गरुड़ पुराण से जुड़े रहस्य : गरुड़ पुराण 7 के टोटके (Garud Puran)
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गरुड़ पुराण का सम्बन्ध वैष्णव सम्प्रदाय से है। गरुड़ पुराण में सदाचार, ज्ञान, भक्ति, वैराग्य तथा यज्ञ, तप, तीर्थ और दान-पुण्य इत्यादि से किसी भी साधारण इंसान को फलीभूत करने के लिए बहुत सारे तरीकों का उल्लेख किया गया है। इनसब के अतिरिक्त वैष्णव धर्म के आराध्य भगवान विष्णु का गरुड़ पुराण आयुर्वेद, नियम, नितिसार, विज्ञान तथा धर्म का ज्ञान भी देता है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के समय किये जाने वाले कर्मों का विस्तृत रूप से उल्लेख है। इतना ही नहीं आत्मज्ञान का आधार है ये गरुड़ पुराण।
हिन्दू धर्म में कुल 18 पुराण है, जिनमें से एक है गरुड़ पुराण। गरुड़ पुराण को “वैष्णव पुराण” (Vaishnav Puran) के नाम की भी संज्ञा दी गई है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु की भक्ति का पूर्ण रूप से वर्णन है।
गरुड़ पुराण सम्पूर्ण कथा: (Garudh Puran Sampurn Katha)
भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ जो की प्रजापति दक्ष के जमाता महर्षि कश्यप के पुत्र है। एक बार कि बात है, जब गरुड़ ने प्रभु श्री हरी विष्णु से कुछ प्रश्न पूछें जिनमें गरुड़ ने पूछा कि, मृत्यु के पश्चात जीवों की स्तिथि, प्राणियों की यमलोक की यात्रा, भिन्न-भिन्न कुकर्मो के वजह से नरक भोगना तथा योनि और पापी की होनेवाली दुर्गति के बारे में। इन प्रश्नों को सुनकर श्री हरी विष्णु ने उस समय जो उपदेश दिया उसे ही “गरुड़ पुराण” (Garush Puran) कहते है। कश्यप पुत्र गरुड़ के जरिये भगवान विष्णु ने मृत्यु के पश्चात गूढ़ तथा परम रहस्यमयी तथा कल्याणकारी वचन प्रकट किये। इस पुराण को “मुख्य गारुड़ी विद्या” के नाम की भी संज्ञा दी गई है।
सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने इस पुराण का ज्ञान महाभारत के रचनाकार “महर्षि वेद व्यास” जी को दिया था और वेद व्यास जी ने गरुड़ पुराण का ज्ञान सूतजी को दिया। बाद में, नैमिषारण्य में सूतजी ने शौनकादि ऋषि-मुनियों को गरुड़ पुराण का ज्ञान दिया।
गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए?
हिन्दू अथवा सनातन धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण की प्रथा है, जो कि हमें सद्गति प्रदान करता हैं। गरुड़ पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है।
आइये जानते है, गरुड़ पुराण में बताई गयी, गरुड़ पुराण 7 के टोटके:
1. गरुड़ पुराण में संयम और चतुरता : (Garudh Puran Me Sanyam Aur Chturata)
कहते है, किसी भी कार्य को करते समय या कोई मंजिल पाने के लिए संयम बरतनी चाहिए और इतना ही नहीं आप जब अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते है, तो आपके अनगिनत दोस्त और दुश्मन भी बन जाते है। जिंदगी में जितना जरूरी है संयम, किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए उतनी ही जरूरी है चतुराई।
गरुड़ पुराण के अनुसार, मनुष्य में चतुरता तथा सतर्कता का होना बहुत ही जरुरी है। यदि कोई मनुष्य किसी ऊंची मंजिल को प्राप्त करता है, तो उसके शत्रु भी बनते है और वही शत्रु बस इसी कोशिश में लगे रहते है कि, कैसे सामने वाले मनुष्य को पीड़ा पहुंचे जाए?, गरुड़ पुराण की नीतिसार मनुष्य को यही ज्ञान देती है कि अपनी चतुरता के बल पर आप कैसे किसी शत्रु के धोके से बच सकते है? और, किस प्रकार आप अपने शत्रु को काबू में कर सकते है?
