Sankalp Mantra List – संकल्प मंत्र | Free PDF Download
रुद्राभिषेक का संकल्प मंत्र – संस्कृत प्रारूप
“अमुकगोत्रोत्पन्नोऽमुक शर्माऽहं (वर्माऽहं, गुप्तोंऽहं, दासोऽहं)
श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-फल-प्राप्तये धनायुरारोग्य-प्राप्त्यर्थम् अमुक कामना
सिद्धयर्थं श्रीभवानीशङ्कर-प्रीतये श्रीपार्थिवेश्वरलिङ्गस्य षोडशोपचारेण पूजनं
तद्विघ्नताशान्त्यर्थं च मृण्मयगणेशादिपरिच्छदानां पूजनं
ततः रुद्राष्टाध्यायीमन्त्रै रुद्राभिषेक कर्म करिष्ये।”
ब्राम्हणों के लिए शर्माऽहं, क्षत्रियों के लिए वर्माऽहं, वैश्यों के लिए गुप्तोंऽहं, शूद्र के लिए दासोऽहं
महामृत्युंजय मन्त्र जाप का संकल्प मंत्र – संस्कृत प्रारूप
“अमुकगोत्रोत्पन्नोऽमुक शर्माऽहं (वर्माऽहं, गुप्तोंऽहं, दासोऽहं)
श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-फल-प्राप्तये धनायुरारोग्य-प्राप्त्यर्थम् अमुक कामना
सिद्धयर्थं श्रीभवानीशङ्कर-प्रीतये श्रीपार्थिवेश्वरलिङ्गस्य षोडशोपचारेण पूजनं
तद्विघ्नताशान्त्यर्थं च मृण्मयगणेशादिपरिच्छदानां पूजनं ततः महामृत्युंजय मन्त्र जाप कर्म करिष्ये।”
ब्राम्हणों के लिए शर्माऽहं, क्षत्रियों के लिए वर्माऽहं, वैश्यों के लिए गुप्तोंऽहं, शूद्र के लिए दासोऽहं
श्रावण सोमवार पूजा, व्रत आरम्भ करने का संकल्प हिंदी में
हे! देवादि देव महादेव, यह पवित्र श्रावण मास है और आज सोमवार का दिन और प्रातः काल है, श्रद्धा-भक्ति सहित में ….(1)…. सभी शुभ और उत्तम फलों की प्राप्ति और ….(2)…. मनोकामना/मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये ….(3)…. की प्रसन्नता और कृपा प्राप्ति के लिये आज दिनांक ….(4)…. से ….(5)…. दिनांक तक प्रति सोमवार शास्त्रानुसार विधिवत पूजन और व्रत ….(6)…. करूँगा अंतिम सोमवार को ….(7)…. शिव कथा सुनकर अपने व्रत का समापन/उद्यापन करूँगा
१। अपने नाम का उच्चारण करें।
२। अपनी इच्छित मनोकामना या प्रयोजन विशेष आदि का स्पष्ट उच्चारण करें।
३। अपनी श्रद्धा अनुसार भगवान के किसी नाम का उच्चारण करें : शिव, महादेव, भोलेनाथ आदि।
४। श्रावण सोमवार व्रत, पूजा आरंभ करने के सोमवार की तारीख का उच्चारण करें।
५। श्रावण सोमवार व्रत, पूजा के अंतिम सोमवार की तारीख का उच्चारण करें
६। अगर आप व्रत पूजा के साथ ही मंत्र जाप, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र आदि भी शामिल करना चाहते है तो उसका भी उल्लेख करें। ….. मंत्र के …. संख्या का जाप और, रुद्राभिषेक और, ….. इत्यादि।
सावन सोमवार पूजा का संकल्प हिंदी में
हे! देवादि देव महादेव, यह पवित्र श्रावण मास है और आज सोमवार का दिन और प्रातः काल है, मे ….(1)…. सभी शुभ फलों की प्राप्ति और ….(2)…. मनोकामना/मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये ….(3)…. की प्रसन्नता और कृपा प्राप्ति के लिये शास्त्रानुसार शिव पूजा और सोमवार व्रत करूँगा। इसके अलावा ….(4)…. भी करूँगा
१। अपने नाम का उच्चारण करें।
२। अपनी इच्छित मनोकामना या प्रयोजन विशेष आदि का स्पष्ट उच्चारण करें।
