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Sampoorna Sunderkand With Hindi Meaning | सम्पूर्ण सुन्दर कांड पाठ हिंदी अर्थ सहित || Doha 13 to 18 ||

Sampoorna Sunderkand With Hindi Meaning | सम्पूर्ण सुन्दर कांड पाठ हिंदी अर्थ सहित || Doha 13 to 18 ||

॥ दोहा 13 ॥

कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास,जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास।

हिंदी अर्थ – हनुमानजी के प्रेम सहित वचन सुनकर सीता जी के मन मे पक्का भरोसा आ गया और उन्होंने जान लिया की यह मन, वचन और काया से कृपा सिंधु श्री रामजी के दास है॥

॥ चौपाई ॥

हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी।
सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी॥
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना।
भयहु तात मो कहुँ जलजाना॥

हिंदी अर्थ – हनुमानजी को हरि भक्त जानकर सीता जीके मन में अत्यंत प्रीति बढ़ी, शरीर अत्यंत पुलकित हो गया और नेत्रो मे जल भर आया॥
सीताजी ने हनुमान से कहा की हे हनुमान! मै विरह रूप समुद्र में डूब रही थी, सो हे तात! मुझ को तिराने के लिए तुम नौका हुए हो॥

अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी।
अनुज सहित सुख भवन खरारी॥
कोमलचित कृपाल रघुराई।
कपिकेहिहेतु धरी निठुराई॥

हिंदी अर्थ – अब तुम मुझको बताओ कि सुख धाम श्रीराम लक्ष्मण सहित कुशल तो है॥
हे हनुमान! रामचन्द्रजी तो बड़े दयालु और बड़े कोमल चित्त है।फिर यह कठोरता आपने क्यों धारण कि है? ॥

सहज बानि सेवक सुखदायक।
कबहुँक सुरति करत रघुनायक॥
कबहुँ नयन मम सीतल ताता।
होइहहिं निरखि स्याम मृदु गाता॥

हिंदी अर्थ – यह तो उनका सहज स्वभाव ही है कि जो उनकी सेवा करता है उनको वे सदा सुख देते रहते है॥ सो हे हनुमान! वे रामचन्द्र जी कभी मुझको भी याद करते है? ॥
कभी मेरे भी नेत्र रामचन्द्र जी के कोमल श्याम शरिर को देखकर शीतल होंगे॥

बचनु न आव नयन भरे बारी।
अहह नाथ हौं निपट बिसारी॥
देखि परम बिरहाकुल सीता।
बोला कपि मृदु बचन बिनीता॥

हिंदी अर्थ – सीता जी की उस समय यह दशा हो गयी कि मुख से वचन निकलना बंद हो गया और नेत्रो में जल भर आया। इस दशा में सीता जी ने प्रार्थना की, कि हे नाथ! मुझको आप बिल्कुल ही भूल गए॥
सीताजी को विरह्से अत्यंत व्याकुल देखकर हनुमान जी बड़े विनय के साथ कोमल वचन बोले॥

मातु कुसल प्रभु अनुज समेता।
तव दुख दुखी सुकृपा निकेता॥
जनि जननी मानह जियँ ऊना।
तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना॥

हिंदी अर्थ – हे माता! लक्ष्मण सहित रामचन्द्र जी सब प्रकार से प्रसन्न है,केवल एक आपके दुःख से तो वे कृपा निधान अवश्य दुखी है। बाकी उनको कुछ भी दुःख नहीं है॥
हे माता! आप अपने मन को उन मत मानो (अर्थात रंज मत करो, मन छोटा करके दुःख मत कीजिए), क्योंकि रामचन्द्रजीका प्यार आपकी और आपसे भी दुगुना है॥

रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर।
अस कहि कपि गदगद भयउ भरे बिलोचन नीर ॥

हिंदी अर्थ – हे माता! अब मै आपको जो रामचन्द्र जी का संदेशा सुनाता हूं सो आप धीरज धारण करके उसे सुनो ऐसे कह्ते ही हनुमान जी प्रेम से गदगद हो गए और नेत्रो मे जल भर आया ॥

हनुमान ने सीताजी को रामचन्द्रजी का सन्देश दिया

कहेउ राम बियोग तव सीता।
मो कहुँ सकल भए बिपरीता॥
नवतरु किसलय मनहुँ कृसानू।
कालनिसा सम निसि ससि भानू॥

हिंदी अर्थ – हनुमान जी ने सीता जी से कहा कि हे माता! रामचन्द्रजी ने जो सन्देश भेजा है वह सुनो। रामचन्द्र जी ने कहा है कि तुम्हारे वियोग में मेरे लिए सभी बाते वपरीत हो गयी है॥
नविन कोपलें तो मानो अग्नि रूप हो गए है। रात्रि मानो कालरात्रि बन गयी है। चन्द्रमा सूरज के समान दिख पड़ता है॥

कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा।
बारिद तपत तेल जनु बरिसा॥
जेहित रहे करत तेइ पीरा।
उरग स्वाससम त्रिबिध समीरा॥

हिंदी अर्थ – कमलो का वन मानो भालो के समूह के समान हो गया है। मेघ की वृष्टि मानो तापे हुए तेलके समान लगती है॥
मै जिस वृक्ष के तले बैठता हूं, वही वृक्ष मुझ को पीड़ा देता है और शीतल, सुगंध, मंद पवन मुझको साँपके श्वास के समान प्रतीत होता है॥

कहेहूतें कछु दुख घटि होई।
काहि कहौं यह जान न कोई॥
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा।
जानत प्रिया एकु मनु मोरा॥

हिंदी अर्थ – और अधिक क्या कहूं? क्योंकि कहने से कोई दुःख घट थोडा ही जाता है? परन्तु यह बात किस को कहूं! कोई नहीं जानता॥
मेरे और आपके प्रेम के तत्व को कौन जानता है! कोई नहीं जानता। केवल एक मेरा मन तो उसको भले ही पहचानता है॥ 

सोमनुसदारहततोहिपाहीं।
जानुप्रीति रसु एतनेहि माहीं॥
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही।
मगनप्रेम तन सुधि नहिं तेही॥

हिंदी अर्थ – पर वह मन सदा आपके पास रहता है। इतने ही में जान लेना कि राम किस कदर प्रेम के वश है॥
रामचन्द्रजी के सन्देश सुनते ही सीताजी ऐसी प्रेममे मग्न हो गयी कि उन्हें अपने शरीर की भी सुध न रही॥ 

कह कपि हृदयँ धीर धरु माता।
सुमिरु राम सेवक सुखदाता॥
उर आनहु ताई।रघुपतिप्रभु
सुनि मम बचन तजहु कदराई॥

हिंदी अर्थ – उस समय हनुमानजी ने सीताजी से कहा कि हे माता! आप सेवक जनों के सुख देने वाले श्रीराम को याद करके मन मे धीरज धरो॥
श्रीरामचन्द्रजीकी प्रभुताको हृदयमें मानकर मेरे वचनोको सुनकर विकलता को तज दो (छोड़ दो)॥

निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु।
जननीहृदयँधीरधरु जरे निसाचर जानु ॥15॥

हिंदी अर्थ – हे माता! रामचन्द्रजी के बान रूप अग्नि के आगे इस राक्षस समूह को आप पतंग के समान जानो और इन सब राक्षसो को जले हुए जानकर मनमे धीरज धरो॥

सीताजी के मन में संदेह

जौं रघुबीर होति सुधि पाई।
करते नहिं बिलंबु रघुराई॥
राम बान रबि उएँ जानकी।
तम बरुथ कहँ जातुधान की॥

हिंदी अर्थ – हे माता! जो रामचन्द्रजी को आपकी खबर मिल जाती तो प्रभु कदापि विलम्ब नहीं करते॥
क्योंकि रामचन्द्रजी के बान रूप सूर्यके उदय होने पर राक्षस समूह रूप अन्धकार पटल का पता कहाँ है? ॥

अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई।
प्रभु आयुस नहिं राम दोहाई॥
कछुक दिवस जननी धरुधीरा।
कपिन्हसहित अइहहिं रघुबीरा॥

हिंदी अर्थ – हनुमान जी कहते है की हे माता! मै आपको अभी ले जाऊं, परंतु करूं क्या? रामचन्द्र जीकी आपको ले आने की आज्ञा नहीं है। इसलिए मै कुछ कर नहीं सकता। यह बात मै रामचन्द्रजी की शपथ खाकर कहता हूँ॥
इसलिए हे माता! आप कुछ दिन धीरज धरो। रामचन्द्रजी वानरों कें साथ यहाँ आयेंगे॥

निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं।
तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं॥
हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना।
जातुधान अति भट बलवाना॥

हिंदी अर्थ – और राक्षसों को मारकर आपको ले जाएँगे। तब रामचन्द्रजी का यह सुयश तीनो लोको में नारदादि मुनि गाएँगे॥
हनुमान जी की यह बात सुनकर सीताजी ने कहा की हे पुत्र! सभी वानर तो तुम्हारे सामान है और राक्षस बड़े योद्धा और बलवान है। फिर यह बात कैसे बनेगी?॥

मोरें हृदय परम संदेहा।
सुनि कपि प्रगट कीन्हि निज देहा॥
कनक भूधराकार सरीरा।
समर भयंकर अतिबल बीरा॥

