पंचक का रहस्य और उसके उपाय (Panchak Ka Rahasya Aur Uske Upay)
काल गड़ना तथा वैदिक हिन्दू पंचांग के अनुसार 12 महीने होते है तथा हर महीने में 5 दिन ऐसे होते है जिनमें शुभ तथा मांगलिक कार्यों को करने की मनाही है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, घर-परिवार में पंचक के समय किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तो उस परिवार में कुछ ही दिनों के अंदर और 5 लोगों की मृत्यु हो जाती है इसलिए पंचक के रहस्यों को जान लेना और पंचक के उपायों को अपनाना बहुत ही जरूरी है। तो, आइये पंचक से जुड़ीं सारी बातें तथा नियमों को जान लेते है :
“पंचक” क्या है? (Panchak Kya Hai)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चन्द्रमा, “धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण” में तथा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करे तो वह समय “पंचक“ कहलाता है।
जब चन्द्रमा का गोचर कुम्भ राशि या मीन राशि में हो तो पंचक का जन्म होता है।
नक्षत्र अनुसार पंचक का प्रभाव : (Nakshatra Anusar Panchak Ka Prabhav)
1. धनिष्ठा नक्षत्र में पंचक पड़ने पर अग्नि का भय तथा खतरा रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में पंचक पड़ने पर घर में कलह व झगड़ें होने की संभावना रहती है।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में पंचक पड़ने पर रोग होने तथा पुराने रोगों के बढ़ने की संभावना रहती है।
4. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में पंचक पड़ने पर धन के रूप में दंड की प्राप्ति होती है।
5. रेवती नक्षत्र में पंचक पड़ने पर धन का नाश होता है।
कौन से कार्य पंचक में नहीं करने चाहिए?
सनातन धर्म तथा हिन्दू धर्म शास्त्र अनुसार पंचक में बहुत से कार्यों की मनाही की गयी है। आइये, इसे एक श्लोक द्वारा समझते है :
”अग्नि-चौरभयं रोगो राजपीडा धनक्षतिः।”
“संग्रहे तृण-काष्ठानां कृते वस्वादि-पंचके।।” – “मुहूर्त – चिंतामणि”
अर्थात : पंचक के समय “तिनकों” तथा “काष्ठों” के संग्रह से – अग्नि का भय, चोर का भय, रोग का भय, राज का भय एवं धन की हानि होने की सम्भावना होती है।
पंचक में निषेध कार्य और उनके समाधान : (Panchak Me Nishedh Karya Aur Unke Samadhan)
1. पंचक में लकड़ी जमा करना या खरीदना :
यदि पंचक के समय, लकड़ी खरीदना बहुत ही जरुरी हो तो, पंचक के समय की समाप्ति पर “गायत्री माता” के नाम पर पूजा और हवन करवाएं।
2. पंचक में घर के ऊपर छत ढ़लवाना :
यदि पंचक के समय, घर के ऊपर छत ढ़लवाना बहुत जरुरी हो तो मजदूरों या कर्मचारियों को मिठाई खिलाएं, उसके बाद ही छत ढ़लवाने का कार्य शुरू करें।
3. पंचक में शव को जलाना :
यदि पंचक के समय, शव का दाह-संस्कार बहुत जरूरी हो तो, शव के साथ अन्य 5 पुतले बनाकर उन्हें भी जलाएं।
4. पंचक में पलंग बनवाना :
यदि पंचक के समय, पलंग बनवाना जरूरी हो तो पंचक के समाप्त होने के बाद ही पलंग का उपयोग करें।
5. पंचक में दक्षिण दिशा की यात्रा पर जाना :
यदि पंचक के समय, दक्षिण दिशा की यात्रा पर जाना जरुरी हो तो “हनुमान जी” के मंदिर जाकर फल चढ़ाये उसके बाद यात्रा पर निकलें।
दिन के अनुसार पंचक के प्रकार : (Din Ke Anusar Panchak Ke Prakar)
1. रविवार : इस दिन पड़ने वाला पंचक “रोग पंचक” कहलाता है।
2. सोमवार : इस दिन पड़ने वाला पंचक “राज पंचक” कहलाता है।
3. मंगलवार : इस दिन पड़ने वाला पंचक “अग्नि पंचक” कहलाता है।
4. शुक्रवार : इस दिन पड़ने वाला पंचक “चोर पंचक” कहलाता है।
5. शनिवार : इस दिन पड़ने वाला पंचक “मृत्यु पंचक” कहलाता है।
