मिलनेवाली दो घुमावदार रेखा के रूप में दिखेंगे। केंद्र पर ‘वीआकार की रेखा जैसी संरचना बनेगी। वी-आकार वाली रेखा के निचे के केंद्र स्थल के बिंदु पर आँखों अर्थात ध्यान को एकाग्रता से टिकाएं। यह क्रिया जब तक संभव हो करें।

पांचवां चरण : इस चरण में साधक को शुरुवात में आँखों की मांसपेशियों में खिचाव तथा दर्द का एहसास होगा। साधक को कुछ समय के लिए प्राम्भिक  स्थिति में आ जाना चाहिए और कुछ समय के लिए अपने आँखों को आराम देना चाहिए। कुछ समय के बाद वापस अभ्यास करें और कोशिश करें की अधिकतम समय के लिए ध्यान को आज्ञा चक्र पर केंद्रित किया जा सके। 

ध्यान रखने योग्य बात : अभ्यास करते समय साधक को सामान्य रूप से श्वास लेते रहना चाहिए। साधक जैसे-जैसे अपनी ध्यान साधना में लीन होता जाएगा साधक की सांसें धीमी होती जाएंगी। चमत्कारिक शाम्भवी मुद्रा, साधक को एक गहरी अवस्था में ले कर जाती है। यह आज्ञा चक्र या अजना चक्र को सक्रिय बनाती है । 

चमत्कारी शांभवी मुद्रा से होनवाली लाभ (Chamatkari Shambhavi Mudra Se Honewali Labh) :

इस चमत्कारी मुद्रा को करने से कई लाभ प्राप्त होते है, आइये जान लेते है इन लाभों के बारे में :

  • शाम्भवी मुद्रा “आज्ञा चक्र या “अजना चक्र को जगाने तथा सक्रिय करने की एक शक्तिशाली पद्द्ति है। आज्ञा चक्र, निम्न चेतना तथा उच्च चेतना को जोड़ने का केंद्र है। इस मुद्रा द्वारा ध्यान को नियंत्रित किया जाता है तथा इसे साधा भी जाता है। 
  • इस मुद्रा को करने से नेत्रों (आँखों) के स्नायुओं को मजबूत बनाया जाता है। 
  • इस मुद्रा से साधक की एकाग्रता बढ़ती है। 
  • यह मुद्रा साधक के मन तथा मस्तिष्क को शांत करता है। इसे करने से तनाव से मुक्ति मिलती है। 
  • यह मुद्रा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाती है।
  • इस मुद्रा से साधक के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है ।

Frequently Asked Questions

1. किस मुद्रा को शिव मुद्रा भी कहते है ?

शाम्भवी मुद्रा को शिव मुद्रा भी कहते है।

2. शाम्भवी मुद्रा किस चक्र को प्रभावित करता है ?

शाम्भवी मुद्रा, आज्ञा चक्र को प्रभावित करता है।

3. शाम्भवी मुद्रा में उँगलियों को कौन सी मुद्रा में रखें?

शाम्भवी मुद्रा में उँगलियों को ज्ञान मुद्रा या चीन मुद्रा में रखें।

4. शाम्भवी मुद्रा में कौन से आसान में बैठें?

शाम्भवी मुद्रा में पद्मासन, सुखासन या स्वस्तिकासन, सिद्धासन आसन में बैठें।