Maa Kamaksha Ki Aarti | माँ कामाक्षा की आरती | Free PDF Download
|| माँ कामाक्षा की आरती ||
आरती कामाक्षा देवी की ।
जगत् उधारक सुर सेवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….
गावत वेद पुरान कहानी ।
योनिरुप तुम हो महारानी ॥
सुर ब्रह्मादिक आदि बखानी ।
लहे दरस सब सुख लेवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….
दक्ष सुता जगदम्ब भवानी ।
सदा शंभु अर्धंग विराजिनी ।
सकल जगत् को तारन करनी ।
जै हो मातु सिद्धि देवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….
तीन नयन कर डमरु विराजे ।
टीको गोरोचन को साजे ।
तीनों लोक रुप से लाजे ।
जै हो मातु ! लोक सेवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….
रक्त पुष्प कंठन वनमाला ।
केहरि वाहन खंग विशाला ।
मातु करे भक्तन प्रतिपाला ।
सकल असुर जीवन लेवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….
कहैं गोपाल मातु बलिहारी ।
जाने नहिं महिमा त्रिपुरारी ।
सब सत होय जो कह्यो विचारी ।
जै जै सबहिं करत देवी की ॥
आरती कामाक्षा देवी की …….