जन्मकुंडली में कमजोर मंगल : लक्षण और उपाय (Janmkundali Me Kamjor Mangal : Lakshan Aur Upay)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों तथा नक्षत्रों का शुभ और अशुभ प्रभाव मनुष्यों के ऊपर पड़ता है। इन्हीं नवग्रहों में से एक “मंगल” है। मंगल को ज्योतिष शास्त्र में क्रूर ग्रह की संज्ञा दी गयी है। मंगल की आकृति पृथ्वी के सामन है तथा इसका रंग “लाल” है। मंगल वीरता, पराक्रम और साहस का प्रतीक है। जन्मकुंडली में यदि मंगल योगकारक हो तो जातक को धन-सम्पदा देता है तथा शत्रुहंता बनाता है पर अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो तो जातक का अमंगल करता है।
वैदिक ज्योतिष में “मंगल ” : (Vedic Jyotish Me “Mangal”)
जन्मकुंडली में मंगल की 2 राशियां होती है – मेष राशि और वृश्चिक राशि। मंगल मकर की राशि में उच्च का तथा कर्क राशि में नीच का होता है। जन्मकुंडली में मंगल यदि शुभता लिए हुए हो, तो जातक देखने में आकर्षक और तेजस्वी होता है पर जातक को गुस्सा भी बहुत आएगा। ऐसे जातक किसी के अधीनस्थ होकर काम करना पसंद नहीं करते। मंगल योगकारक होने पर जातक ऊर्जावान होता है और कोई भी निर्णय लेने में देर नहीं लगाकर उस कार्य को जल्दी संपन्न करता है। जातक अपने जीवन के प्रत्येक संघर्ष का सामना पूरी शक्ति के साथ करता है। परन्तु, यदि जन्मकुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो, तो जातक अत्यंत क्रोधी होगा। जातक अकारण ही सबसे लड़ने वाला और जिद्दी होगा। ऐसे जातक मंगल की अशुभता के कारण कर्ज में डूबे रहते है। मंगल के कमजोर तथा बुरे स्थितियों को जान लेने के बाद उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए ज्योतिष में अनेकों टोटके तथा उपाय दिए गए है जिन्हें आसानी से करके मंगल के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।
जन्मकुंडली में कमजोर मंगल की स्थिति तथा उपाय : (Janmkundali Me Kamjor Mangal Ki Sthiti Tatha Upay)
आइये जानते है, जन्मकुंडली में मंगल के उन स्थितियों को जहाँ पर मंगल के बैठने से मंगल कमजोर होकर बुरे फल प्रदान करता है और साथ ही साथ प्रत्येक स्थिति के अनुसार उसके उपाय :
1. प्रथम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल प्रथम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक अत्यंत क्रोधी होता है। जातक में शक्ति का आभाव होता है। ऐसे जातक दुर्घटनाओं का शिकार होते है। जातक को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता नहीं मिल पाती।
उपाय तथा टोटके :
- चैरिटी या मुफ्त में किसी को सामान देने से बचें।
- हाथी दन्त से बनी हुई चीजें अपने पास न रखें।
- संत और फकीरों के साथ सम्बन्ध दुर्भाग्यपूर्ण होगा।
- झूठ ना बोलें और बुरे काम ना करें।
- भगवान शिव पर जल अर्पित करें।
2. द्वितीय भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल द्वितीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक आर्थिक मामलों को लेके परेशान रहेगा। जातक का कमाया गया धन नष्ट होगा । जातक के व्यापार के लिए यह एक दुर्योग का निर्माण करता है। जातक को मसूंडों और दांतों से जुड़ीं समस्याएँ होंगी।
उपाय तथा टोटके :
- चंद्र से संबंधित व्यापार लाभकारी होगा इसलिए चंद्र का उपाय करें।
- अपने घर में हिरण की खाल रखना लाभकारी होगा।
- ससुराल वालों के लिए प्याऊ का निर्माण करवाएं।
3. तृतीय भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल तृतीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक में आत्मविश्वास और साहस की कमी होगी। जातक का उसके भाइयों के साथ सम्बन्ध अच्छा नहीं होगा। जातक अपनी गलत भाषा और वाणी के कारण अनेकों दुश्मन बना लेगा।
उपाय तथा टोटके :
- समृद्धि के लिए भाइयों के साथ अच्छा व्यवहार करें।
- बुरे भाषा का प्रयोग न करें। सबको आदर सम्मान दें।
- चांदी का छल्ला अपने बाएं हाथ की ऊँगली में धारण करें।
- माता सरस्वती की उपासना करें।
4. चतुर्थ भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल चतुर्थ भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक और जातक के परिवार वाले दुखी रहते है। जातक अपने परिवार के बीच रहकर भी अपने आप को अकेला और असहाय महसूस करता है जिसके कारण जातक में आत्मविश्वास और साहस की कमी आ जाती है और जातक की यह स्थिति उसके माँ लिए भी कष्टकारी होती है।
उपाय तथा टोटके :
- बरगद के पेड़ में मीठा दूध चढ़कर उसके जड़ के पास की मिटटी को अपने नाभि पर लगाएं।
- आग के खतरे से खुद को बचाने के लिए घर, ऑफिस और दुकान पर चीनी की खाली की हुई बोरियां या बैग रखें।
- चांदीं का एक चौकोर टुकड़ा अपने पास रखना लाभकारी होता है।
5. पंचम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल पंचम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक को संतान जन्म देने में समस्या आती है। व्यक्ति को भूल से भी लॉटरी या सट्टा में निवेश नहीं करना चाहिए। जातक अपने ही किसी गलत निर्णय के कारण दुःख भोगता है ।
उपाय तथा टोटके :
- उत्तम चरित्र का पालन करें।
- पित्तरों का श्राद्ध करें।
- घर में नीम का पेड़ लगाएं।
