वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का महत्व: जानें घर में ईशान कोण कैसा होना चाहिए | Ishaan Kon in Vastu Shastra
ईशान कोण को वास्तु शास्त्र में बहुत महत्व दिया जाता है l मान्यता है कि सभी देवताओं का निवास स्थान धरती की ईशान दिशा में ही है l इसे भगवान शिव की दिशा भी माना जाता है. घर के पूर्व और उत्तर के बीच ईशान कोण होता है l
आइये जानते हैं घर का ईशान कोण कैसा होना चाहिए.
पीले रंग का प्रयोग : ईशान कोण के स्वामी बृहस्पति हैं अत: इस कोण में पीत वर्ण का उपयोग किया जा से ही सांसारिक और आध्यात्मिक सुख एवं समृद्धि तय होती है। इस कोण को अच्छे से डेकोरेट करके रखना
जल की स्थापना : ईशान कोण में जल तत्व की स्थापना की जाती है। घर की इस दिशा में हैंड पंप, हो सकता है। यहां पर मटके या घड़े में जल भरकर रखा जा सकता है या यहां जल की स्थापना की जानी चाहिए l
पूजा घर : वास्तु के अनुसार यहां पर पूजा घर बनवाया जा सकता है लेकिन किसी लाल किताब के जानकार से घर बनवाएं।
स्वच्छ और रिक्त रखें : यह कोण धन, स्वास्थ्य वृद्धि कर उसे स्थायित्व प्रदान करने वाला है भवन में सदैव स्वच्छ एवं पवित्र रखना चाहिए l
मुख्य द्वार : घर के मुख्य द्वार का इस दिशा से बेहद शुभ माना जाता है। यदि आपका मकान अति उत्तम है। बस आपको शौचालय, किचन वास्तु के अनुसार रखना चाहिए।
तिजोरी : कहते हैं कि यहां पैसा, धन और आभूषण रखनेवाला घर का मुखिया बुद्धिमान माना जाता है कि यह उत्तर-ईशान में रखे हों तो घर की एक कन्या और यदि पूर्व ईशान में रखे हों तो पुत्र बहुत बुद्धिमान और उल्लेखनीय है कि ईशान कोण में किसी भी प्रकार का दोष है और कुंडली में भी गुरु पीड़ित है तो जातक में विरक्ति, देवता, धर्म और गुरुओं पर आस्था में कमी, आय में कमी, संचित धन में कमी, विवाह में देरी, संतानो उदर विकार, कान का रोग, गठिया, कब्ज, अनिद्रा आदि कष्ट होने की संभावना रहती है।