हिंदी अर्थ – इसका मेरे मन मे बड़ा संदेह है। सीताजी का यह वचन सुनकर हनुमान जी ने अपना शरीर प्रकट किया॥ की जो शरीर सुवर्ण के पर्वत के समान विशाल, युद्ध के बिच बड़ा विकराल और रणके बीच बड़ा धीरज वाला था॥

सीता मनभरोस तब भयऊ।
पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ॥

हिंदी अर्थ – हनुमान जी के उस शरीर को देखकर सीताजी के मन में पक्का भरोसा आ गया। तब हनुमान जी ने अपना छोटा स्वरूप धर लिया॥

सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल ॥16॥

हिंदी अर्थ – हनुमानजी ने कहा कि हे माता! सुनो, वानरों मे कोई विशाल बुद्धि का बल नहीं है। परंतु प्रभु का प्रताप ऐसा है की उसके बलसे छोटासा सांप गरूड को खा जाता है ॥

सिताजी ने हनुमान को आशीर्वाद दिया

मन संतोष सुनत कपि बानी।
भगति प्रताप तेज बल सानी॥
आसिष दीन्हि रामप्रिय जाना।
होहु तात बल सील निधाना॥

हिंदी अर्थ – भक्ति, प्रताप, तेज और बल से मिली हुई हनुमानजी की वाणी सुनकर सीताजी के मन में बड़ा संतोष हुआ॥
फिर सीताजी ने हनुमान को श्री राम का प्रिय जानकर आशीर्वाद दिया कि हे तात! तुम बल और शील के निधान हो ओ॥

अजरअमर गुननिधि सुत होहू।
करहुँ बहुत रघुनायक छोहू॥
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना।
निर्भर प्रेम मगन हनुमाना॥

हिंदी अर्थ – हे पुत्र! तुम अजर (जरारहित – बुढ़ापे से रहित), अमर (मरण रहित) और गुणों का भण्डार हो और रामचन्द्र जी तुम पर सदा कृपा करें॥
‘प्रभु रामचन्द्र जी कृपा करेंगे’ ऐसे वचन सुनकर हनुमानजी प्रेमानन्दमें अत्यंत मग्न हुए॥

बार बार नाएसि पद सीसा।
बोला बचन जोरि कर कीसा॥
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता।
आसिष तव अमोघ बिख्याता॥

हिंदी अर्थ – और हनुमान जी ने वारंवार सीताजी के चरणों में शीश नवाकर, हाथ जोड़कर, यह वचन बोले॥
हे माता! अब मै कृतार्थ हुआ हूँ, क्योंकि आपका आशीर्वाद सफल ही होता है, यह बात जगत् प्रसिद्ध है॥

हनुमानजी ने अशोकवन में फल खाने की आज्ञा मांगी

सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा।
लागि देखि सुंदर फल रूखा॥
सुनुसुत करहिं बिपिन रखवारी।
परम सुभट रजनीचर भारी॥

हिंदी अर्थ – हे माता! सुनो, वृक्षों के सुन्दर फल लगे देखकर मुझे अत्यंत भूख लग गयी है, सो मुझे आज्ञा दो॥
तब सीताजी ने कहा कि हे पुत्र! सुनो, इस वनकी बड़े बड़े भारी योद्धा राक्षस रक्षा करते है॥

तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं।
जौं तुम्ह सुखमानहु मन माहीं॥

हिंदी अर्थ – तब हनुमान जी ने कहा कि हे माता! जो आप मन मे सुख माने (प्रसन्न होकर आज्ञा दें), तो मुझको उनका कुछ भय नहीं है॥

देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकींजाहु।
रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु ॥

हिंदी अर्थ – तुलसीदास जी कहते है कि हनुमानजी का विलक्षण बुद्धि बल देखकर सीताजी ने कहा कि हे पुत्र! जाओ, रामचन्द्र जी के चरणों को हृदय मे रख कर मधुर मधुर फल खाओ ॥

अशोक वाटिका विध्वंस और अक्षय कुमार का वध

चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा।
फल खाएसि तरु तोरैं लागा॥
रहे तहाँ बहु भट रखवारे।
कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे॥

हिंदी अर्थ – सीता जी के वचन सुनकर उनको प्रणाम करके हनुमान जी बाग के अन्दर घुस गए। फल फल तो सब खा गए और वृक्षों को तोड़ मरोड़दिया॥
जो वहां रक्षा के के लिए राक्षस रहते थे उनमेसे से कुछ मारे गए और कुछ रावण से पुकारे (रावण के पास गए और कहा)॥