2. गरुड़ पुराण में अभ्यास के द्वारा ज्ञान का संरक्षण : (Garudh Puran Me Abhyas Ke Dwara Gyaan Ka Sarankshan)
कहते है, किसी भी विद्या अथवा ज्ञान को संरक्षित करने का सबसे अच्छा उपाय है अभ्यास। बार-बार अभ्यास करने से कोई भी व्यक्ति किसी भी विद्या में पारंगत हो सकता है। अभ्यास के लिए हिंदी में एक कहावत भी है :
||”करत–करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान||
||रसरी आवत–जावत है सिल पर परत निशान“||
अर्थात – बार-बार अभ्यास से कोई भी किसी विद्या में इतना पारंगत हो सकता है कि किसी को भी मात दे सकता है, जिस प्रकार पत्थर जैसे कठोर तत्व पर अगर रस्सी बार-बार खींची जाए, तो एक-न-एक दिन पत्थर पर भी निशान आ जाती है, उसी प्रकार मनुष्य भी अपनी मेहनत और अभ्यास के द्वारा अपने मस्तिष्क में ज्ञान का संरक्षण कर सकता है, परन्तु यह तभी संभव है जब पूरी ईमानदारी के साथ अभ्यास करते रहा जाए।
गरुड़ पुराण के नीतिसार के तहत कही गयी है कि, बिना अभ्यास के हम किसी भी विद्या को अपने पास संरक्षित कर के नहीं रख सकते। यदि हम अपनी विद्या तथा ज्ञान का समय-समय पर अभ्यास न करे, तो कदाचित हम उसे भूल जायेंगे इसलिए जितना संभव हो हमें अभ्यास करते रहना चाहिए।
3. गरुड़ पुराण में साफ़ और सुगन्धित कपड़े अथवा वस्त्र : (Garudh Puran Me Saaf Aur Sugandhit Kapde Athwa Vastra)
गरुड़ अथवा वैष्णव पुराण के अनुसार, मनुष्य को सर्वथा साफ़ और सुगन्धित कपड़े अथवा वस्त्र ही पहनने चाहिए। गरुड़ पुराण के में यह उल्लेख किया गया है कि जो मनुष्य गंदे और बदबूदार कपड़े पहनते है उनका भग्य साथ नहीं देता। गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि, जिस घर में घर के सदस्य साफ़ सुथरे कपड़े नहीं पहनते वहाँ लक्ष्मी का आगमन नहीं होता और जहाँ माता लक्ष्मी का आगमन नहीं होता वहाँ दरिद्रता वास करती है। हिन्दू मान्यता अनुसार, जो लोग अत्यधिक धनी है और फिर भी साफ़ और सुगन्धित कपड़े नहीं पहनते उनकी धन और संपत्ति धीरे-धीरे कर के नष्ट हो जाती है। इसलिए, माता लक्ष्मी की पूजा कर उनकी कृपा का पात्र बनें तथा साफ़ और सुगन्धित कपड़े अथवा वस्त्र ही पहने।
4. गरुड़ पुराण में संतुलित आहार अथवा भोजन और निरोगी काया : (Garudh Puran Me Santulit Aahar Athwa Bhojan Aur Nirogi Kaya)
मनुष्य को सर्वथा संतुलित आहार ही लेनी चाहिए, असंतुलित आहार ग्रहण करने से मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और मनुष्य का पाचन तंत्र भी काम करना बंद कर देता है। असंतुलित आहार ही मनुष्यों के शरीर में प्रत्येक बिमारी को जन्म देती है।
मनुष्यों को हमेशा सुपाच्य आहार ही ग्रहण करना चाहिए। सुपाच्य भोजन के कारण मनुष्य का पाचन तंत्र सही रहता है, फलस्वरूप मनुष्य के शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और मनुष्य का शरीर बिमारी से दूर रहता है।
5. गरुड़ पुराण में एकादशी का व्रत : (Garudh Puran Me Ekadashi Ka Vrat)
हिन्दू धर्म, ग्रन्थ तथा पुराणों में एकादशी के व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। गरुड़ पुराण में एकादशी व्रत की महिमा बताई गयी है।
गरुड़ पुराण के अनुसार जो मनुष्य एकादशी का व्रत करता है, उसके समस्त कष्ट तथा पाप नष्ट हो जाते है। एकादशी व्रत का लाभ व्रती को अवश्य मिलता है। परन्तु, एकादशी के व्रत को धारण करने का भी नियम है इसलिए नियमानुसार ही एकादशी का व्रत उठाएं।
एकादशी के व्रत के दिन फलाहार व्रत रखने का ही नियम है। एकादशी व्रत में कोई भी तरह का व्यसन नहीं करना चाहिए। सही रूप से व्रत करने से हर तरह की इच्छा पूर्ण होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी के कुंडली में चंद्र बुरा फल दे रहा हो, तो उसे एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
6. गरुड़ पुराण में तुलसी का महत्व : (Garudh Puran Me Tulsi Ka Mahatv)
माता तुलसी की पूजा का महत्व को कई ग्रंथो तथा पुराणों में कही गयी है परन्तु इसका विस्तार रूप से उल्लेख गरुड़ पुराण में भी मिलेगा। गरुड़ पुराण के अनुसार माता तुलसी के पौधे को अपने निवास स्थान में रखने से घर से प्रत्येक तरह कि बीमारी दूर रहती है। तुलसी के पौधे के पत्ते का नियमित सेवन से बीमारी कोशों दूर चली जाती है।
वैदिक ज्योतिष तथा गरुड़ पुराण के अनुसार माता तुलसी का पौधा घर में रखने से तथा प्रतिदिन पूजा अर्चना करके उसमें जल ढ़ालने से बंद भाग्य के रास्ते भी खुल जाते है। बिना तुलसी पत्र के भगवान विष्णु की पूजा कभी सफल नहीं होती इसलिए भगवान विष्णु के पूजा के प्रसाद में तुलसी पत्र भी अवश्य डालें ।
7. गरुड़ पुराण में धर्म तथा मंदिर का सम्मान : (Garudh Puran Me Dhrm Ttha Mandir Ka Samman)
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि कोई मनुष्य धर्म, देवी-देवता तथा धार्मिक स्थान का अगर अपमान करता है तो उसे नर्क की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो लोग धार्मिक स्थानों पर गलत तथा गंदे कार्य करते है, किसी भले इंसान को धोका देते है या कसी के एहसानों के बदले में उन्हें गालियां देते है तथा ग्रंथों, वेदों, पुराणों पर सवाल करते है उन्हें नर्क की प्राप्ति होती है।
Frequently Asked Questions
1. गरुड़ पुराण का दूसरा नाम क्या है?
गरुड़ पुराण का दूसरा नाम “वैष्णव पुराण” है।
2. गरुड़ पुराण में किस भगवान के बारे में कहा गया है?
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु के बारे में कहा गया है।
3. गरुड़ कौन है?
गरुड़ भगवान विष्णु का वाहन तथा महर्षि कश्यप के पुत्र है।
4. मुख्य गारुड़ी विद्या का दूसरा नाम क्या है?
मुख्य गारुड़ी विद्या, गरुड़ पुराण का ही एक नाम है।