रेवती नक्षत्र : रेवती नक्षत्र में जन्मे लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक (Revati Nakshatra : Revati Nakshatra Me Janme Log Tatha Purush Aur Stri Jatak)
वैदिक ज्योतिष में कुल “27 नक्षत्र” है जिनमें से एक है “रेवती नक्षत्र” (Revati Nakshatra)। यह आकाश मंडल तथा 27 नक्षत्रों में 16वें स्थान पर है। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में “346।40” से लेकर “360।00” अंश तक है। रेवती नक्षत्र में 32 तारें होते है। “रेवती नक्षत्र” का आकार मृदंग जैसी होती है। आज हम आपको रेवती नक्षत्र में जन्में लोग तथा पुरुष और स्त्री जातक की कुछ मुख्य विशेषताएं बतलायेंगे, पर सबसे पहले जानते है, रेवती नक्षत्र से जुड़ी कुछ जरुरी बातें :
रेवती मृदु गण्ड संज्ञक नक्षत्र है। रेवती नक्षत्र का अर्थ धनवान होता है। रेवती “चंद्र देव” की 27 पत्नियों में से एक है तथा ये प्रजापति दक्ष की पुत्री है।
रेवती नक्षत्र से जुड़े अन्य जरुरी तथ्य :
- नक्षत्र – “रेवती”
- रेवती नक्षत्र देवता – “पूषा”
- रेवती नक्षत्र स्वामी – “बुध”
- रेवती राशि स्वामी – “बृहस्पति”
- रेवती नक्षत्र राशि – “मीन”
- रेवती नक्षत्र नाड़ी – “अन्त्य”
- रेवती नक्षत्र योनि – “गज”
- रेवती नक्षत्र वश्य – “जलचर”
- रेवती नक्षत्र स्वभाव – “मृदु”
- रेवती नक्षत्र महावैर – “सिंह”
- रेवती नक्षत्र गण – “देव”
- रेवती नक्षत्र तत्व – “जल”
- रेवती नक्षत्र पंचशला वेध – “उतरा फाल्गुनी”
आमदनी से ज्यादा खर्च करना इनका स्वभाव होता है। ये घूमने-फिरने के शौकीन होते है। ये अच्छे वंश से सम्बन्ध रखते है परन्तु ये भी वैसे ही हो यह जरूरी नहीं है। पंचम स्थान के अलावा चन्द्रमा कहीं और हो तो पुत्र संतान होती है। जीवन में संपत्ति भी जुटा लेते है। – पराशर
रेवती नक्षत्र का वेद मंत्र :
।।ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन
स्तोतारस्तेइहस्मसि। ॐ पूषणे नम: ।।
रेवती नक्षत्र में चार चरणें होती है। जो इस प्रकार है :
1. रेवती नक्षत्र प्रथम चरण : रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “बृहस्पति देव” है तथा इस चरण पर बुध और गुरु ग्रह का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक का नाक छोटा और मुख हल्का सा टेढ़ा होता है। रेवती नक्षत्र के जातक आशावादी, मानववादी और विश्वप्रेमी होते है। ये व्यावसायिक विकास के प्रदर्शनकर्ता और आध्यात्मिक होते है। ये दूसरों की मदद करने वाले होते इन्हें गलत समझते है।
2. रेवती नक्षत्र द्वितीय चरण : रेवती नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी “शनि देव” है। इस चरण पर शनि, बुध तथा गुरु ग्रह का प्रभाव होता है। ये अभिमानी तथा हठी होते है। इस चरण के जातक का विषम शरीर, ऊँचे कंधे और बड़ा सिर होता है। ये ईश्वर को न मानने वाले – सचिव, सलाहकार या मंत्री होते है।
3. रेवती नक्षत्र तृतीय चरण : इस चरण के स्वामी “शनि ग्रह” है। इस चरण पर बुध, गुरु तथा शनि ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक का लम्बा कद. बड़ा सिर तथा रूखे से नेत्र और केश होते है। इस चरण के जातक आलसी, ईर्ष्यालु तथा पुत्र सुख से वंचित होते है। ये लोगों की जरूरत से ज्यादा ही मदद करते है कारण इनके दाम्पत्य जीवन में कलह उत्पन्न होने लगता है।
4. रेवती नक्षत्र चतुर्थ चरण : इस चरण के स्वामी “गुरु ग्रह” है। इस चरण पर बुध तथा गुरु ग्रह का प्रभाव होता है। इस चरण के जातक छोटे कद और बड़े कान और नाक वाले होते है। ये बुद्धिमान, गुणवान और जीवन में प्रसिद्धि पाने वाले होते है। इस चरण के जातक खुली आँखों से सपने देखने वाले, दूसरों के किसी भी बात पर आसानी वाले होते है।
आइये जानते है, रेवती नक्षत्र के पुरुष और स्त्री जातकों के बारे में :
रेवती नक्षत्र के पुरुष जातक :
इस नक्षत्र का जातक लम्बा और सुगठित शरीर वाला होता है लेकिन यदि ग्रहों का अशुभ योग रेवती नक्षत्र में बन रहा हो, तो जातक छोटा कद वाला होता है। रेवती में जन्मे जातक बुद्धिमान, चतुर, मृदुभाषी और साफ़ मन के होते है। ये स्वतंत्रता प्रेमी, दूसरों की बातों पर भरोसा नहीं करने वाले और किसी भी बात को ज्यादा देर तक छिपा कर नहीं रख पाने वाले होते है। ये डॉक्टर, ज्योतिष, विदेशवासी और शासकीय सेवा में में काम करने वाले होते है। जीवन का 23 या 26 वां वर्ष बहुत शुभ होता है। इन्हें जीवन के 26वें वर्ष के बाद कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 50 वें वर्ष के बाद सब कुछ स्थिर हो जाता है। इनका दाम्पत्य जीवन ज्यादा सुखद नहीं होता।
रेवती नक्षत्र के स्त्री जातक :
रेवती नक्षत्र की स्त्री जातिका बहुत ही सुन्दर और आकर्षक होती है। ये हजारों महिलाओं के बीच भी अपनी खूबसूरती पहचानी जा सकती है। लेकिन, ये अंधविश्वासी और दूसरों पर अपना हुक्म चलाने वाली होती है। ये साहित्य, कला और गणित में निपुण होती है। ये एक कुशल अध्यापिका होती है। इनका दाम्पत्य जीवन सामान्य ही कभी कभी जीवन साथी के साथ छोटे – मोठे झगड़ें भी होते है।
Frequently Asked Questions
1. रेवती नक्षत्र के देवता कौन है?
रेवती नक्षत्र के देवता – पूषा है।
2. रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?
रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह – बुध है।
3. रेवती नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय कब होता है?
रेवती नक्षत्र के लोगों का भाग्योदय – 50 वें वर्ष में होता है।
4. रेवती नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?
रेवती नक्षत्र की शुभ दिशा – पूर्व है।
5. रेवती नक्षत्र का कौन सा गण है?
रेवती नक्षत्र का देव गण है।
6. रेवती नक्षत्र की योनि क्या है?
रेवती नक्षत्र की योनि – गज है।
7. रेवती नक्षत्र की वश्य क्या है?
रेवती नक्षत्र की वश्य – “जलचर” है।