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4 राशियों को होती है धनवान बनने की इच्छा पर ये 26 योग बनाते है 26 लोगों को धनवान (4 Rashiyo Ko Hoti Hai Dhanwan Banne Ki Ichcha Per Ye 26 Yog Bnaate Hai 26 Logo Ko Dhanwan)

4 राशियों को होती है धनवान बनने की इच्छा पर ये 26 योग बनाते है 26 लोगों को धनवान (4 Rashiyo Ko Hoti Hai Dhanwan Banne Ki Ichcha Per Ye 26 Yog Bnaate Hai 26 Logo Ko Dhanwan)

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वैदिक ज्योतिष में 12 राशियां होती है पर इन 12 राशियों में 4 ऐसी राशियां है जिनमें धनवान बनने की प्रबल इच्छा होती है पर सिर्फ इच्छा होने से कुछ नहीं होता, कुंडली में ऐसा योग भी होना चाहिए जो राशियों को धनवान बना सके। जन्म कुंडली में स्थित  12 ग्रहों से कुल 26 तरह के योग बनते और यही 26 योग, 26 तरह के लोगों के कुंडली में होते है और उन्हें धनवान बनाते है। वैसे, इनके आलावा और भी कई ऐसे योग है जो मनुष्य को भाग्यशाली तथा धनवान बनाते है पर आज हम इस गाइड के जरिये जानेंगे कि, वो कौन सी 4 राशियां है जो धनवान बनने की प्रबल इच्छा रखते है? साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि वह कौन से 26 योग है जो बनाते है 26 लोगों को धनवान ? तो आइये शुरू करते है :

वो कौन सी 4 राशियां है जो धनवान बनने की प्रबल इच्छा रखते है?

वो 4 राशियां जो धनवान बनने की प्रबल इच्छा रखते है वो इस प्रकार है :

  1. शुक्र की राशि वृषभ
  2. चंद्र की राशि कर्क
  3. सूर्य की राशि सिंह
  4. मंगल की राशि वृश्चिक

जन्म कुंडली में दूसरे भाव तथा आठवें भाव का सम्बन्ध “धन” से होता है और इन भावों पर वृषभ राशि तथा वृश्चिक राशि का अधिपत्य रहता है पर धन योग के लिए कुंडली का 9वां, 11वां और 12वां भाव देखना भी बेहद जरुरी है क्योंकि ये भाव भाग्य, आय तथा व्यय से जुड़ें है ।

वह कौन से 26 योग है जो बनाते है 26 लोगों को धनवान ?

आइये जान लेते है, जन्मकुंडली के उन 26 योगों के बारे में जिसके बनने से 26 तरह के लोगों के धनवान बनने का योग बनता है :

1. यदि किसी के जन्म कुंडली के सप्तम भाव में शनि या मंगल उपस्थित हो और 11वें   भाव में शनि, मंगल या राहु में से कोई भी एक हो तब जुआ, सट्टा, लॉटरी तथा वकालत के क्षेत्र से धन की प्राप्ति होती है ।

2. यदि कुंडली के त्रिकोण या केंद्र में चंद्र, गुरु, बुद्ध और शुक्र हो तथा तीसरे, छठें और 11वें  भाव में सूर्य, शनि, मंगल, राहु आदि ग्रह हो तब जातक असीम धन प्राप्त करता है ।

3. जन्म कुंडली में गुरु यदि कर्क, धनु तथा मीन राशि में हो तथा पांचवे भाव का स्वामी ग्रह अगर दसवें भाव में हो तब जातक अपने पुत्र और पुत्री द्वारा अपार धन प्राप्त करता है।

4. जन्म कुंडली में गुरु यदि दसवें या ग्यारहवें भाव में उपस्थित हो तथा मंगल या सूर्य चौथे या पांचवे भाव में उपस्थित हो या फिर इसके विपरीत अवस्था में हो तो प्रशासनिक क्षेत्र से धन मिलने का प्रबल योग बनाएगा ।

5. यदि जन्मकुंडली में शनि, बुद्ध तथा शुक्र किसी भी भाव में एक साथ हो, तो व्यापार से  धन कमाने के प्रबल योग बनते है ।

6. यदि दसवें भाव का स्वामी ग्रह तुला राशि या वृषभ राशि में हो तथा सातवें भाव का स्वामी या शुक्र यदि दसवें भाव में हो तो जातक को अपने जीवनसाथी से धन प्राप्त होता है।

7. शनि जब अपनी राशि तथा शुभ स्थिति में हो जैसे कि – मकर, कुम्भ तथा तुला राशि तब अकाउंटेंट बनने के योग होते  है और धन अर्जित करवाता है।

8. बुद्ध, गुरु तथा शुक्र की युति कुंडली में होने से जातक धार्मिक कार्यों द्वारा अपार धन अर्जित करता है। ऐसे जातक ज्योतिष, पंडित, पुरोहित या फिर किसी भी धार्मिक संस्था का प्रमुख बनकर धन अर्जित करता है। 

