कल्पवृक्ष : कहाँ और कैसा दिखता है कल्पवृक्ष, जानिये कल्पवृक्ष के फायदे (Kalpavriksha : Kaha Aur Kaisa Dikhta Hai Kalpavriksha, Janiye Kalpavriksha Ke Fayde)
सनातन धर्म शास्त्रों में कल्पवृक्ष का उल्लेख आसानी से मिल जाएगा। हिन्दू पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, कल्पवृक्ष, स्वर्ग में पायी जाने वाली एक दिव्य वृक्ष है। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर कोई वरदान मांगता है तो वह पूरी हो जाती है क्योंकि कल्पवृक्ष में सकारात्मक ऊर्जा भरी होती है।
वैदिक पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में एक कल्पवृक्ष भी थी। इस वृक्ष को देवराज इंद्र को सौंप दिया गया और इंद्रदेव ने कल्पवृक्ष की स्थापना “सुरकानन वन” (हिमालय के उत्तर दिशा) में कर दिया था। पद्मपुराण के अनुसार, “पारिजात” का वृक्ष ही कल्पवृक्ष है।
आइये जानते है, कैसा दिखता है “कल्पवृक्ष“? और कल्पवृक्ष के फायदे
कैसा दिखता है “कल्पवृक्ष“?
कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम “ओलिया कस्पीडाटा” है। फ़्रांस और इटली में यह वृक्ष ज्यादा पाया जाता है। यह वृक्ष ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में भी पाया जाता है। भारत में कल्पवृक्ष का वानस्पतिक नाम – “बंबोकेसी” है। इस वृक्ष को सबसे पहले फ्रांसीसी वैज्ञानिक माइकल अडनसन ने 1775 में अफ्रीका के सेनेगल में देखा था।
जड़ीबूटी और वृक्षों के जानकारों के अनुसार यह वृक्ष मोठे तने वाला एक फलदायी वृक्ष है। इसकी टहनी लम्बी होती है और इसके पत्ते भी काफी लम्बे होते है। दिखने में यह पीपल वृक्ष के समान ही दीखता है। इसके पत्ते आम के पत्तों के जैसे ही दीखते है। इस वृक्ष का फल नारियल के जैसा होता है और वृक्ष की पतली टहनी के सहारे नीचे लटका रहता है। इस वृक्ष का तना बरगद के समान दिखाई पड़ता है और इसका फूल कमल के फूल के समान दीखते है। जिनमें बहुत सारी रोयें भी निकले होते है। पीपल के समान ही कम जल में यह वृक्ष बढ़ता जाता है। इसे “पतझड़ी वृक्ष” के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष की ऊंचाई लगभग 70 फीट होती है और इसके तने की व्यास लगभग 35 फुट होती है। कार्बन डेटिंग के द्वारा इसकी उम्र करीब 6000 साल मापी गयी है।
भारत में कल्पवृक्ष :
भारत में औषधि गुणों के कारण कल्पवृक्ष को पूजा जाता है। भारत के – रांची, काशी, कर्नाटक, अल्मोड़ा और नर्मदा के किनारे पर यह वृक्ष पाया जाता है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में भी यह वृक्ष पाया जाता है। कार्बन डेटिंग के अनुसार इस वृक्ष की उम्र 5000 साल से भी अधिक। ग्वालियर के पास “कोलारस” में भी एक 2000 साल से भी अधिक पुराना कल्पवृक्ष है।
कल्पवृक्ष के फायदे :
यह एक प्रकार का मेडिसिनल-प्लांट है यानी कि – जिस वृक्ष से दवाइयां बनाई जाए। इस वृक्ष में संतरे से 6 गुना ज्यादा विटामिन – सी पाया जाता है और गाय के दूध से दुगना कैल्शियम और इसके अलावा भी इस वृक्ष से हर प्रकार की विटामिन पाई जाती है। इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर या सुखी ही खाया जा सकता है। इस वृक्ष की छाल, फल, फूल आदि का उपयोग औषधि बनाने में की जाती है। इस वृक्ष के और भी कई फायदे है। आइये जानते है, उन फायदों के बारे में :
