आपके जन्मकुंडली में छिपा है घर बनने के योग (Aapke Janmkundali Me Chipa Hai Ghar Banne Ke Yog)
अपने घर में रहना कौन नहीं चाहता। हर इंसान का सपना होता है कि उसके पास भी एक ‘घर’ हो पर, किसके भाग्य में कब बनेगा घर का योग? और कब कोई इंसान खरीद पायेगा अपना घर?, ये बहुत ही आसानी से किसी के भी जन्मकुंडली के ग्रहों को देखकर पता चल जाता है। ज्योतिष शास्त्र ने घर से जुड़े इस विषय पर काफी शोध किये जिससे यह पता चला कि:
बहुत सारे ग्रहों के संयोग से बनता है “घर का योग” (Ghar Ka Yog), जैसे की – जन्मकुंडली का ‘चतुर्थ भाव’ बतलाता है कि उस व्यक्ति का अपना घर कब बनेगा। चतुर्थ भाव से सम्बंधित ग्रह ही यह तय करते है की इंसान कब अपने घर का मालिक बनेगा।
आइये जानते है, घर बनने से जुड़ें जरुरी बातों को :
जन्मकुंडली का चतुर्थ भाव :
जन्मकुंडली का ‘चतुर्थ भाव’ भूमि, भवन और वाहन के बारे में बतलाता है। ज्योतिष के अनुसार, जब भी जन्मकुंडली में “मूल–राशि” के स्वामी या फिर ‘चन्द्रमा’’ के साथ गुरु, शुक्र या चौथे भाव के स्वामी का शुभ योग सम्बन्ध बनता है तब उस व्यक्ति का अपना घर अवश्य बनता है। यदि चतुर्थ भाव का सम्बन्ध चंद्र और मंगल के साथ हो जाए तो अपना घर जन्मस्थान के आस पास ही बनता है।
चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह का होना :
यदि किसी के जन्मकुंडली के चतुर्थ भाव में कोई भी शुभ ग्रह हो तो उस व्यक्ति को सुन्दर भवन का सुख अवश्य प्राप्त होता है। यदि गुरु अथवा शुक्र ग्रह की शुभ दृष्टि चतुर्थ भाव पर पड़ जाए तो सपनों से भी सुन्दर घर की प्राप्ति होती है।
चतुर्थ भाव का स्वामी ग्रह मंगल :
यदि किसी की जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव का स्वामी ‘मंगल ग्रह’ है और जन्म कुंडली के चौथे भाव में यदि मंगल अकेला ही स्थित है तो घर अथवा मकान के मामले में अच्छे परिणाम नहीं मिलते। चतुर्थ भाव में मंगल वाले जातक अपना घर तो बना लेते है पर कभी भी सुख भोग नहीं पाते अर्थात कभी भी उस घर में रहने का सुख प्राप्त नहीं कर पाते । घर बनवाने के लिए तथा अपने घर में रहने के लिए मंगल का ‘शुभ और बली’, ये दोनों ही होना बहुत जरुरी है। इतना ही नहीं, ऐसी स्थिति में चतुर्थ भाव के साथ शनि ग्रह का भी शुभ सम्बन्ध होना चाहिए। ऐसे योग बनने पर जातक अथवा जातिका को घर बनाने में किसी भी प्रकार की बाधा-विघ्न नहीं आती।
जन्मकुंडली के अन्य भावों का शुभ और बली होना :
जन्मकुंडली में जो भाव मकान या घर बनाने के लिए ‘शुभ और बली’ माने जाते है वो इस प्रकार है :
- लग्न भाव आत्मा तथा विवेक का प्रतीक
- दूसरा भाव धन का प्रतीक
- तीसरा भाव पराक्रम का प्रतीक
- नौवा भाव भाग्य का प्रतीक
- एकादश भाव आय का प्रतीक
अगर ‘दूसरे और एकादश भाव’ के प्रभाव से किसी के पास ‘धन और आय’ आ भी जाए जिससे की वो इंसान आसानी से मकान खरीद ले तब भी बाकी के भाव अगर कमजोर है तो मकान खरीदना या बनवाना संभव नहीं होगा और साथ-ही-साथ जन्मकुंडली का ‘नौवा अर्थात भाग्य भाव’ का मजबूत होना भी बहुत जरुरी है ।
मंगल ग्रह की भूमिका :
ज्योतिष शास्त्र में ‘अपना घर बनने’ के योगों में “मंगल ग्रह की भूमिका” एक विशेष स्थान रखती है। वैसे तो, शनि ग्रह को भी ‘घर या भवन’ के निर्माण में अहम माना जाता है पर ‘शनि ग्रह और मंगल ग्रह’ का अगर शुभ सम्बन्ध चौथे भाव यानी की घर के भाव से बन जाए तो बहुत ही शुभ परिणाम देखने को मिलेंगे, बिना किसी बाधा के घर आसानी से बनवाया अथवा खरीदा जा सकेगा पर शनि ग्रह के प्रभाव से बहुत ही पुराना घर बनने का योग बनता है साथ ही साथ शनि के प्रभाव के कारण दादा या पिता से भी पुराने घर और संपत्ति मिलने के आसार होते है अर्थात पूर्वजों की संपत्ति प्राप्त होना ।
विदेश में घर का योग :
जब भी जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव का शुभ सम्बन्ध बारहवें भाव के साथ बनता है तब ऐसे योग वाले व्यक्ति अपनी जन्मस्थान से दूर दूसरे शहर या फिर विदेश में अपना घर बनवाते है। यहाँ यह देखना भी जरुरी है कि इस योग के साथ-साथ “शनि, मंगल तथा गुरु” का सम्बन्ध कैसा है, यदि शुभ सम्बन्ध बन रहा तो विदेश में बहुत ही आसानी से घर खरीदना या बनाना संभव होगा।
कुंडली में चंद्र और शुक्र की युति :
यदि किसी के जन्मकुंडली में चंद्र और शुक्र की युति हो और दोनों शुभ सम्बन्ध बनाये हुए हो तथा इनका सम्बन्ध मंगल से हो जाए या इनपर मंगल की शुभ दृष्टि पड़ जाए तो यह एक बहुत शुभ योग है। इस योग के कारण इंसान का घर बनाने का सपना जरूर पूरा होता है, इतना ही नहीं इस योग के कारण इंसान के एक से ज्यादा घर बनते है साथ ही साथ वो घर अथवा भवन दिखने में काफी आकर्षक भी होते है ।
Frequently Asked Questions
1. जन्मकुंडली में घर बनाने के लिए कौन सा भाव देखना चाहिए?
जन्मकुंडली में घर बनाने के लिए चतुर्थ भाव देखना चाहिए।
2. जन्मकुंडली में किन ग्रहों के प्रभाव से आलिशान भवन बनते है?
जन्मकुंडली में “चंद्र–शुक्र” की युति और मंगल से सम्बन्ध हो तो आलिशान भवन बनते है।
3. विदेश में घर का योग जन्मकुंडली के किस भाव से सम्बंधित है?
विदेश में घर का योग जन्मकुंडली के बारहवें भाव से सम्बंधित है।
4. किन ग्रहों के योग से अपना घर जन्मस्थान के आस-पास बनता है?
चतुर्थ भाव के साथ चंद्र और मंगल का सम्बन्ध होने से अपना घर जन्मस्थान के आस-पास बनता है।
5. किस ग्रह के प्रभाव से बहुत ही पुराना घर खरीदने या मिलने का योग बनता है?
शनि ग्रह के प्रभाव से बहुत ही पुराना घर खरीदने या मिलने का योग बनता है।