नाथ एक आवा कपि भारी।
तेहिं असोक बाटिका उजारी॥
खाएसि फल अरु बिटप उपारे।
रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे॥

हिंदी अर्थ – कि हे नाथ! एक बड़ा भारी वानर आया है। उसने तमाम अशोक वन का सत्यानाश कर दिया है॥
उसने फल फल तो सारे खा लिए है, और वृक्षों को उखड दिया है। और रखवारे राक्षसों को पटक पटक कर मार गिराया है॥

सुनि रावन पठए भट नाना।
तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना॥
सब रजनीचर कपि संघारे।
गए पुकारत कछु अधमारे॥

हिंदी अर्थ – यह बात सुनकर रावण ने बहुत सुभट पठाये (राक्षस योद्धा भेजे)। उनको देखकर युद्धके उत्साहसे हनुमानजी ने भारी गर्जना की॥
हनुमानजी ने उसी समय तमाम राक्षसों को मार डाला। जो कुछ अधमरे रह गए थे वे वहा से पुकारते हुए भागकर गए॥

पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा।
चला संग लै सुभट अपारा॥
आवत देखि बिटप गहि तर्जा।
ताहि निपातिमहाधुनिगर्जा॥

हिंदी अर्थ – फिर रावण ने मंदोदरि के पुत्र अक्षय कुमार को भेजा। वह भी असंख्य योद्धाओं को संग लेकर गया।
उसे आते देखते ही हनुमानजी ने हाथ में वृक्ष लेकर उस पर प्रहार किया और उसे मारकर फिर बड़े भारी शब्दसे (जोर से) गर्जना की॥

कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरिधूरि।
कछु पुनि जाइपुकारेप्रभु मर्कट बल भूरि ॥18॥

हिंदी अर्थ – हनुमानजी ने कुछ राक्षसों को मारा और कुछ को कुचल डाला और कुछ को धूल में मिला दिया। और जो बच गए थे वे जाकर रावण के आगे पुकारे कि हे नाथ! वानर बड़ा बलवान है। उसने अक्षय कुमार को मारकर सारे राक्षसों का संहार कर डाला॥

हनुमानजी का मेघनाद से युद्ध

चौपाई

सुनि सुत बध लंकेस रिसाना।
पठएसि मेघनाद बलवाना॥
मारसि जनि सुत बाँधेसु ताही।
देखिअ कपिहि कहाँ कर आही॥

हिंदी अर्थ – रावण राक्षसों के मुख से अपने पुत्र का वध सुनकर बड़ा गुस्सा हुआ और महाबली मेघनाद को भेजा॥
और मेघनाद से कहा कि हे पुत्र! उसे मारना मत किंतु बांधकर पकड़ लें आना, क्योंकि मैं भी उसे देखूं तो सही बह वानर कहाँ का है॥ 

चला इंद्रजित अतुलित जोधा।
बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा॥
कपि देखा दारुन भट आवा।
कटकटाइ गर्जा अरु धावा॥

हिंदी अर्थ – इन्द्रजीत (इंद्र को जीतने वाला) असंख्य योद्धाओ को संग लेकर चला। भाई के वध का समाचार सुनकर उसे बड़ा गुस्सा आया॥
हनुमान जी ने उसे देखकर यह कोई दारुण भट (भयानक योद्धा) आता है ऐसे जानकार कटकटा के महाघोर गर्जना की और दौड़े॥

अति बिसाल तरु एक उपारा।
बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा॥
रहे महाभट ताके संगा।
गहि गहि कपि मर्दई निज अंगा॥

हिंदी अर्थ – एक बड़ा भारी वृक्ष उखाड़ कर उस से मेघनाद को विरथ अर्थात रथहीन कर दिया॥
उसके साथ जो बड़े बड़े महाबली योद्धा थे, उन सबको पकड़ पकड़कर हनुमानजी अपने शरीर से मसल डाला॥

तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा।
भिरे जुगल मानहुँ गजराजा॥
मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई।
ताहि एक छन मुरुछा आई॥

हिंदी अर्थ – ऐसे उन राक्षसों को मारकर हनुमान जी मेघनाद के पास पहुँचे। फिर वे दोनों ऐसे भिड़े कि मानो दो गजराज आपस में भीड़ रहे है॥
हनुमान मेघनाद को एक घूँसा मारकर वृक्ष पर जा चढ़े और मेघनाद को उस प्रहार से एक क्षणभर के लिए मूर्च्छा आ गयी।

उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया।
जीति न जाइ प्रभंजन जाया॥

हिंदी अर्थ – फिर मेघनाद ने सचेत होकर अनेक माया ये फैलायी पर हनुमान जी किसी प्रकार जीते नहीं गए॥