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जन्मकुंडली में कमजोर बृहस्पति : लक्षण और उपाय (Janmkundali Me Kamjor Brihaspati : Lakshan Aur Upay)

जन्मकुंडली में कमजोर बृहस्पति : लक्षण और उपाय (Janmkundali Me Kamjor Brihaspati : Lakshan Aur Upay)

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वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों में बृहस्पति को एक अलग मुख्य तथा भिन्न स्थान प्राप्त है । बृहस्पति को सभी देवताओं के गुरु का स्थान प्राप्त है। बृहस्पति के प्रभाव से ही ज्ञान तथा धन संपत्ति, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। बृहस्पति मजबूत होने पर जातक को उच्च-शिक्षा, धार्मिक ज्ञान, सम्मान तथा बुद्धि देता है।  बृहस्पति पर ही निर्भर करता है कि जातक का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा।  बृहस्पति शुभ फलों के साथ-साथ अशुभ परिणाम भी देता है। जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि में या अशुभ ग्रह के साथ बैठ जाए तो प्रतिकूल फलों की प्राप्ति होगी ।

वैदिक ज्योतिष मेंबृहस्पति ” : (Vedic Jyotish Me “Brihaspati”)

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जन्मकुंडली में बृहस्पति को 2 राशियों अर्थात धनु राशि और मीन राशि के स्वामी का स्थान प्राप्त है। बृहस्पति – मकर राशि में नीच के होते है। यदि जन्मकुंडली में बृहस्पति मजबूत अवस्था में हो तो जातक देखने में मनमोहक, तेजस्वी तथा आकर्षक होगा। बृहस्पति प्रधान जातक उच्चतम शिक्षा प्राप्त करता है, साथ ही साथ धार्मिक कार्य करता है और इनका वैवाहिक जीवन भी सुखद होता है। 

बृहस्पति यदि जन्मकुंडली में, शनि, राहु या केतु के साथ बैठ जाए तो बुरे फल भी देता है अर्थात जीवन में कितना भी परिश्रम कर लें पर हासिल कुछ भी नहीं होता, इसलिए, जन्मकुंडली में बृहस्पति की स्थिति को देखना अति आवश्यक है। 

बृहस्पति के कमजोर तथा बुरे स्थितियों को जान लेने के बाद उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए ज्योतिष में अनेकों टोटके तथा उपाय दिए गए है जिन्हें आसानी से करके बृहस्पति के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।

जन्मकुंडली में कमजोर बृहस्पति की स्थिति तथा उपाय : (Janmkundali Me Kamjor Brihaspati Ki Sthiti Tatha Upay)

आइये जानते है, जन्मकुंडली में बृहस्पति के उन स्थितियों को जहाँ पर बृहस्पति के बैठने से बृहस्पति कमजोर होकर बुरे फल प्रदान करता है और साथ ही साथ प्रत्येक स्थिति के अनुसार उसके उपाय :

1. प्रथम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति प्रथम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक के अंदर आत्मविश्वास की कमी आ जाती है। जातक सही निर्णय लेने में असमर्थ होता है तथा आर्थिक तंगी का सामना करता है ।

उपाय तथा टोटके :

  • घर अथवा कमरे को पिले रंग से रंगवाएँ ।
  • सोना पहनें ।
  • अपने से बड़ों तथा महिलाओं का सम्मान करें।
  • अपनी नाभि पर केसर का तिलक लगाएं ।
  • संत महात्मा तथा गुरुओं की सेवा करे और उन्हें वस्त्र भेंट में दें।
  • किसी से दान ना लें और नाही किसी को दान दें।
  • अपने भाग्य पर विश्वास रखें।

2. द्वितीय भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति द्वितीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को अपनी माता की संपत्ति से जुड़ीं समस्याओं का सामना करना पड़ता है तथा यह “मूल परिवार” के विनाश का कारण भी होता है। ऐसे जातकों के परिवार में कलह बना रहता है।

उपाय तथा टोटके :

  • सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें ।
  • अतिथियों का सम्मान करें और  उनकी अच्छे से खातिरदारी भी करें।
  • सांप को दूध पिलाएं, यह आपके लिए शुभ फलदायक होगा। 
  • चना दाल को एक पिले रंग के कपड़ें में बांधकर किसी मंदिर के पुजारी को दान में दें।

