शालिग्राम पत्थर : शालिग्राम के स्वरूप से भगवान विष्णु के रूप का सम्बन्ध (Shaligram Patthar : Shaligram Ke Swarup Se Bhagwan Vishnu Ke Rup Ka Sambandh)
हिन्दू धर्म शास्त्रों में शालिग्राम का अपना एक अलग ही महत्व है, यूँ तो ये एक जीवाश्म पत्थर है परन्तु सनातन धर्म में इसे भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है तथा इसके द्वारा ही भगवान विष्णु का आह्वान किया जाता है। आमतौर यह जीवाश्म पत्थर पवित्र नदियों के तलो या किनारे पर उपलब्ध होती है। यह वैष्णव अर्थात हिन्दू पवित्र नदी गण्डकी में पाया जाने वाला एक काले रंग का गोलाकार एमोनोइड जीवाश्म पत्थर है जो की भगवान विष्णु के रूप में पूजित है। परन्तु सवाल ये भी है कि” शालिग्राम की पहचान कैसे करे?”
आइये जानते है, शालिग्राम के बारे में कुछ और बातें:
शालिग्राम को ‘शिला‘ के नाम से भी जाना जाता है तथा शिला का अर्थ है “पत्थर“। शालिग्राम नाम का संकेत मिलता है नेपाल के एक गांव से जहाँ पर भगवान विष्णु को “शलिग्रामम” के नाम से जानते है। शालिग्राम को आम भाषा में “सालग्राम” भी कहते है तथा इसका सम्बन्ध सालग्राम नामक एक गांव से भी है और इस गांव में शालिग्राम के पत्थर आसानी से उपलब्ध भी है ।
पद्मपुराण में शालिग्राम :
नारायणी अर्थात गण्डकी नामक नदी के पास ही एक स्थल है शालिग्राम, वहीँ से निकलने वाले पत्थरों को शालिग्राम कहा जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, शालिग्राम शिला को छूने मात्र से ही मनुष्यों के सारे पाप खत्म हो जाते है और यदि आप शालिग्राम की पूजा करते है तो यह आपको भगवान के समीप लेकर जाता है तथा मनोकामना भी पूर्ण करता है। कहते है, पूर्व जन्मों के पुण्य से ही किसी को गोष्पद के चिन्ह से युक्त श्रीकृष्ण शिला मिलता है और इस शिला के पूजन से पुनर्जन्म की समाप्ति भी हो जाती है।
शालिग्राम की पहचान कैसे करे?: (Shaligram Ki Pehchan Kaise Kare?)
शालिग्राम को प्राप्त करने से पहले उसकी परीक्षा कर लेनी चाहिए। चिकनी तथा काले रंग का शालिग्राम को सर्वोत्तम माना जाता है और यदि उसमे लालिमा थोड़ी सी कम हो तो वह मध्यम श्रेणी का होता है तथा उसमे अगर किसी अन्य रंग का मिश्रण हो तो वह मिश्रित फल देने वाला होता है। जिस प्रकार सादे काठ के अंदर छिपी हुई आग को मंथन करने पर प्रकट किया जाता है, वैसे ही भगवन विष्णु का वास समस्त ब्रह्माण्ड में होने के बावजूद शालिग्राम शिला में एक विशेष रूप से समाहित है। जो भी इंसान प्रत्येक दिन द्वारिका की शिला गोमती चक्र से युक्त 12 शालिग्राम मूर्तियों की पूजा करता है उसे वैकुण्ठ लोक प्राप्त होता है। जिस भी मनुष्य को शालिग्राम शिला के अंदर गुफा का दर्शन होता है उस मनुष्य के पितर तृप्त हो जाते है तथा स्वर्ग की प्राप्ति करते है। जिस स्थान पर भी द्वारिका की शिला अर्थात – “गोमती चक्र” रहता है, उस स्थान को वैकुण्ठ माना जाता है तथा उस स्थान पर मृत्यु को प्राप्त हुए लोग विष्णुधाम को प्राप्त करते है।