9. जन्म कुंडली में जब मंगल चौथे भाव में, गुरु ग्यारहवे भाव में तथा सूर्य पांचवे भाव मे हो तब पैतृक संपत्ति से जुड़े व्यापार या कृषि से अपार धन प्राप्ति के योग बनते है ।

10. जब भी जन्मकुंडली के सप्तम भाव में शनि या मंगल बैठे और ग्यारहवे भाव में केतू को छोड़कर अन्य कोई भी ग्रह बैठे तब वह जातक व्यापार के जरिये बहुत धन कमाता है और यदि ग्यारहवे भाव में हो तब विदेश में व्यापार के रास्ते खुल जाते है ।

11. यदि कुंडली में शुक्र बारहवें स्थान में है तो यह धन योग का निर्माण करता है ।

12. यदि कुंडली के पांचवें भाव में शनि ग्रह हो और लाभ भाव में सूर्य तथा चंद्र एक साथ बैठे हों तब अपार धन – सम्पदा की प्राप्ति होती है। 

13. यदि कुंडली के पंचम भाव में तुला राशि हो और शुक्र स्वयं पंचम में बैठ जाए और लग्न में मंगल विराजमान हो तो यह आपार धनदायक योग बन जाता है। 

14. यदि कुंडली के पंचम भाव में चन्द्रमा तथा शनि भी कुंडली में शुभ फलदायी हो तो जातक बहुत धनी होता है ।

15. यदि कुंडली के पंचम भाव में धनु या मीन राशि हो और गुरु भी विराजमान हो तथा लाभ भाव में बुद्ध हो तो व्यक्ति बहुत धनी होता है ।

16. यदि कुंडली के पांचवे भाव में सिंह राशि का सूर्य हो तथा लाभ भाव में चंद्र और शुक्र विराजमान हो तो धनवान योग बनता है ।

17. कर्क लग्न की कुंडली के लग्न में ही चन्द्रमा विराजमान हो और बुद्ध तथा गुरु की शुभ दृष्टि पंचम भाव पर पड़ रही हो तो निश्चित तौर पर जातक धनवान होगा। 

18. यदि कुंडली के पंचम भाव में मेष राशि या वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल हो और लाभ भाव में शुक्र ग्रह हो तो वह व्यक्ति अपार धन संपत्ति का मालिक होगा ।

19. विषम लग्न वाले कुंडली में यदि शनि केन्द्रस्थ हो तथा गुरु और शुक्र एक दूसरे से केंद्र में तथा शुभ स्थिति में हो तो यह करोड़पति बनाता है ।

20. यदि कुंडली में चंद्र और गुरु से गज केसरी  योग बन रहा है अर्थात गुरु के साथ चंद्र बैठ जाए या चंद्र पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक धनवान होता है उसे न सिर्फ भौतिक वस्तुएं बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त होता है। 

21. यदि कुंडली में मंगल और शुक्र युति बना रहे है तो ऐसे व्यक्ति को स्त्री पक्ष से अपार धन की प्राप्ति होती है ।

22. यदि कुंडली में मंगल गुरु के साथ शुभ दृष्टि सम्बन्ध बनाये हुए है तब भी धनवान योग का निर्माण होता है। 

23. यदि कुंडली में अष्टम भाव का स्वामी उच्च का तथा शुभ फलदायी हो और लाभेश तथा धनेश के प्रभाव में हो तो व्यक्ति को निश्चित रूप से अपार धन की प्राप्ति होती है ।

24. यदि कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र और मंगल की युति अथवा शुभ दृष्टि सम्बन्ध हो तो भी धनवान योग बनता है ।

25. यदि कुंडली में शुक्र लग्न  कुंडली अथवा चंद्र कुंडली में केंद्र में हो अर्थात शुक्र ग्रह जन्म कुंडली में लग्न या चंद्र से 1,4,7 और 10वें स्थान में हो तो मालव्य योग का निर्माण होता है । यह योग सुख संपत्ति धनदायक होता है ।26. यदि कुंडली में शनि का “शश योग’’, मंगल का “रूचक योग”, बुध का “भद्र योग” तथा गुरु से “हंस योग” बन रहा तब भी व्यक्ति अपार धन का स्वामी बनता है ।

Frequently Asked Questions

1. वह कौन सी राशियां है जिनमें धनवान बनने की प्रबल इच्छा होती है ?

वृषभ राशि, कर्क राशि, सिंह राशि तथा वृश्चिक राशि ऐसी राशियां है जिनमें धनवान बनने की प्रबल इच्छा होती है।

2. किस ग्रह के कारण जन्म कुंडली में शश योग बनता है ?

शनि ग्रह के कारण जन्म कुंडली में शश योग बनता है।

3. किस ग्रह के कारण जन्म कुंडली में रूचक योग बनता है ?

मंगल ग्रह के कारण जन्म कुंडली में रूचक  योग बनता है।

4. किस ग्रह के कारण जन्म कुंडली में भद्र योग बनता है ?

बुद्ध ग्रह के कारण जन्म कुंडली में भद्र योग बनता है।