प्रदोष व्रत कथा और 9 नियम : प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं (Pradosh Vrat Katha aur Niyam : Pradosh Vrat me Kya Khayen aur Kya Nahi)
हिन्दू धर्म में हर एक व्रत, त्यौहार का अपना एक अलग और विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कुल 12 महीनें होते है और हर एक महीनें में 2 एकादशी (Ekadashi) भी पड़ती है, जो सब जानते है पर क्या आपको पता है कि हर एक महीने में 2 प्रदोष काल भी पड़ते है।
जिस प्रकार एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है उसी प्रकार प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष व्रत को हम त्रयोदशी या तेरस के नाम से भी जानते है। एकादशी हो या त्रयोदशी (Trayodashi) दोनों ही जन्म कुंडली में उपस्थित चन्द्रमा के दोष को दूर करते है।
प्रदोष व्रत को करने से पहले हमें इस व्रत से जुड़ी कथा, उसके नियम और प्रदोष व्रत में हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसका अच्छे से पता होना चाहिए। तो, चलिए इन सभी जरूरी बातों को जान लेते है :
प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा : (Pradosh Vrat Ki Pauranik Katha)
प्रदोष व्रत का नाम “प्रदोष” पड़ने के पीछे एक पौराणिक कथा है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान चंद्र देव को क्षय रोग था और क्षय रोग के कारण चंद्र देव मृत्युतुल्य कष्ट भोग रहे थे। त्रयोदशी के दिन भगवान शिव ने चंद्र देव को क्षय रोग से मुक्ति देकर पुनः:जीवनदान दिया। यही कारण है कि इस दिन को प्रदोष काल (Pradosh Kaal) कहा जाने लगा।
प्रदोष व्रत से जुड़ीं और भी कई पौराणिक कथाएं है। “स्कन्द पुराण” में भी प्रदोष व्रत के बारे में उल्लेख किया गया है। इस व्रत में इतनी शक्ति है कि जो कोई भी इस व्रत को सच्चे मन से धारण करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। स्कंद पुराण में शांडिल्य ऋषि और एक विधवा ब्राह्मणी की कथा के माध्यम से प्रदोष व्रत की महिमा का वर्णन किया गया है।
“पद्म पुराण” की एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान चंद्रदेव अपनी 27 पत्नियों में से केवल देवी रोहिणी से ही प्रेम करते थे और अन्य 26 पत्नियों की उपेक्षा करते थे। जिसके कारण चंद्र देव के ससुर प्रजापति दक्ष ने चंद्रदेव को क्षय रोग होने का श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण चंद्र देव का शरीर धीरे धीरे क्षय होने लगा और वो मृत्यु तुल्य कष्ट भोगने लगे। अन्य देवी देवताओं की सलाह पर चंद्र देव ने एक शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की आराधना करने लगें। चंद्र देव का कष्ट और उनकी भक्ति देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें क्षय रोग से मुक्त कर नया जीवन दान दिया। भगवान चंद्र देव का अन्य नाम “सोम” भी है। जिस स्थान पर चंद्र देव ने भगवान शिव की कठिन भक्ति की थी वह स्थान सोमनाथ (Somnath) कहलाया।
प्रदोष व्रत के 9 नियम : (Pradosh Vrat Ke 9 Niyam)
प्रदोष व्रत को नियम पूर्वक करने से व्रत का श्रेष्ठ और उत्तम फल प्राप्त होता है। आइये जानते है प्रदोष व्रत के नियमों के बारे में :
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान आदि कर के भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए और प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- इस दिन हो सके तो आप सफेद रंग के कपड़े ही पहनें।
- अपने पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीपना चाहिए।
- पूजा स्थल पर 5 अलग अलग रंगों से रंगोली बनाना चाहिए।
- शिवलिंग पर जल अर्पित करते हुए “ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
- उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके, दोनों हाथ जोड़कर सच्चे मन से शिवजी का ध्यान करना चाहिए।
- प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष व्रत कथा अवश्य सुनना या पढ़ना चाहिए।
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- संध्या समय सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं : (Pradosh Vrat me Kya Khaye aur Kya Nahi)
प्रदोष व्रत करते समय इस बात का पूरा ख्याल रखें की आप व्रत में खाने वाली चीजों का ही सेवन करें। यहाँ हम आपको बताएंगे कि प्रदोष व्रत में क्या खाना आपके और आपके व्रत के लिए उचित होगा :
- ऐसा माना जाता है कि “हरा मूंग” पृथ्वी तत्व है और यह मंदाग्नि को शांत करता है, इसलिए प्रदोष व्रत या प्रदोष काल में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए।
- इस बात का पूरा ध्यान रखें कि प्रदोष व्रत में आप अन्न, लाल मिर्च, चावल और सादा नमक न खाएं। इस दिन आप पूर्ण उपवास या फलाहारी भी रह सकते हैं।
Frequently Asked Questions
1. प्रदोष व्रत महीने में कितनी बार होती है ?
प्रदोष व्रत महीने में 2 बार होती है।
2. प्रदोष व्रत में किसकी पूजा की जाती है ?
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
3. प्रदोष व्रत के अनुसार भगवान शिव ने किसे क्षय रोग से मुक्ति प्रदान की थी ?
प्रदोष व्रत के अनुसार भगवान शिव ने चन्द्रमा को क्षय रोग से मुक्ति प्रदान की थी।
4. क्या प्रदोष व्रत के दिन व्रत में नमक का सेवन कर सकते है ?
जी नहीं, प्रदोष व्रत में भूलवश भी नमक का सेवन न करें।
5. प्रदोष व्रत में किस रंग के कपड़ें पहनना चाहिए ?
प्रदोष व्रत में सफ़ेद रंग के कपड़ें पहनना शुभ फलदायी होता है।
6. प्रदोष व्रत में किस मंत्र का जाप करना सही होगा?
प्रदोष व्रत में भगवान शिव का “ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
7. प्रदोष व्रत को और किन किन नामों से जाना जाता है ?
प्रदोष व्रत को हम त्रयोदशी या तेरस के नाम से भी जानते है।