3. तृतीय भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति तृतीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक का उसके भाई – बहनों के साथ अनबन बनी रहती है । ऐसे जातक आलसी भी होते है । तीसरे भाव में गुरु कमजोर होने पर जातक में साहस की कमी पाई जाती है ।

उपाय तथा टोटके :

  • हल्दी या केसर का तिलक लगाएं।
  • भगवान श्री हरि की पूजा करें।
  • कुवारी कन्याओं की मदद करें। 
  • पीपल वृक्ष की पूजा करें ।
  • किसी के साथ बहस में बिल्कुल भी न पड़ें ।
  • पिले फूलों के पौधे लगाएं ।

4. चतुर्थ भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति चतुर्थ भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक जिद्दी स्वभाव का हो सकता है तथा वह अपने और अपने परिवार के विनाश का कारण बन सकता है।  ऐसे जातक अपने परिजन तथा अपने दोस्तों को परेशानी में डाल देते है। शराब या फिर किसी नशे के कारण परिवार और समाज में बदनामी झेलनी पड़ती है।

उपाय तथा टोटके :

  • सांप को दूध पिलाएं, यह आपके लिए शुभ फलदायक होगा। 
  • अपने से बड़ों का सम्मान करें।
  • अपने घर में मंदिर का निर्माण ना करें ।
  • किसी के सामने भी अपने शरीर को उजागर न करें ।
  • तीर्थ यात्रा पर जाना शुभ फलदायक है ।

5. पंचम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति पंचम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक के अपने बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है या फिर जातक संतानहीन हो सकता है। ऐसे जातक धर्म के नाम पर पैसे कमाते है। ऐसे जातकों को इनकी खुद की हरकत ही इन्हें कष्ट पहुंचाते है ।

उपाय तथा टोटके :

  • भगवान श्री गणेश की पूजा करें।
  • कुत्ता अवश्य पालें ।
  • शिक्षक का सम्मान करें ।
  • मांस या शराब का सेवन ना करें।
  • गुरुवार का व्रत करें ।
  • घर में पीले फूलों के पौधे लगाएं ।
  • किसी से भी दान या उपहार न लें ।

6. षष्ठम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति षष्ठम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को गरीबी, आर्थिक परेशानियां तथा रोगों का सामना करना पड़ता है। जातक खर्चीला होगा। जीवन के 34वें वर्ष में काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है ।

उपाय तथा टोटके :

  • कुत्ता अवश्य पालें ।
  • मुर्गों को मसूर दाल खिलाएं ।
  • सोने के आभूषण अवश्य पहनें।
  • पुजारी को दान में वस्त्र दें ।
  • गुरुवार के दिन गरुड़ पुराण का पाठ अवश्य करें ।
  • पीपल के वृक्ष में जल  चढ़ाएं।
  • बुजुर्गों का सम्मान करें ।

7. सप्तम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति सप्तम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को कभी भी जीवनसाथी का सहयोग प्राप्त नहीं होता।  बच्चों के वजह से भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बुढ़ापे में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। किसी से भी सहायता प्राप्त नहीं होगी।

उपाय तथा टोटके :

  • शिव जी की पूजा करें ।
  • घर में मंदिर न बनाएं ।
  • तीर्थ यात्रा पर जाएँ ।
  • मेंढकों की हत्या न करें ।
  • पीले कपड़े में सोना लपेटकर अपने पास रखें।
  • पीपल के वृक्ष में जल  चढ़ाएं।

8. अष्टम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति अष्टम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जातक के पास पैसा होने पर भी जातक कर्ज में डूब जाता है। जातक में साहस की कमी होती है। 

उपाय तथा टोटके :

  • गले में पीला धागा अवश्य पहनें।
  • शमशान में पीपल का पेड़ लगाएं।
  • लगातार ३ दिनों तक किसी भी मंदिर में  हल्दी के टुकड़ें दान करें।
  • घी, आलू तथा कपूर का दान किसी भी मंदिर या धार्मिक स्थान में करें ।
  • किसी भी गरीब या भिखारी को अपने घर से बिना कुछ दान दिए जाने ना दें।

