कुंडली के 12 भावों में चंद्रमा और मंगल युति का फल (Kundali Ke 12 Bhavon Me Chandrama Aur Mangal yuti Ka Fal)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्मकुंडली में कुल 9 ग्रह होते है जिनका प्रभाव जातक के जीवन में शुभ या अशुभ तरह से पड़ता है। एक ग्रह जन्म कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठ कर जातक के जीवन में अलग-अलग रूप से अपना प्रभाव दिखाता है। किन्तु जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों के युति भी देखने को मिलते है अर्थात जब 2 या 2 से ज्यादा ग्रह जन्म कुंडली के किसी भाव में एक साथ विराजित हो। ये ग्रहों की युतियां जातक के जीवन में कुंडली के भावों के अनुसार ही फल देते है। आज हम बात करेंगे जन्म कुंडली के 12 भावों में चंद्र मंगल युति के फल के बारे में। तो चलिए शुरू करते है :
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जहाँ चन्द्रमा मन और भावनाओं का कारक ग्रह है और वहां मंगल क्रोध और ऊर्जा का प्रतीक है। एक तरफ जहाँ चन्द्रमा को शांत ग्रह की श्रेणी में रखा गया है वहीं दूसरी तरफ मंगल को साहस, पराक्रम और बल का प्रभुत्व प्राप्त है। अर्थात चंद्र मंगल युति भावना और पराक्रम का मेल है।
जन्म कुंडली के 12 भावों में चंद्र मंगल युति का फल :
कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का प्रथम भाव जातक के व्यक्तित्व और शारीरिक बनावट को दर्शाता है। कुंडली के प्रथम भाव में चन्द्रमा जातक को मानसिक शांति तो देता ही है साथ ही गोरा और आकर्षक बनाता है। जबकि, लग्न में विराजित मंगल जातक को साहसी और पराक्रमी बनाता है। प्रथम भाव में चन्द्र और मंगल जातक को भावनात्मक रूप से कठोर बनाता है।
कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- इनमें किसी भी परिस्थिति का डटकर सामना करने का जज्बा होता है।
- ये मन से कोमल होते हुए भी बहादुर और निडर होते है।
कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- चन्द्रमा यदि अपना नकारात्मक फल दे रहा हो तो जातक के मन में हर समय क्रोध और शक भरा रहेगा।
- मंगल के नकारात्मक होने पर जातक हिंसक और आक्रामक हो सकता है।
कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा और मंगल की युति का फल :
जन्म कुंडली का दूसरा भाव अर्थात धन भाव धन और संपत्ति को दर्शाता है। यहाँ पर उपस्थित चंद्र मंगल युति जातक को अति धनवान बना देता है। ऐसे जातक मौद्रिक दृष्टिकोण से भाग्यशाली और उच्च स्तरीय परिवार से होते है।
कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- धन भाव में चंद्र मंगल जातक को धन, संपत्ति और प्रसिद्धि दिलाता है।
- इन्हें वित्तीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए वित्तीय क्षेत्र में उतार चढ़ाव होने के बावजूद भी ये सफलता हासिल करते है।
कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- ऐसे जातकों का उनके परिवार वालों या रिश्तेदारों के साथ अनबन बना रहता है।
- जातक को मसूंडों और दांतों से जुड़ीं समस्याएँ होंगी।
कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा और मंगल की युति का फल :
जन्म कुंडली का तीसरा भाव बुद्धि और पराक्रम को दर्शाता है। तीसरे भाव में यदि चंद्र मंगल युति, जातक को बुद्धिमान और पराक्रमी बनाता है। ऐसे जातकों की याददाश्त बहुत तेज होती है। ये अपने बल पर धन अर्जित करते है।
कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ये अपने वाणी के बल पर सबको मोहित कर लेते है।
- ये कोई भी काम को करने में संकोच नहीं करते।
कुंडली के तृतीय भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- जातक में आत्मविश्वास और साहस की कमी होगी।
- जातक अपनी गलत भाषा और वाणी के कारण अपने दोस्तों को भी अपना दुश्मन बना लेगा।
कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का चौथा घर धन संपत्ति, मातृभूमि तथा माँ को दर्शाता है। चौथे भाव में चंद्र मंगल युति होने पर जातक में आत्मविश्वास और साहस भरी होती है। ऐसे जातक को हर कार्य में उसकी माँ का सहयोग प्राप्त होता है। आमतौर पर चंद्र मंगल युति चौथे भाव में मिश्रित फल ही देता है लेकिन ये एक सफल व्यक्ति होते है।
कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ये समाज में मान – सम्मान प्राप्त करते है।
- ये विज्ञान के क्षेत्र में सफलता हासिल करते है।
कुंडली के चतुर्थ भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- यदि मंगल अपनी अशुभता फ़ैला रहा हो तो जातक के घर में लड़ाई झगड़े चलते ही रहते है।
- जातक अपने परिवार वालों के साथ रहकर भी अपने आप को अकेला और असहाय महसूस करता है।
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कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का पांचवा भाव संतान, शारीरिक सम्बन्ध तथा रचनात्मकता को दर्शाता है। इस भाव में मंगल अति शुभ फल देता है। पांचवे भाव में चंद्र मंगल युति जातक को लोकप्रिय और स्वस्थ बनाता है, साथ ही जातक के भावनाओं पर गहरा प्रभाव भी डालता है।
कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ये जीवन में धन और संपत्ति तो प्राप्त करते ही है साथ ही शत्रु पर विजय भी हासिल करते है।
- ऐसे जातक अत्यधिक दयालु होते है इस कारण ये NGO में अपना योगदान देते है।
कुंडली के पंचम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- मंगल और चंद्रमा के प्रभाव के कारण जिद्दी और आक्रामक भी हो सकते है।
- इन्हें गर्भपात और संतान के जन्म से सम्बंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कुंडली के षष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का छठा भाव रोग और ऋण को दर्शाता है। छठे भाव में चंद्र मंगल की युति जातक को शत्रुहंता तथा मजबूत स्वास्थ्य प्रदान करता है। ऐसे जातकों का उनका दुश्मन कुछ भी नहीं बिगाड़ पाता। ऐसे जातक अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार होते है।
कुंडली के षष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
- इन्हें खाद्य पदार्थ के क्षेत्र या बिज़नेस में सफलता प्राप्त होता है।
कुंडली के षष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- जातक में ऊर्जा की कमी होती है।
- जातक को रक्तचाप से संबंधित बीमारियां होती है।
कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का सप्तम भाव जीवनसाथी, विवाह और साझेदारी को दर्शाता है। जन्म कुंडली के सप्तम भाव में चंद्र मंगल की युति होने से जातक निष्पक्ष, आकर्षक और एक सुन्दर काया वाला होता है। इस भाव में चंद्र मंगल होने से जातक को शांत, सुन्दर और जिम्मेदार जीवनसाथी प्राप्त होता है।
कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- इन्हें व्यापार में सफलता मिलती है।
- ये कला के क्षेत्र में सफलता हासिल करते है और अपनी कला द्वारा धन भी कमाते है।
कुंडली के सप्तम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- मंगल की अत्यधिक ऊर्जा और मांगलिक दोष जातक को क्रूर बनाता है।
- ये स्वार्थी होते है और अपने लाभ के लिए किसी का भी इस्तेमाल कर सकते है।
कुंडली के अष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का अष्टम भाव आयु, मृत्यु, तथा अचानक होने वाली घटनाओं को दर्शाता है। अष्टम में चन्द्र मंगल के कारण जातक दयालु, और आशावादी स्वभाव के होते है। ये किसी को भी अपनी और आकर्षित कर लेते है। इनका जीवनसाथी साथ निभाने वाला होता है।
कुंडली के अष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- इन्हें अत्यधिक धन लाभ प्राप्त होता है।
- ये किसी भी कार्य को करने से पीछे नहीं हटते।
कुंडली के अष्टम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- ये किसी को भी धोखा दे सकते है ।
