निधिवन का रहस्य : राधा-कृष्ण से जुड़ें अनसुलझे रहस्य (Nidhivan Ka Rahashya : Radha-Krishna Se Jude Unsuljhe Rahashya)
भारत की एक दिव्य नगरी वृन्दावन में स्थित “निधिवन” सनातन धर्म के लोगों के लिए एक रहस्यमयी, पवित्र तथा धार्मिक स्थान है।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार “अश्विन माह” के “शरद पूर्णिमा” के दिन चन्द्रमा की किरणें अमृत समान हो जाती है और इस दिन निधिवन में भगवान श्री कृष्ण, श्री राधा जी तथा गोपियाँ अर्द्धरात्रि के पश्चात रास रचाते जिसे “महा रासलीला” कहते है।
मान्यता है कि, इस रात कोई न कोई महान साधक इस रासलीला का दर्शन अवश्य प्राप्त करता है। निधिवन की यह रहस्यात्मक महारास लीला आज भी पहले की ही भाँति होती है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार निधिवन के रंगमहल में पलंग को सजाकर रखा जाता है और सुबह पलंग को देख कर यह प्रतीत होता है कि रात्रि में कोई न कोई आकर उसी पलंग पर विश्राम करके भोजन (प्रसाद) को ग्रहण किया था। इतना ही नहीं निधिवन में वृक्षों की डालियाँ नीचे की तरफ झुकी तथा एक दूसरे में गुंथी हुई रहती है। निधिवन में कई दर्शनीय स्थान भी है जैसे की – “बांके बिहारी जी का प्राकट्य स्थल”,”राधारानी बंशी चोर” इत्यादि। कहते है, निधिवन में रात्रि में होने वाली इस रासलीला का दर्शन जो कोई भी कर ले, वह अँधा, बहरा, गूंगा या पागल हो जाता है ।
आइये जान लेते है निधिवन का रहस्य :
निधिवन के वृक्ष तथा गीली दातुन का मिलना :
निधिवन के रंगमहल से प्रत्येक दिन, रात्रि 8 बजे ही वहाँ के पुजारी, भक्त तथा वहाँ दिन में दिखलाई देने वाले बन्दर सभी वहाँ से चले जाते है तथा निधिवन परिसर में ताला लगा दिया जाता है। मान्यताओं के अनुसार जो भी यहाँ रुक जाएँ उन्हें मोक्ष मिल जाती है तथा उनकी समाधी परिसर में ही बना दी जाती है ।
मान्यता के अनुसार निधिवन के 16 हजार वृक्ष ही, श्री कृष्ण की 16 हजार रानीयां है जो रात होते ही गोपियाँ बनकर श्री राधा और श्री कृष्ण के साथ रास रचाते है। रंग महल का दरवाजा सुबह खोलने पर दिखलाई देता है कि अंदर कक्ष का सामान बिखरा है और मानो पलंग पर कोई सोया हुवा था तथा गीली दातुन भी मिलती है।
निधिवन का असली रहस्य :
वास्तु शास्त्र के अनुसार, निधिवन का वास्तु बहुत ही अजब-गजब ढंग का है और इसी कारण वह काफी रहस्यमयी दिखता है और कहते कि इसी बात का भ्रम फैलाये हुए है वहाँ के पण्डे पुजारी तथा गाइड। जबकि सत्य यही है कि, निधिवन ‘अनियमित आकार’ का है और उसके चारों तरफ चारदीवारी है।
निधिवन परिसर का मुख्य दरवाजा पश्चिम की ओर है तथा उसका नऋत्य कोण बढ़ा हुआ भी है साथ ही साथ पूर्वी भाग तथा पूर्वी–ईशान कोण दबा हुआ है। यहाँ के गाइड जो कहते है परिसर में 16000 वृक्ष है, यह पूरी तरह से ही मिथ्या है। क्योंकि परिसर आकार में इतना बड़ा नहीं की वहाँ 16 हजार वृक्ष होंगे। वहाँ की वृक्ष की शाखाएं भी न तो मोटी है और ना ही मजबूत की दिन में दिखने वाले बन्दर रात के समय वहाँ पर सो सके इसी कारणवश सभी बन्दर रात्रि के समय वहां से चले जाते है।