9. नवम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति नवम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक नास्तिक  बन जाता है। ऐसे जातक अपने गलत कर्म तथा बुरी आदतों के कारण कर्ज में डूब जाते है। ऐसे जातक आर्थिक तंगी का सामना करते है। नवम भाव में बृहस्पति कमजोर हो तो जातक अधर्मी बन जाता है ।

उपाय तथा टोटके :

  • प्रत्येक दिन मंदिर जरूर जाएँ। 
  • मांस और शराब का सेवन न करें। 
  • गाय की सेवा करें।
  • बहते जल में चावल प्रवाहित करें। 
  • गंगा में स्नान करें और गंगा जल का सेवन करें। 
  • झूठ बिल्कुल भी ना बोलें ।
  • किसी का जूठा भोजन न खाएं ।

10. दशम भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति दशम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक कर्मक्षेत्र को लेकर परेशानियों का सामना करेगा। परिवार वालों को भी कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

उपाय तथा टोटके :

  • 43 दिन लगातार किसी भी मंदिर में बादाम चढ़ाएं। 
  • 43 दिन लगातार तांबे का सिक्का बहते हुए जल में प्रवाहित करें। 
  • केसर का तिलक लगाएं।
  • पीले रंग के कपड़ें न पहनें।
  • सोना धारण न करें। 
  • सिर को हमेशा ढ़क कर रखें ।

11. एकादश भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति एकादश भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को धन लाभ नहीं होता। ऐसे जातकों को अपनी बहन या चाची से खुशी नहीं मिलती। ऐसे जातक अपने पिता के बिना कुछ भी नहीं होते। ऐसे जातकों को सामाज में बदनामी का सामना करना पड़ता है ।

उपाय तथा टोटके :

  • तांबे का कड़ा पहनें ।
  • सोना जरूर पहनें ।
  • पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं ।
  • हमेशा पिले रंग का रुमाल अपने पास रखें ।
  • पिता द्वारा उपयोग किए गए वस्त्र तथा विस्तर का उपयोग करें।
  • मांस तथा शराब का सेवन बिल्कुल भी ना करें ।

12. द्वादश भाव : जन्मकुंडली में यदि बृहस्पति द्वादश भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को किसी की भी सहायता नहीं मिलती। ऐसे जातक के पास सब कुछ होते हुए भी किसी भी चीज का सुख प्राप्त नहीं होता। 

उपाय तथा टोटके :

  • पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं ।
  • संत महात्मा तथा गुरुओं की सेवा करे और उन्हें पिले रंग के वस्त्र भेंट में दें।
  • हल्दी  या केसर का तिलक लगाएं। 
  • सिर को हमेशा ढ़क कर रखें ।
  • झठ न बोलें। 
  • पुखराज धारण करें ।
  • गुरुवार के दिन गरुड़ पुराण का पाठ अवश्य करें ।
  • पिता का सम्मान तथा उनकी सेवा करें ।

बृहस्पति कावैदिक मंत्र” :

।। ऊॅँ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्बिभाति क्रतुमज्जनेषु।।
।। यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

बृहस्पति कातांत्रिक मंत्र”:

।।’ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।

बृहस्पति काबीज मंत्र”:

।।ॐ बृं बृहस्पतये नम:।।

Frequently Asked Questions

1. बृहस्पति के टोटके तथा उपायों को किस दिन करना चाहिए ?

बृहस्पति के टोटके तथा उपायों को बृहस्पतिवार के दिन करना चाहिए।

2. बृहस्पति के टोटके तथा उपायों को कौन से नक्षत्र में करना चाहिए ?

बृहस्पति के टोटके तथा उपायों को बृहस्पति  के नक्षत्र “पुनर्वसु, विशाखा या  पूर्वभाद्रपद में ही  करना चाहिए।

3. बृहस्पति के उपायों को गुरु के होरा में करना चाहिए या नहीं ?

बृहस्पति  के उपायों को गुरु के होरा में करना अति शुभ है ।

4. बृहस्पति ग्रह का बीज मंत्र क्या है ?

बृहस्पति ग्रह का बीज मंत्र है – ।। बृं बृहस्पतये नम:।।