- रात में सोते समय सिरहाने के पास एक बर्तन में पानी रखें और उसे सुबह किसी पेड़ में डाल दें।
6. षष्ठम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल षष्ठम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक में ऊर्जा की कमी होती है। ऐसे जातक आलसी हो जाते है। जातक भागदौड़ के काम से दूर भागता है । जातक को रक्तचाप से सम्बंधित बीमारियां होती है । जातक कर्ज मे भी डूब सकता है।
उपाय तथा टोटके :
- बेटे के जन्म पर मिठाई के जगह नमक बाटें ।
- अपने भाइयों को कोई न कोई उपहार देते रहें।
- जातक के बच्चों को सोना नहीं पहनना चाहिए।
- पारिवारिक शांति और सुरक्षा के लिए शनि के उपाय मददगार होंगे।
- माता -पिता के स्वास्थ्य के लिए गणपति जी की पूजा करें।
7. सप्तम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल सप्तम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक के वैवाहिक जीवन में अशांति लाता है। जातक को विवाह करने में अरुचि होगी। जातक का वैवाहिक सम्बन्ध यदि अच्छा न रहा तो घर से बाहर भी अवैध सम्बन्ध बन सकते है। मंगल की यह स्थिति व्यापार के लिए भी अशुभ है।
उपाय तथा टोटके :
- घर में चांदी का ठोस टुकड़ा रखें।
- बहन, बेटी,बुआ तथा अन्य महिलाओं को उपहार में मिठाई दें।
- खुद ही छोटे से दिवार को बनाएं और उसे नष्ट करें।
8. अष्टम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल अष्टम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक में आत्मज्ञान की कमी होती है। जातक खुद को लेकर असुरक्षा महसूस करता है। मंगल का यह स्थान जीवनसाथी के स्वाथ्य के लिए भी अशुभ है।
उपाय तथा टोटके :
- विधवाओं की सहायता करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- गले में चांदी की चैन पहनें।
- तंदूर पर बनी मीठी रोटियां कुत्तों को खिलाएं।
- घर में एक अँधेरा कमरा बनाएं जहाँ सूर्य की किरण भी ना पहुंच सकें।
- गुड़,चना तथा दाल का दान धार्मिक स्थानों पर करें।
9. नवम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल नवम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक को “उच्च शिक्षा” प्राप्त करने में परेशानी होती है। जातक आसानी से जीवन में उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता जहाँ पहुंचना चाहता हो। मंगल की यह स्थिति जातक के पिता के लिए भी अशुभ फलदायक होती है।
उपाय तथा टोटके :
- बड़े भाइयों की आज्ञा माने तथा उनका सम्मान करें।
- अपने रीति रिवाजों का पालन करें।
- नास्तिक नहीं बनना चाहिए।
- चावल, दूध, गुड़ का दान धार्मिक स्थलों पर करें।
10. दशम भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल दशम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक में साहस का आभाव होता है। समाज में जातक के मान सम्मान को खतरा होता है । जातक को कर्मक्षेत्र में मुश्किलो का सामना करना पड़ता है। जातक के पारिवारिक जीवन में भी अड़चनें आती है ।
उपाय तथा टोटके :
- सोना तथा पैतृक संपत्ति नहीं बेचनी चाहिए।
- हिरण की खाल रखना लाभकारी होगा।
- दूध उबलते समय दूध को गिरने न दें।
- निःसंतान तथा कानें व्यक्तियों की मदद करें।
11. एकादश भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल एकादश भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक आर्थिक मामलों में उलझनों का सामना करता है। जातक के मित्र उसकी सहायता नहीं करते। मंगल की यह स्थिति जातक को सफलता प्राप्त करने नहीं देता।
उपाय तथा टोटके :
- मिट्टी के बर्तन में सिंदूर या शहद भर कर रखें।
- जातक को अपनी पैतृक संपत्ति कभी भी नहीं बेचनी चाहिए।
- हनुमान जी की आराधना करें।
12. द्वादश भाव : जन्मकुंडली में यदि मंगल द्वादश भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक खर्चीला होता है । जातक कर्ज में भी डूब जाता है। मंगल की इस स्थिति के कारण जातक को संभोग सुख प्राप्त नहीं होता।
उपाय तथा टोटके :
- सुबह में सबसे पहले शहद का सेवन करें।
- दूसरों को मिठाई उपहार में दें।
मंगल को बली बनाने के लिए दिव्य मंत्र :
मंगल का वैदिक मंत्र :
।। ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम।।
।। अपा रेता सिजिन्नवति।।
मंगल का तांत्रिक मंत्र :
।। ऊँ हां हंस: खं ख:
ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:।।
मंगल का बीज मंत्र :
।। ऊँ क्राँ क्रीं क्रों सः भौमाय नमः।।
मंगल का जाप मंत्र :
।। ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम ।।।। कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।
Frequently Asked Questions
1. मंगल के टोटके तथा उपायों को किस दिन करना चाहिए ?
मंगल के टोटके तथा उपायों को मंगलवार के दिन करना चाहिए।
2. मंगल के टोटके तथा उपायों को कौन से नक्षत्र में करना चाहिए ?
मंगल के टोटके तथा उपायों को मंगल के नक्षत्र “मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा” में ही करना चाहिए।
3.मंगल के उपायों को मंगल के होरा में करना चाहिए या नहीं ?
मंगल के उपायों को मंगल के होरा में करना अति शुभ है ।
4. मंगल का बीज मंत्र क्या है ?
मंगल का बीज मंत्र है – ।। ऊँ क्राँ क्रीं क्रों सः भौमाय नमः।।