३। अपनी श्रद्धा अनुसार भगवान के किसी नाम का उच्चारण करें : शिव, महादेव, भोलेनाथ आदि
४। अगर आप व्रत पूजा के साथ ही मंत्र जाप, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र आदि भी शामिल करना चाहते हैं तो उसका भी उल्लेख करें। ….. मंत्र के …. संख्या का जाप और, रुद्राभिषेक और, ….. इत्यादि।
दुर्गा सप्तशती पाठ का संकल्प मंत्र – संस्कृत प्रारूप
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः । ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्ध श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्या-वर्तान्तर्गत-ब्रह्मावर्तेक-देशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकायने महामाङ्गल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुक-मासे अमुक-पक्षे अमुक-तिथौ अमुक-वासरान्वितायाम् अमुक-नक्षत्रे अमुक-राशिस्थिते सूर्ये अमुकामुक-राशिस्थितेषु चन्द्र-भौम-बुध-गुरु-शुक्र-शनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुण-विशेषण-विशिष्टायां शुभ-पुण्य-तिथौ सकल-शास्त्र-श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-फल-प्राप्तिकाम: अमुक-गोत्रोत्पन्नः अमुक-शर्मा अहं ममात्मनः सपुत्र-स्त्री-बान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो ग्रहकृत-राजकृत-सर्वविध-पीडानिवृत्ति-पूर्वकं नैरुज्य-दीर्घायु:पुष्टि-धनधान्य-समृद्ध्यर्थं श्रीनवदुर्गा-प्रसादेन सर्वापन्निवृत्ति-सर्वाभीष्टफलावाप्ति-धर्मार्थ-काम-मोक्ष-चतुर्विध-पुरुषार्थ-सिद्धि-द्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मी-महासरस्वती-देवता-प्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्सरं कवचार्गला-कीलक-पाठ-वेद-तन्त्रोक्त-रात्रि-सूक्त-पाठ-देव्यथर्वशीर्ष-पाठ-न्यास-विधि-सहित-नवार्ण-जप-सप्तशतीन्यास-ध्यान-सहित-चरित्र-सम्बन्धि-विनियोगन्यास-ध्यानपूर्वकं च ‘मार्कण्डेय उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः।’ इत्याद्यारभ्य ‘सावर्णिर्भविता मनुः’ इत्यन्तं दुर्गा-सप्तशती-पाठं तदन्ते न्यास-विधि-सहित-नवार्ण-मन्त्र-जपं वेद-तन्त्रोक्त-देवी-सूक्त-पाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च करिष्ये।
अमुकमासे : अमुक के स्थान पर मास का नाम
अमुकपक्षे : अमुक के स्थान पर पक्ष का नाम
अमुकतिथौ : अमुक के स्थान पर तिथि का नाम
अमुकवासरान्वितायाम् : अमुक के स्थान पर वार (दिन) का नाम
अमुकनक्षत्रे : अमुक के स्थान पर नक्षत्र का नाम
अमुकराशिस्थिते सूर्ये : अमुक के स्थान पर सूर्य जिस राशि में हो उस राशि का नाम
अमुकामुकराशिस्थितेषु : अमुक के स्थान पर सूर्य के आलावा अन्य ग्रहो की राशियों में स्थित चन्द्र-भौम-बुध-गुरु-शुक्र-शनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुण-विशेषण-विशिष्टायां शुभ-पुण्य-तिथौ सकल-शास्त्र-श्रुति-स्मृति-पुराणोक्त-फल-प्राप्तिकाम:
अमुकगोत्रोत्पन्नः : अमुक के स्थान पर गोत्र का नाम
अमुकशर्मा : अमुक के स्थान पर मास का नाम
संकल्प लिया जाता है कि हम यह पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे।
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