अच्छी सेहत के लिए :
यदि नियमित रूप से इस वृक्ष की 3 से 5 पत्तियों का सेवन किया जाए तो यह हमारे शरीर के दैनिक पोषण के लिए काफी है। हमारे शरीर को जितने भी वीटामिन और सप्लीमेंट्स की जरूरत पड़ती है वह इसकी 5 पत्तियां ही पूरी कर देती है। यदि आप ज्यादा जीवन जीना चाहते हैं, तो इसकी पत्तियों का सेवन अवश्य करें क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। गुर्दों के लिए इसकी पत्तियां अत्यंत लाभदायक होती है। यह कब्ज और एसिडिटी में भी सहायक है। कल्पवृक्ष के पत्तों से दमा, एलर्जी, मलेरिया को आसानी से समाप्त किया जा सकता है।
इस वृक्ष के बीजों से एक प्रकार का तेल निकाला जाता है जो की हृदय रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल होता है। इसके फलों में रेशे मौजूद होते है। इसकी पत्तियों से शरबत भी बनाये जाते है और इसके फल से कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती है ।
पर्यावरण के लिए कल्पवृक्ष :
यह वृक्ष जहां भी पाया जाता है वहां कभी भी सूखा नहीं पड़ता। इस वृक्ष के आस पास के रोगाणु स्वतः ही नष्ट हो जाते है। इस वृक्ष के आस पास नकारात्मक ऊर्जा नहीं टिक पाती। इसके आस पास की हवा भी बिल्कुल स्वच्छ होती है। इसमें तुलसी के समान गुण पाए जाते है।
यह वृक्ष जब पुराना हो जाता है तो अंदर से खोखला हो जाता है पर बाहर से इसमें काफी मजबूती होती है जिससे की इसमें 1 लाख लीटर से भी ज्यादा पानी जमा करके रखा जा सकता है।
औषधि के रूप में कल्पवृक्ष :
कल्पवृक्ष का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यदि आप नित्य रूप से अपने आहार में प्रतिदिन 20 प्रतिशत कल्पवृक्ष के पत्ते और सब्जी – पालक या मेथी – 80 प्रतिशत लेते हैं, तो आपके शरीर को यह ऊर्जावान बनाये रखता है और हर तरह के बीमारी से भी दूर रखता है। आप इसका उपयोग सलाद की तरह भी कर सकते हैं और इसके 5 से 10 पत्तों को मसल कर पराठों में भरके और अच्छे तरह से पका कर भी खा सकते है।
Frequently Asked Questions
1. समुद्र मंथन में कल्पवृक्ष के निकलने पर वह किसे सौंपा गया था?
समुद्र मंथन में कल्पवृक्ष के निकलने पर वह देवराज इंद्र को सौंपा गया था।
2. इंद्रदेव ने कल्पवृक्ष की स्थापना कहाँ कर दिया था?
इंद्रदेव ने कल्पवृक्ष की स्थापना “सुरकानन वन” (हिमालय के उत्तर दिशा) में कर दिया था ।
3. भारत में कल्पवृक्ष का वानस्पतिक नाम क्या है ?
भारत में कल्पवृक्ष का वानस्पतिक नाम – “बंबोकेसी” है।
4. कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम क्या है?
कल्पवृक्ष का वैज्ञानिक नाम – “ओलिया कस्पीडाटा“ है।
5. क्या कल्पवृक्ष के पत्तों को कच्चा या सूखा खाया जा सकता है?
जी हाँ, कल्पवृक्ष के पत्तों को सूखा या कच्चा भी खाया जा सकता है ।
6. ज्योतिष में कल्पवृक्ष का क्या महत्व है?
ज्योतिष के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर कोई वरदान मांगता है तो वह पूरी हो जाती है I
7. पद्मपुराण के अनुसार किस वृक्ष को कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है?
पद्मपुराण के अनुसार पारिजात वृक्ष को कल्पवृक्ष के नाम से जाना जाता है ।
8. कल्पवृक्ष के पत्तों से कौन कौन सी बीमारियां दूर होती है?
कल्पवृक्ष के पत्तों से दमा, एलर्जी, मलेरिया, इत्यादि बीमारियों को दूर किया जा सकता है।