जन्मकुंडली में कमजोर शनि : लक्षण और उपाय (Janmkundali Me Kamjor Shani : Lakshan Aur Upay
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मनुष्य जीवन पर प्रत्येक ग्रह और क्षत्र का शुभ और अशुभ रूप से प्रभाव पड़ता है। ग्रह और नक्षत्र ही मनुष्य जीवन में होने वाले प्रत्येक घटना के लिए उत्तरदायी भी होते है। इन्हीं नवग्रहों में से एक है शनि ग्रह। प्रत्येक ग्रह के तरह शनि भी जातक के जीवन में शुभ और अशुभ प्रभाव देता है और यदि कुंडली में शनि गलत स्थान में बैठ कर बुरे फल दे रहा है तो ज्योतिष में इसका भी उपाय तथा टोटका दिया गया है ।
वैदिक ज्योतिष में “शनि” : (Vedic Jyotish Me “Shani”)
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जन्मकुंडली में शनि को 2 राशियां अर्थात मकर राशि और कुंभ राशि के स्वामी का स्थान प्राप्त है। शनि – मेष राशि में नीच के होते है। शनि, भगवान सूर्य देव के पुत्र तथा यम देव के भाई है। शनि न्यायाधीश है – ये कर्म के देवता है। शनि देव लोगों को उनके कर्म के अनुरूप फल देते है। यदि जन्मकुंडली में शनि मजबूत अवस्था में हो, तो जातक समाज में अच्छे कर्म के लिए मान-सम्मान प्राप्त करता है । जातक ऊँची पदवी प्राप्त करता है। शनि ग्रह की शुभ स्थिति होने से जातक सही निर्णय लेता है और पक्षपात नहीं करता। यदि कुंडली में शनि कमजोर हो तो जातक को हर कार्य में असफलता मिलती है और वो समाज में बुरे कर्मों के लिए जाना जाता है । ऐसे जातक बहुत सारी बीमारियों से भी ग्रसित होते है। शनि के कमजोर तथा बुरे स्थितियों को जान लेने के बाद उसके दुष्परिणामों से बचने के लिए ज्योतिष में अनेकों टोटके तथा उपाय दिए गए है जिन्हें आसानी से करके शनि के शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है।
जन्मकुंडली में कमजोर शनि की स्थिति तथा उपाय : (Janmkundali Me Kamjor Shani Ki Sthiti Tatha Upay)
आइये जानते है, जन्मकुंडली में शनि के उन स्थितियों को जहाँ पर शनि के बैठने से शनि कमजोर होकर बुरे फल प्रदान करता है और साथ ही साथ प्रत्येक स्थिति के अनुसार उसके उपाय :
1. प्रथम भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि प्रथम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो, जातक गरीब होता है। जातक को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक के किसी भी निर्णय में गंभीरता नहीं दिखती। इन्हें अकारण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनका वैवाहिक जीवन भी सुखद नहीं होता।
2. द्वितीय भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि द्वितीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक का उसके ससुराल वालों के साथ अनबन बनी रहती है। जातक धन कमाने के लिए बहुत समस्याओं का सामना करता है।
3. तृतीय भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि तृतीय भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक का उसके छोटे भाई बहनों के साथ अनबन बनी रहती है। जातक मानसिक तौर पर परेशान रहता है। जातक को वाहन सावधानी पूर्वक चलानी चाहिए ।
4. चतुर्थ भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि चतुर्थ भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक और उसका परिवार मांस और मदिरा का सेवन करने लग जाता है, जो की बहुत ही अनिष्टकारी सिद्ध होता है। जातक का उसके परिवार वालों के साथ अनबन बनी रहती है।
5. पंचम भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि पंचम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक को 48वर्ष उम्र तक अपने घर का निर्माण नहीं करना चाहिए। जातक को अपने पुत्र के द्वारा निर्माण किये गए घर में ही रहना चाहिए।
6. षष्ठम भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि षष्ठम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक ऋण और रोगों से परेशान रहेगा। जातक को लोहे और चमड़े की चीजें खरीदना या व्यापार करना हानिकारक सिद्ध होगा।
7. सप्तम भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि सप्तम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं होता। जातक के शराब पीने से शनि और भी कमजोर होकर बुरे फल देने लगता है। जातक का व्यापार भी सही नहीं चलता।
8. अष्टम भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि अष्टम भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक के पिता की आयु कम होती है और जातक की आयु लम्बी होती है। जातक स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं से परेशान रहता है। अष्टम भाव शनि का मुख्यालय माना जाता है, लेकिन यदि बुध, राहु, और केतु जन्म कुंडली में नीच राशि में है तो यह हानिकारक सिद्ध होगा।
9. एकादश भाव : जन्मकुंडली में यदि शनि एकादश भाव में बैठ जाए और अपनी नकारात्मकता फैलाये तो जातक छल या लॉटरी से धन कमाता है। जातक को मित्रों से धोखा मिलता है।
शनि को मजबूत करने के टोटके और उपाय : (Shani Ko Majbut Karne Ke Totke Aur Upay)
- कुंडली में शनि यदि कमजोर है तो काली गाय का दान करें।
- शनि पीड़ित इंसान को शनिवार के दिन सरसों का तेल,चमड़े का जूता, उड़द की दाल, काले तिल तथा बर्तन और कम्बल दान में देने चाहिए ।
- शनिवार को एक लोहे के बर्तन में चावल, दही और नमक मिलाकर, कौओं को खिला दें ।
- शनि को बलि बनाने के लिए तथा इसके प्रकोप से बचने के लिए शनिस्तोत्रम, हनुमान चालीसा तथा महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें ।
- शनि के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए मोर पंख को अपने पास रखें ।
- शनिवार को पीपल के जड़ पे जल चढ़ाकर सरसों के तेल का दिया जलाएं ।
- शनिवार को दाढ़ी-मूंछ या सर के बाल न कटवाएं ।
- कुंडली में शनि यदि कमजोर है तो भिखारियों को दान में काले जूते दें ।
- शनि के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए नीलम रत्न धारण करें ।
- शनिवार को मांस मदिरा का सेवन ना करें ।
- रात में दूध नहीं पीना चाहिए ।
- शनि को बलि बनाने के लिए तथा इसके प्रकोप से बचने के लिए गहरे हरे रंग के कपड़ें पहने।
- सर्प हत्या भूल से भी ना करें ।
- किसी से झूठ ना बोलें और नाही धोखा दें ।
शनि का तांत्रिक मंत्र :
।। ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:।।
शनि का बीज मंत्र :
।। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
शनि का वैदिक मंत्र :
।। ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।।
शनि का सामान्य मंत्र :
।। ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
Frequently Asked Questions
1. शनि के टोटके तथा उपायों को किस दिन करना चाहिए ?
शनि के टोटके तथा उपायों को शनिवार के दिन करना चाहिए।
2. शनि के टोटके तथा उपायों को कौन से नक्षत्र में करना चाहिए ?
शनि के टोटके तथा उपायों को शनि के नक्षत्र “पुष्य, अनुराधा, उत्तरा–भाद्रपद” में ही करना चाहिए।
3. शनि के उपायों को शनि के होरा में करना चाहिए या नहीं ?
शनि के उपायों को शनि के होरा में करना अति शुभ है ।
4. शनि ग्रह का बीज मंत्र क्या है ?
शनि ग्रह का बीज मंत्र है – ।। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।