- इन्हें स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नवम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का नवम भाव भाग्य, तीर्थ तथा आध्यात्मिकता को दर्शाता है। इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने से जातक का आध्यात्म के तरफ झुकाव होता है। ये अत्यधिक धार्मिक होते है। ऐसे जातक उच्च ज्ञान और प्रसिद्धि प्राप्त करते है।
कुंडली के नवम भाव में चंद्र मंगल युति का सकारात्मक फल :
- इन्हें सरकार से सहयोग प्राप्त होता है।
- ये लोग धन, संपत्ति, तथा समाज में मान सम्मान प्राप्त करते है।
कुंडली के नवम भाव में चंद्र मंगल युति का नकारात्मक फल :
- ऐसे जातक ऊर्जावान होने के बावजूद भी चिड़चिड़े होते है।
- नवम में चंद्र मंगल यदि शत्रु राशि में हो तो जातक ईश्वर पर विश्वास नहीं करता और अपनी मनमानी करता है।
कुंडली के दशम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का दशम भाव रोजगार, व्यवसाय, सफलता और प्रतिष्ठा को दर्शाता है। दशम भाव में चन्द्र और मंगल होने से जातक व्यवसाय में तो सफलता पाता ही है साथ ही दशम का मंगल जातक को सरकारी क्षेत्र में कोई उच्च पद दिलाता है।
कुंडली के दशम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ऐसे जातक उच्च स्तरीय सरकारी नौकरी पाते है।
- इनका जीवन सुखद होता है। ये अपने दम पर धन संपत्ति हासिल करते है।
कुंडली के दशम भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- जातक के पारिवारिक जीवन में भी अड़चनें आती है ।
- जातक को कर्मक्षेत्र में मुश्किलो का सामना करना पड़ता है।
कुंडली के एकादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का एकादश भाव लाभ और आय को दर्शाता है। अगर इस भाव में चन्द्रमा और मंगल युति बनाये हुए हो तो जातक आवेगी होता है। ऐसे जातक शेयर बाज़ार में सफलता हासिल करते है और अत्यधिक धन कमाते है। इनकी सबसे बड़ी खासियत है की ये किसी को भी समझाने में सक्षम होते है।
कुंडली के एकादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ये उच्च पद प्राप्त करते है साथ ही ये जीवन में कई पुरस्कार भी हासिल करते है ।
- ये जीवन में मान सम्मान और धन लाभ प्राप्त करते है।
कुंडली के एकादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- ऐसे जातकों को उनके मित्र सहायता नहीं करते।
- ऐसे जातकों को आर्थिक मामलों में उलझनों का सामना करता पड़ता है।
कुंडली के द्वादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का फल :
जन्म कुंडली का बारहवां भाव त्याग और मोक्ष को दर्शाता है। द्वादश भाव में चंद्रमा और मंगल की युति जातक को अधिक भावुक बनाता है। ये हर निर्णय अपने दिल से लेते हैं। ये एक सुखद जीवन जीने वाले होते हैं, ये खतरों से डरने के बजाय उसका सामना करते है।
कुंडली के द्वादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का सकारात्मक फल :
- ऐसे जातकों के दुश्मन इनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाते।
- ये विदेश से धन कमाते है।
कुंडली के द्वादश भाव में चंद्रमा और मंगल युति का नकारात्मक फल :
- मुसीबत आने पर ये बिना ज्यादा सोचे अनैतिक मार्ग पर भी चल देते है। चलने के पहले दो बार भी नहीं सोचेंगे। ये यात्रा बहुत करते है और जीवन में हर चीज के लिए एक भौतिकवादी दृष्टिकोण रखेंगे। अपने जीवन में, ये किसी भी माध्यम से अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहेंगे।
- जातक कर्ज में भी डूब जाता है I
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Frequently Asked Questions
1. जन्म कुंडली में चन्द्रमा किस चीज का कारक ग्रह है ?
जन्म कुंडली में चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है।
2. क्या जन्म कुंडली के लिए चंद्र मंगल युति शुभ है ?
जन्म कुंडली में चंद्र मंगल युति शुभ और अशुभ दोनों प्रकार का फल दे सकता है ।
3. चंद्र मंगल योग का दूसरा नाम क्या है ?
चंद्र मंगल योग का दूसरा नाम लक्ष्मी योग है।