दाम्पत्य जीवन में कलह का दुर्योग या प्रेम और विश्वास योग (Dampatya Jivan Me Kalah Ka Duryog Ya Prem Aur Vishwas Ka Yog)
हर शादीशुदा इंसान अपने दाम्पत्य जीवन में सुख और शांति से रहना चाहता है। जहाँ एक तरफ लड़कियां धनवान पति की आशा करती है वहीँ दूसरी तरफ लड़के सुन्दर पत्नी पाना चाहते हैं। यदि विवाह के बाद जीवन साथी की सोच आपके विचारों से मिलने वाले हो, तो जीवन के विषम परिस्थितियों का भी सामना आसानी से किया जा सकता है। वहीं, अगर जीवन साथी के गुण आपसे न मिलें तो जीवन परेशानी और कलह से भर जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र द्वारा, यह बहुत आसानी से पता लगाया जा सकता है कि, आपके दाम्पत्य जीवन में कलह का दुर्योग है या प्रेम और विश्वास का योग। तो, चलिए जान लेते है कि, कब बनता है कलह का दुर्योग तथा प्रेम और विश्वास का योग :
दाम्पत्य जीवन में कब बनता है कलह का दुर्योग? (Dampatya Jivan Me Kab Banta Hai Kalah Ka Duryog)
जन्म कुंडली के सातवें भाव में पाप ग्रह :
जन्म कुंडली का सातवां भाव विवाह तथा दाम्पत्य जीवन को दर्शाता है। यदि आपके जन्मकुंडली के सातवें भाव में पाप ग्रह है, तो आपको विवाह के बाद अपने दाम्पत्य जीवन के कारण कष्ट और परेशानी उठानी पड़ेगी।
सप्तम भाव में सूर्य :
जन्म कुंडली के सातवें भाव में यदि सूर्य उपस्थित हो, तो जीवनसाथी सुन्दर, गुणवान तथा शिक्षित होता है। किन्तु, इसके साथ ही सातवें भाव पर यदि किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि ना हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह का सामना करना पड़ता है ।
मांगलिक दोष :
जन्म कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें तथा बारहवें भाव में यदि मंगल उपस्थित हो, तो जातक मांगलिक (Manglik) होता है। यदि जातक का जीवनसाथी मांगलिक ना हो, तो विवाह उपरान्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, ज्योतिषशास्त्र अनुसार मांगलिक व्यक्ति को मांगलिक व्यक्ति से ही विवाह करनी चाहिए वर्ना स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या, तलाक या मृत्यतुल्य कष्ट उठानी पड़ती है।
जन्म कुंडली के सातवें भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि :
यदि आपके जन्म कुंडली के सातवें भाव पर पाप ग्रह या क्रूर ग्रह की दृष्टि हो, तो दाम्पत्य जीवन में हमेशा कलह बनी रहती है। यहाँ पाप ग्रह का मतलब है – राहु, केतु, शनि मंगल। सप्तम भाव में शनि या राहु का होना अशुभ माना जाता है।
सूर्य, शनि, राहु अलगाववादी ग्रह हैं। ये ग्रह सातवें तथा दूसरे भाव पर दृष्टि डालकर जीवन में तलाक की स्थिति भी ला देते हैं। यदि सातवें में राहु अकेला हो तथा पांचवें में शनि उपस्थित हो, तो जातक का तलाक हो जाती है। किन्तु, इस अवस्था में पहले भाव में गुरु या शनि का लग्नेश नहीं होना चाहिए।
दाम्पत्य जीवन में कब बनता है प्रेम तथा विश्वास का योग ? (Dampatya Jivan Me Kab Banta Hai Prem Aur Vishwas Ka Yog)
जिस प्रकार दाम्पत्य जीवन में कलह का दुर्योग बनता है उसी प्रकार प्रेम तथा विश्वास का योग भी बनता है, आइये जान लेते है, उन शुभ योगों के बारे में को जो दाम्पत्य जीवन में प्रेम और विश्वास भर देती है :
सप्तमेश का नवमेश से सम्बन्ध :
यदि आपके जन्म कुंडली में सप्तमेश और नवमेश का दृष्टि सम्बन्ध हो या दोनों ही केंद्र में बैठे हो तथा बुध, शुक्र और गुरु में से कोई भी उच्च का होकर अपनी ही राशि में विराजमान हो, तो दाम्पत्य जीवन में प्रेम तथा विश्वास बना रहता है।
पंच महापुरुष योग :
यदि आपके या आपके साथी के जन्म कुंडली में पंच महापुरुष योग बन रहा है तथा गुरु या शुक्र से सूर्य किसी भी कोण पर स्थित हो, तो दाम्पत्य जीवन सुखद होगा।
सप्तमेश और लग्नेश का सम्बन्ध :
यदि आपके जन्म कुंडली में सप्तमेश उच्च का होकर लग्नेश के साथ केंद्र या त्रिकोण में बैठा हो, तो जातक के दाम्पत्य जीवन में प्रेम तथा विश्वास बनी रहेगी ।
यदि किसी भी व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन में परेशानियां बनी रहती है तथा जीवनसाथी के साथ लड़ाई-झगड़ें होते रहते है, तो किसी भी ज्ञानी ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें। विवाह के पहले जन्म कुंडली के ग्रहों का मिलान अवश्य करें। यदि किसी कारणवश विवाह हो चुका है तो विवाह के बाद कुंडली की जांच करें तथा ज्योतिषाचार्य के बताए उपायों को अवश्य करें ।कई जन्मकुण्डलियों में ऐसा भी देखा गया है कि, पति की कुंडली में ग्रह दोष है परन्तु पत्नी के कुंडली में वह दोष नहीं है तो समस्यों का सामना नहीं करना पड़ता है। कई बार इसका उल्टा भी देखा गया है। किन्तु, यदि दोनों पति पत्नी के जन्म कुण्डली में सप्तम भाव पीड़ित है, तो समस्याओं का सामना करना ही पड़ता है परन्तु इन समस्याओं को उचित उपायों द्वारा दूर भी किया जा सकता है।
Frequently Asked Questions
1. दाम्पत्य जीवन के लिए जन्म कुंडली के किस भाव को देखते हैं ?
दाम्पत्य जीवन के लिए जन्म कुंडली के सप्तम भाव को देखते हैं।
2. सप्तम में राहु हो तो दाम्पत्य जीवन कैसा होगा?
सप्तम में राहु हो तो दाम्पत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
3. सप्तम पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि होने से क्या होता है ?
सप्तम पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि होने से परेशानी तथा तलाक की नौबत आ जाती है।
4. क्या ज्योतिष में दाम्पत्य जीवन को सुखद करने का उपाय है ?
जी हाँ, ज्योतिष में दाम्पत्य जीवन को सुखद करने का उपाय है।