जन्म कुंडली में 3 शनि का योग : जल्दी करें उपाय (Janam Kundali Me 3 Shani Ka Yog : Jaldi Kare Upay)
जन्म कुंडली में जब शनि ग्रह एक नहीं 3 हो जाएँ तो व्यक्ति को कई समस्याएं घेर लेती है। ऐसा इंसान शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान ही रहता है तथा सफलता की सीमा पर पहुँच कर या तो हार मान जाता है या उसकी हार हो जाती है लेकिन इस समस्या से बचने के भी कई उपाय है पर उससे पहले आइये जान लेते है 3 शनि का निर्माण (3 Shani Ka Nirman) कैसे होता है :
लाल किताब के अनुसार, फ़रमान नंबर 10 यह कहता है कि “जन्म कुंडली में जब भी दो ग्रह एक साथ बैठ जाएं तो उन्हें “मस्नूई ग्रह“ कहा जाता है। ये मस्नूई ग्रह बनावटी या नकली ग्रह कहलाते है।
जिस प्रकार हरा और लाल रंग को मिलाया जाए तो भूरा रंग बनता है तथा नीले और पिले रंग के मिश्रण से हरा रंग बन जाता है उसी प्रकार बनावटी व नकली ग्रह शुभ ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम कर देते है या फिर अशुभ ग्रहों की अशुभता को और बढ़ा देते है। अगर आपके भी कुंडली में एक शनि तथा 2 ग्रह मिलकर मस्नूई शनि का निर्माण कर रहें है और इस कारण आपकी जन्म कुंडली में 2 या 3 शनि विराजमान हो रहे और यह आपके लिए अनेकों बाधा उत्पन्न करेंगे। आइये, सबसे पहले जान लेते है किन ग्रहों के मेल से जन्म कुंडली में 3 शनि का निर्माण होता है।
जन्म कुंडली में 3 शनि का निर्माण : (Janam Kundali me 3 Shani ka Nirman )
जन्म कुंडली में पहला शनि : (Janam Kundali me Pahla Shani)
आपके जन्म कुंडली में शनि ग्रह अकेले जिस भी भाव में स्थित हो तो वह जन्म कुंडली का पहला शनि है ।
जन्म कुंडली में दूसरा शनि : (Janam Kundali me Dusra Shani)
जिस प्रकार जन्म कुंडली में सूर्य और बुध एक ही भाव में स्थित हो तो नकली मंगल नेक का रूप ले लेते है उसी प्रकार मंगल और बुध मिलकर शनि का रूप ले लेते है।
जन्म कुंडली में तीसरा शनि : (Janam Kundali me Tisra Shani)
जन्म कुंडली में यदि गुरु और शुक्र एक ही भाव में हो तो शनि का रूप धारण कर लेते है पर यह शनि, केतु के समान फल देने वाला होता है। यदि जन्म कुंडली में केतु शुभता लिए हुए हो अर्थात मकर और कुम्भ लग्न की कुंडली हो तो यह केतु रूपी शनि शुभ फल देगा वर्ना ये शनि अशुभ फल देगा और कष्टकारी ही होगा।
ज्योतिष के अनुसार शनि का उपाय : (Jyotish Ke Anusaar Shani Ka Upay)
- जन्म कुंडली में यदि दो या तीन शनि हो तो जातक को झूठ नहीं बोलना चाहिए ।
- शराब का सेवन ना करें ।
- शनिवार के दिन अपनी छाया दान करें । ऐसा 5 शनिवार करें ।
- भैरव महाराज को दूध अर्पित करें ।
- हमेशा अपने कान, नाक तथा दांत साफ़ रखें।
- प्रत्येक दिन या प्रत्येक शनिवार को शमी के पौधे की पूजा करें ।
- कौओं को रोटी खिलाएं ।
- प्रत्येक दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- अपाहिज तथा सफाई कर्मचारियों की आर्थिक सहायता करें ।
10. अंधों को भोजन खिलाएं।
11. लॉटरी या ब्याज का धंधा नहीं करना चाहिए ।
शनि ग्रह से जुड़ें महत्वपूर्ण जानकारी : (Shani Grah Se Jude Mahatvpurn Jankari)
शनि ग्रह के शांति के उपायों में कुछ उपाय ऐसे भी है जिसका ध्यान रखना बहुत ही जरूरी है, जैसे की :
- यदि शनि जन्म कुंडली के प्रथम भाव में स्थित हो तो भूल से भी किसी भिखारी को या फिर उपहार स्वरूप किसी को भी तांबा या तांबे का सिक्का न दें।
- शनि ग्रह यदि जन्म कुंडली के आयु स्थान में हो तो धर्मशाला न बनाएं।
जन्म कुंडली के आठवें भाव में यदि शनि ग्रह हो तो मकान का निर्माण न करवाएं, आप अपने पुत्र के द्वारा बनाए गए मकान में रह सकते है।
Frequently Asked Questions
1. मंगल और बुध मिलकर क्या बन जाते है?
मंगल और बुध मिलकर शनि बन जाते है
2. गुरु और शुक्र कौन से ग्रह का रूप ले लेते है
गुरु और शुक्र, शनि ग्रह का रूप ले लेते है
3. जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शनि है तो तांबा दान कर सकते है?
जी नहीं, जन्म कुंडली के प्रथम भाव में शनि हो तो तांबा दान नहीं करना चाहिए
4. क्या जन्मकुंडली के आयु भाव में शनि होने से धर्मशाला बनवा सकते है?
जी नहीं, जन्मकुंडली के आयु भाव में शनि होने से धर्मशाला नहीं बनवा सकते है।
5. क्या जन्म कुंडली के आठवें भाव में शनि होने से खुद का मकान बनवा सकते है?
जी नहीं, जन्म कुंडली के आठवें भाव में शनि होने से खुद का मकान नहीं बनवाना चाहिए।