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श्री नीतिप्रवीण स्तोत्रम (श्री हनुमस्तोत्रम) | Niti Pravin Stotram | Free PDF Download

श्री नीतिप्रवीण स्तोत्रम (श्री हनुमस्तोत्रम) | Niti Pravin Stotram | Free PDF Download

नैतिक! निगममशास्त्रबुद्धे!
राजधिराजराघुनायकमन्त्रीवर्य!
सिंदूरचरचितकलावर नैस्थिकेंद्र
श्री रामदूत! हनुमान! हर संकट हो सकता है। 1॥
सीतानिमित्तजरघुत्तंभूरिष्ट-
प्रोत्सारनेक्कशाय हतास्त्रपोघ!
निर्दग्ध्यातुपतिहतकाराधाने! श्री रामदूत। मैं
दुर्वर्यरावणविसारजितशक्तिघाट-
कंठा समक्ष्मणसुखारतजीववेल!
द्रोणचालन्यानंदीतरम्पाक्ष! श्री रामदूत। मैं
रामगमोक्तितारीत बंधवयोग-
दुखब्धिमग्नाभारततरपित्तपरिबर्हा!
रामंध्रीपद्ममधुपि भवदंतरतमन! श्री रामदूत। मैं
वातत्मेकेसरीमहाकपीरत तड़िया-
भारंजनी पुरुतप: फालपुत्रभव!
श्रीगणेश! श्री रामदूत। मैं
कोरी-
विद्रावनरुनासमिक्षानाडु: प्रदर्श्य!
बीमारीघ्नसतद आर्थिक दमन्तरजाप! श्री रामदूत। मैं
यन्नामधेयपादकाश्रुतिमात्राटोपिक
ये ब्रह्मराक्षसपिशाचगनाश्वभूत:।
वह मारीकाश्वसभाय ह्यपयंती सात्वं! श्री रामदूत। मैं
तवन भक्तमानससंपिसिटापुर्तिशक्तो
दीनास्य दुर्मदासपटनाभयार्तिभज:.
इष्टम ममपि परिपुरय पूर्णकम! श्री रामदूत। मैं

मैं इति सृष्टानंदमुनि विरचितन श्री हनुमस्तोत्रम समप्तम।


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