चित्रा नक्षत्र : चित्रा नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Chitra Nakshatra : Chitra Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)
वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र” है जिनमें से एक है “चित्रा नक्षत्र” (Chitra Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों में 14वें स्थान पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में “173।20” से लेकर “186।40” अंश तक है। चित्रा नक्षत्र में सिर्फ एक प्रधान तारा ही होता है। “चित्रा नक्षत्र” दिखने में मोती के समान होती है। आज हम आपको चित्रा नक्षत्र में जन्में लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतलायेंगे, पर सबसे पहले जानते है, चित्रा नक्षत्र से जुड़ी कुछ जरुरी बातें :
चित्रा नक्षत्र, वैभव, सुख और खुशहाली का नक्षत्र है। चित्रा का शाब्दिक अर्थ है “चमकीला”। चित्रा “चंद्र देव” की 27 पत्नियों में से एक है तथा ये प्रजापति दक्ष की पुत्री है। शास्त्रानुसार, चित्रा को समृद्धि का कारक नक्षत्र भी कहते है।
चित्रा नक्षत्र से जुड़े अन्य जरुरी तथ्य :
• नक्षत्र – “चित्रा”
• चित्रा नक्षत्र देवता – “विश्वकर्मा”
• चित्रा नक्षत्र स्वामी – “मंगल”
• चित्रा राशि स्वामी – “बुध-2, शुक्र-2”
• चित्रा नक्षत्र राशि – “कन्या-2, तुला-2”
• चित्रा नक्षत्र नाड़ी – “मध्य ”
• चित्रा नक्षत्र योनि – “व्याघ्र”
• चित्रा नक्षत्र वश्य – “नर”
• चित्रा नक्षत्र स्वभाव – “मृदु”
• चित्रा नक्षत्र महावैर – “गौ”
• चित्रा नक्षत्र गण – “राक्षस”
• चित्रा नक्षत्र तत्व – “पृथ्वी-2, वायु-2”
• चित्रा नक्षत्र पंचशला वेध – “पूर्वा भाद्रपद”
चित्रा नक्षत्र के जातक शिल्प विद्या, बुद्धिमान, मिस्त्री आदि कार्यों में कुशल होते है। उनकी “आस्था” चलायमान होती है। वाहन के विषय मे रुचिवान होते है। इनके कई पुत्र होने के योग होते है। यदि तुला गत नक्षत्र हो, तो व्यापार में रुचिवान होते है लेकिन अपनी आदत, स्वभाव, सुख सुविधा मे इन्हे कटौती करना मान्य नहीं होता है। – पराशर
चित्रा नक्षत्र का वेद मंत्र :
।।ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम ।
द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: ।
त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।।
चित्रा नक्षत्र में चार चरणें होती है। जो इस प्रकार है :
1. चित्रा नक्षत्र प्रथम चरण : चित्रा नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “सूर्य देव” है तथा इस चरण पर बुध, मंगल और सूर्य ग्रह का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक में गुप्त संस्कार या अध्यात्म और गोपनीयता अधिक होती है। इस चरण के जातक का रंग गोरा, सुनहरे बाल और लंबे हाथ – पाँव होते है। चित्रा नक्षत्र के जातक चिड़चिड़े और आक्रमक स्वभाव वाले होते है। ये नए वस्तुओं के अविष्कारक होते है लेकिन इसके पीछे का सच अर्थात बनाने का तरीका छुपा कर रखते है।
2. चित्रा नक्षत्र द्वितीय चरण : चित्रा नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी ‘‘बुध देव” है। इस चरण पर बुध तथा मंगल ग्रह का प्रभाव होता है। इनमें धर्म के प्रति कट्टरता की भावना प्रबल होती है। इस चरण के जातक का झुका हुआ कन्धा और कोमल नेत्र इनकी सबसे बड़ी पहचान होती है। ये चतुर तथा किसी भी कार्य को गंभीरता से करने वाले होते है। ये हमेशा प्रसन्न रहने वाले और वचनबद्ध होते है।
3. चित्रा नक्षत्र तृतीय चरण : इस चरण के स्वामी “शुक्र ग्रह” है। इस चरण पर मंगल, शुक्र तथा बुध ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक का बड़ा मुख, और रंग गोरा होता है। ये रहस्यमयी होते है, इनसे कोई भी बात उगलवाना आसान नहीं होता। ये पत्नी प्रेमी होते है और यात्राओं से धन अर्जित करते है।
4. चित्रा नक्षत्र चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी “मंगल ग्रह” है। इस चरण पर मंगल तथा बुध ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक की गोल आँखें और भौहें घनी होती है। ये शोध करने वाले और शोध से ही धन कमाने वाले होते है। इनके वैवाहिक जीवन में अड़चनें आती है इसलिए इन्हें 28वें वर्ष के बाद ही शादी करनी चाहिए।
आइये जानते है, चित्रा नक्षत्र के पुरुष और स्त्री जातकों के बारे में :
चित्रा नक्षत्र के पुरुष जातक :
इस नक्षत्र के जातक शांति प्रिय, बुद्धिमान और अपने लाभ के लिए किसी भी सीमा को पार कर जाने वाले होते है। इनके योजना और सलाह को लोग शुरुआत में गलत मानते है पर बाद में वही अपनाये भी जाते है। यदि जन्म कुंडली में गुरु और शनि ग्रह की शुभ स्थिति हो तो जातक कुशल ज्योतिषी भी होता है। अनुराधा नक्षत्र के प्रभाव से कुछ जातकों के स्वप्न भी सत्य हो जाते है। इन्हें देखकर भूलवश लोग इन्हें गवाँर और अभद्र समझ लेते है। इनके शत्रु इनका कुछ बिगाड़ नहीं पाते। इन्हें जीवन में 32वें वर्ष तक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 33 से 53 वर्ष इनके जीवन का भाग्यशाली वर्ष होता है। 22, 27, 30, 39 और 48 वां वर्ष इनके लिए अशुभ होता है। जातक अपने परिवार से बहुत प्रेम करता है लेकिन उन पर संदेह भी करता है।
चित्रा नक्षत्र के स्त्री जातक :
चित्रा नक्षत्र की स्त्री जातक के सारे गुण और दोष इस नक्षत्र के पुरुषों जैसे ही होते है लेकिन स्त्रियों का साथ उनका भाग्य कभी नहीं देता। ये जीवन को अपने ढ़ंग और स्वतंत्र तरीके से जीना पसंद करती है। जिसके कारण परिवार वालों के साथ इनकी नहीं बनती। ये घमंडी और दुराचारी भी होती है। इन्हें जन्म कुंडली का मिलान करके ही विवाह करना चाहिए अन्यथा तलाक तक की नौबत आ जाती है। किसी – किसी स्त्री जातिका में संतान हीन का दुर्योग भी उपस्थित होता है।
Frequently Asked Questions
1. चित्रा नक्षत्र के देवता कौन है?
चित्रा नक्षत्र के देवता – विश्वकर्मा है।
2. चित्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?
चित्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह – बुध-2, शुक्र-2 है।
3. चित्रा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय कब होता है?
चित्रा नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय – 33 वें वर्ष में होता है।
4. चित्रा नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?
चित्रा नक्षत्र की शुभ दिशा – पश्चिम है।
5. चित्रा नक्षत्र का कौन सा गण है?
चित्रा नक्षत्र का राक्षस गण है।
6. चित्रा नक्षत्र की योनि क्या है?
चित्रा नक्षत्र की योनि – व्याघ्र है।
7. चित्रा नक्षत्र की वश्य क्या है?
चित्रा नक्षत्र की वश्य – “नर” है।