आइये जानते है, शालिग्राम के स्वरूप से भगवान विष्णु के रूप का सम्बन्ध :
- गोल शालिग्राम : शालिग्राम का गोल होना अर्थात यह भगवान विष्णु का बाल गोपाल रूप है।
- मछली नुमा शालिग्राम : मछली के आकार जैसा शालिग्राम अर्थात भगवान श्री हरि का मत्स्य रूप ।
- कछुवा नुमा शालिग्राम : शालिग्राम अगर कछुवा नुमा है तो यह भगवान विष्णु का कच्छप अवतार का रूप है।
शालिग्राम की कीमत : (Shaligram Ki Kimat)
शालिग्राम की कीमत नहीं लगानी चाहिए जो भी इंसान शालिग्राम की कीमत लगाता है, जो इंसान शालिग्राम को बेचता है, जो भी इंसान विक्रय का अनुमोदन करे और जो शालिग्राम की परीक्षा करके मूल्य का समर्थन अथवा असमर्थन करता है, वो सब के सब नरक में जाते है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शालिग्राम शिला तथा गोमती चक्र की खरीद अथवा बिक्री नहीं करनी चाहिए। कहते है, शालिग्राम स्थल पर प्रकट हुए भगवान शालिग्राम तथा द्वारिका से प्रकट हुए गोमती चक्र – दोनों ही देवताओं का जहाँ पर भी समागम होता है उस स्थान पर मोक्ष प्राप्ति में थोड़ा भी संदेह नहीं करते।
शालिग्राम का मात्र एक ही मंदिर :
दुनिया में शालिग्राम का मात्र एक ही मंदिर है जो की नेपाल के मुक्तिनाथ नामक क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय के मुख्य मंदिरों में से एक है। मुक्तिनाथ की यात्रा सरल नहीं है। यह भी माना जाता है की मुक्तिनाथ में मनुष्यों को अपने हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। काठमांडू से मुक्तिनाथ जाने के लिए पहले पोखरा जाना पड़ता है। पोखरा, सड़क या हवाई मार्ग से भी जा सकते है। पोखरा से फिर जोमसोम जाना पड़ता है उसके बाद जोमसोम से मुक्तिनाथ जाने के लिए हेलिकॉप्टर या हवाई जहाज से जा सकते है। काठमांडू से पोखरा तक सड़क मार्ग से जाने के लिए 200 k.m की दुरी तय करनी पड़ती है।
शालिग्राम और भगवान विष्णु से जुड़ी जरुरी बातें :
शालिग्राम के लगभग तैंतीस (33) प्रकार पाए जाते है जिनमें से 24 प्रकार के शालिग्राम का सम्बन्ध भगवान विष्णु के 24 अवतारों से है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, ये 24 शालिग्राम का सम्बन्ध वर्ष में होने वाले 24 एकादशियों से भी है। कहते है, शालिग्राम पर दिखने वाले रेखाएं तथा चक्र विष्णु भगवान के अवतारों तथा भगवान श्री कृष्ण के रूप को इंगित करती है।
Frequently Asked Questions
1. शालिग्राम कितने प्रकार के होते है?
शालिग्राम कुल 33 प्रकार के होते है।
2. गोल शालिग्राम भगवान विष्णु का कौन सा अवतार का प्रतीक है?
गोल शालिग्राम भगवान विष्णु का बाल गोपाल अवतार का प्रतीक है।
3. मछली नुमा शालिग्राम भगवान विष्णु का कौन सा अवतार का प्रतीक है?
मछली नुमा शालिग्राम भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार का प्रतीक है।
4. कच्छप नुमा शालिग्राम भगवान विष्णु का कौन सा रूप है?
कच्छप नुमा शालिग्राम भगवान विष्णु का कच्छप अवतार का प्रतीक है।