इनके अलावा “बुधवार“ तथा “बृहस्पतिवार” के दिन पड़ने वाले पंचकों में ऊपर बताए गए नियमों का पालन करना आवश्यक नहीं माना जाता है। “बुधवार” तथा “बृहस्पतिवार” को पड़ने वाले पंचक में पांच कामों के अलावा किसी भी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
पंचक में मृत्यु और उसका समाधान : (Panchak Me Mrityu Aur Uska Samadhan)
गरुड़ पुराण में पंचक को लेकर यह कहा गया है कि किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु पंचक काल में हो तो उस व्यक्ति के कुल के और भी पांच लोगों की मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में पंचक का वर्णन इस प्रकार है :
।।धनिष्ठ-पंचकं ग्रामे शद्भिषा-कुलपंचकम्।।
।।पूर्वाभाद्रपदा-रथ्याः चोत्तरा गृहपंचकम्।।
।।रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लक्षणम्।।
अर्थात : धनिष्ठा नक्षत्र से रेवती नक्षत्र तक के पांच नक्षत्रों की पांच प्रकार की श्रेणियां होती हैं, जो इस प्रकार है :
ग्राम पंचक
कुल पंचक
रथ्या पंचक
गृह पंचक
ग्रामबाह्य पंचक
पुरानी मान्यताओं के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र में किसी ग्राम या नगर में किसी का जन्म या मृत्यु हो तो उस ग्राम या नगर में और भी 5 लोगों का जन्म या मृत्यु होता है। शतभिषा नक्षत्र में हो तो, उसी कुल में, पूर्वा नक्षत्र में हो तो उसी मोहल्ले में, उत्तरा नक्षत्र में हो तो उसी घर – परिवार में और रेवती नक्षत्र में हो तो पास के अन्य दूसरे गांव या नगर में पांच बच्चों का जन्म या पांच लोगों की मृत्यु होती है ।
पुरानी हिन्दू मान्यता के अनुसार, घर, परिवार, नगर इत्यादि में किसी एक का जन्म पंचक में होने से अन्य 5 बच्चों का जन्म तथा एक की मृत्यु होने से अन्य 5 लोगो की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के समय का निर्धारण नहीं किया जा सकता लेकिन उत्तराभाद्रपद नक्षत्र को “गृह पंचक” माना गया है । पर यहाँ एक प्रश्न यह भी उठता है कि – 5 बच्चों को जन्म देने के लिए 5 औरतों का गर्भवती होना भी अति आवश्यक है ।
पंचक का उपाय : (Panchak Ka Upay)
‘प्रेतस्य दाहं यमदिग्गमं त्यजेत् शय्या-वितानं गृह-गोपनादि च।’- “मुहूर्त-चिंतामणि”
गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक में किसी की मृत्यु हो जाये तो पंचक दोष को खत्म करने का 2 उपाय है :
पहल उपाय : गरुड़ पुराण के अनुसार किसी योग्य पंडित या व्यक्ति द्वारा परामर्श अवश्य लें। शव के साथ-साथ बेसन, आटा या फिर कुश के बने हुए 5 पुतले लें और उनका शव के समान ही पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार करें। ऐसा करने से पंचक दोष खत्म हो जाता है ।
दूसरा उपाय : पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो – अंतिम संस्कार सम्बंधित नक्षत्र के मन्त्रों द्वारा आहुति देकर – उस नक्षत्र के मध्य काल में संपन्न किया जा सकता है। विधि – विधान से दी गयी आहुति दुर्भाग्य को नष्ट कर के शुभता प्रदान करती है। यदि दाह संस्कार तीर्थ स्थलों पर की जाए तो शुभ होता है।
Frequently Asked Questions
1. रेवती नक्षत्र में पंचक पड़ने पर क्या होता है ?
रेवती नक्षत्र में पंचक पड़ने पर धन का नाश होता है ।
2. रविवार को पड़ने वाले पंचक को क्या कहते है ?
रविवार को पड़ने वाले पंचक को “रोग पंचक“ कहते है।
3. मंगलवार को पड़ने वाले पंचक को क्या कहते है ?
मंगलवार को पड़ने वाले पंचक को “अग्नि पंचक“ कहते है।
4. किस दिन को पड़ने वाले पंचक में शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं ?
“बुधवार“ तथा “बृहस्पतिवार“ को पड़ने वाले पंचक में शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।