मन का कारक चन्द्रमा का प्रभाव (Maan ka kaarak Chandrama Ka Prabhav)
वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों में चन्द्रमा को एक मुख्य तथा भिन्न स्थान प्राप्त है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को एक स्त्री ग्रह का दर्जा प्राप्त है। जन्म कुंडली में चन्द्रमा मन तथा माता का प्रतिनिधित्व करता है। चन्द्रमा के ही शुभ और अशुभ प्रभाव से मनुष्य का मन स्थिर तथा विचलित होता है।
चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है। वैदिक ज्योतिष में चंद्र राशि को विशेष रूप से देखा जाता है और यह व्यक्ति के जन्म के समय में चन्द्रमा की स्थिति को देखकर ही तय किया जाता है।
वैदिक ज्योतिष में “चन्द्रमा ” : (Vedic Jyotish Me “Chandrama”)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में चन्द्रमा की शुभ स्थिति होने से जातक सुन्दर, गोर रंग का तथा आकर्षक व्यक्तित्व वाला होता है तथा जातक में धीरज तथा धैर्य होता है और वह संकट के समय भी मन से विचलित नहीं होता। चन्द्रमा मजबूत होने से मानसिक तनाव नहीं होता तथा माता के साथ सुखद सम्बन्ध भी होता है। जातक अपने सिद्धांत का पक्का तथा अत्यंत भावुक होता है।
कुंडली में यदि चन्द्रमा के साथ “राहु” या “शनि” बैठ जाए तो चन्द्रमा कमजोर तथा बुरा फल प्रदान करने लगता है और इसलिए जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति को देखना अति आवश्यक है। चन्द्रमा के कमजोर तथा बुरे स्थितियों को जान लेने के बाद उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए ज्योतिष में अनेकों टोटके तथा उपाय दिए गए है जिन्हें आसानी से करके चन्द्रमा के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।
चंद्रमा से जुड़ीं पौराणिक कथा व महत्व :
चंद्रमा का उल्लेख सनातन पौराणिक कथाओं में काफी बार किया गया है। पौराणिक कथाओं में भी “चंद्रमा” को मन का अधिपति तथा जल का देवता बताया गया है। सनातन धर्म में “चंद्रमा” को “देव” की उपाधि दी गयी है।
चन्द्रमा को स्वयं भगवान् शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया है। और ऐसी वजय से भगवान् शिव सोमनाथ कहलाये क्योंकि “चंद्रमा” का एक नाम “सोम” भी है। इसी कारण सोमवार के दिन शिव जी के साथ साथ चंद्र देव की भी पूजा की जाती है।
सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव को चंद्रमा का स्वामी माना गया है। इसके अलावा सनातन धर्मग्रंथ “श्रीमद्भगवत गीता” में “चंद्र देव” को माता अनुसूया और महर्षि अत्रि के पुत्र के रूप में वर्णित किया गया है। हिन्दू पौराणिक शास्त्र और मान्यताओं के अनुसार चंद्र देव को ग्रहों के राजकुमार “बुध” का पिता कहा गया है और दिशा अनुसार चंद्र देव वायव्य दिशा के स्वामी भी है।
चन्द्रमा का मन पर प्रभाव : (Chandrama Ka Mann Par Prabhav)
किसी भी जातक के मन पर चन्द्रमा का बुरा प्रभाव पड़ने से जातक मन से विचलित हो जाता है। सही रूप से उपाय न करने से जातक को हर कार्य में असफलता और व्यर्थ की परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। सबसे पहले आइये जान लेते है चन्द्रमा का मन पर बुरा प्रभाव पड़ने से या जन्म कुंडली में अशुभ स्थानों पर बैठने से किस तरह के बुरे फल प्राप्त होते हैं :
चन्द्रमा का नकारात्मक फल :
जन्म कुंडली में चन्द्रमा अशुभ मावों में बैठ कर कई अशुभ फल देता है जैसे की :
- रक्त से जुड़ी बीमारी तथा पोषण से सम्बंधित समस्याएं ।
- घर परिवार में अकारण ही झगड़ें उत्पन्न होते है तथा सम्बन्ध विच्छेद होते है ।
- पेट में कोई बात नहीं पचती और वो मुंहफट बन जाता है।
- जातक अनिद्रा तथा तनाव का शिकार हो जाता है ।
- जातक का उसके जीवनसाथी के साथ बहस और झमेला होता रहता है जिससे की जातक एक “असंतुलित वैवाहिक जीवन” जीता है।
- जातक कुपोषण का शिकार हो सकता है।
मन के कारक चन्द्रमा का उपाय : (Chandrama Ka Upay in hindi)
यंत्र : “चंद्र यंत्र”, जड़ : “खिरनी”, रत्न : “मोती”, रंग : “सफेद”
उपाय : जब किसी जातक की जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर अवस्था में हो या बहुत ही कम प्रभावी हो, तो उस जातक को उपाय में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से जातक को भगवान शिव और चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जातक की हर मनोकामना भी पूरी होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा की महादशा दस वर्षों तक चलती है।
इसके अलावा निचे बताये गए मन्त्रों का सही रूप से जाप और भगवान चंद्र देव की पूजा से भी जातक को चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चंद्रमा का “वैदिक मंत्र” – (Chandrama Ka Vedic Mantra)
।। ऊँ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।।
।। महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय
इमममुध्य पुत्रममुध्य।।
।। पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा ।।
चंद्रमा का “तांत्रिक मंत्र” – (Chandrama Ka Tantrik Mantra)
।। ऊँ ऎं क्लीं सोमाय नम:।।
।। ऊँ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:।।
।। ऊँ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।।
चंद्रमा का “बीज मंत्र” : (Chandrama Ka Beej Mantra)
।। “ॐ सोम सोमाय नमः”।।
चंद्रमा का “पौराणिक मंत्र” : (Chandrama Ka Pauranik Mantra)
।। ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम ।।
।। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम ।।
Frequently Asked Questions
1. ज्योतिष शास्त्र में किस ग्रह को मन का कारक ग्रह कहा गया है ?
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को मन का कारक ग्रह कहा गया है
2. चंद्रमा के टोटके तथा उपायों को किस दिन करना चाहिए ?
चंद्रमा के टोटके तथा उपायों को सोमवार के दिन करना चाहिए।
3. चंद्रमा का बीज मंत्र क्या है ?
चंद्रमा का बीज मंत्र है – ।। “ॐ सोम सोमाय नमः”।।
4. चंद्रमा का पौराणिक मंत्र क्या है ?
।। ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।।
।। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम ।।
5. चन्द्रमा से सम्बंधित चीजें कौन कौन सी है ?
चन्द्रमा से सम्बंधित चीजें – चावल, दूध, जल इत्यादि है ।
6. चंद्र देव के माता पिता का क्या नाम है ?
चंद्र देव की माता का नाम अनुसूया और पिता का नाम महर्षि अत्रि है।