परन्तु, श्री कृष्ण और श्री राधा जी की रासलीला झुठलाई भी नहीं जा सकती वर्ना इतने सारे बन्दर में से कोई तो उन वृक्षों और उतने बड़े जंगल में आकर रुकता और जहाँ विज्ञान भी हार मान जाए शुरू होती है।
गीली दातुन का रहस्य :
निधिवन परिसर की चार दीवारों की ऊंचाई 10 फीट है। परिसर के चारों तरफ रियासती इलाका है तथा हर तरफ 2 से 4 मंजिलें मकान भी है और इन्हीं मकानों से निधिवन के भीतर के भाग को प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। जहाँ रात्रि में रासलीला का होना बताया जाता है वह निधिवन के मध्य से दक्षिणी दिशा की ओर खुले में स्थित है। यदि सच में रासलीला देखने वाले अंधे और बैहरे हो जाते तो आस-पास के रहने वाले लोग इलाका छोड़कर चले गए होते। निधिवन में 20 से 25 समाधियां है जो स्वामी हरिदास तथा अन्य आचार्यों की है जिसपर मृत्यु तिथि भी लिखी हुई है तथा इसका उल्लेख उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग के शिलालेख पर भी मिलेगा।
इन समाधियों की आड़ में निधिवन के गाइड कहते है की ये सारी समाधियां उनकी है जिन्होंने रासलीला को देखा था। रंगमहल में जो दातुन पाए गए वो वह भ्रम इसलिए फैला क्योंकि रंगमहल परिसर के नैऋत्य कोण में बहुत ही बड़े आकार का “ललित कुंड” स्थित है जिसे “विशाखा कुंड” के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए यहाँ यह भ्रम और छल आसानी से किया जा सकता है तथा यहाँ जिस तरह के वृक्ष पाए जाते है वैसे ही वृक्ष वृन्दावन के सेवाकुंज तथा यमुना के तटीय भागों में भी देखने को मिलेंगे ।
परन्तु, पुरे वृन्दावन में एक समान वृक्ष होने के बावजूद भी श्री कृष्ण की 16000 रानीयों के बराबर ही वृक्ष निधिवन परिसर में क्यों है? यह भी हो सकता है कि ईश्वर पर विश्वास ना करने वाले लोगों के द्वारा चली गयी एक चाल हो ताकि लोगों के मन में संदेह उत्पन्न किया जा सके।
निधिवन के प्रसिद्धि का कारण :
वास्तुशास्त्र के अनुसार किसी स्थान की प्रसिद्धि के लिए उस स्थान के उत्तरी भाग का निचा होना बहुत जरुरी है साथ ही साथ नीचे के भाग में यदि पानी हो तो यह प्रसिद्धि का कारण बनता है। निधिवन के उत्तरी भाग में स्थित है “यमुना नदी” जो की लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित है। उत्तरी भाग वास्तुशास्त्र के अनुसार काफी शुभ है इस कारण ही निधिवन प्रसिद्ध है। साथ ही साथ, निधिवन के “उत्तरी ईशान”, “पूर्वी ईशान” तथा “दक्षिण आग्नेय” का मार्ग भी अति शुभ है और इसी कारण निधिवन रहस्यमयी है तथा प्रसिद्धि बटोरता है।
Frequently Asked Questions
1. निधिवन परिसर में कितने वृक्ष है ?
निधिवन परिसर में 16000 वृक्ष है।
2. निधिवन परिसर के 16000 वृक्ष कौन है ?
निधिवन परिसर के 16000 वृक्ष प्रभु श्री कृष्ण की 16000 रानीयां है।
3. महा रासलीला कब होती है ?
आश्विन मास की पूर्णिमा को महा रासलीला होती है।
4. निधिवन में रासलीला किनके बीच होती है?
निधिवन में रासलीला श्री कृष्ण, श्री राधा तथा 16000 रानीयों बिच होती है।