शरद पूर्णिमा व्रत की कथा और महत्व : जानिए कब है शरद पूर्णिमा 2021? (Sharad Purnima 2021)
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हिन्दू धर्म तथा खास तौर से उत्तर भारत के लोगों के लिए शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) का अपना एक अलग ही महत्व है। पुरानी हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था और इसी कारणवश शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जानते है। हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा को कोजागरी व्रत तथा कौमुदी व्रत के नाम से भी पुकारा जाता है।
अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते है तथा वर्ष में सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चन्द्रमा पूरे 16 कलाओं द्वारा परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्र की किरणें अमृत की बूंदों के समान हो जाती हैं।
कब है शरद पूर्णिमा 2021?
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शरद पूर्णिमा 19th अक्टूबर 2021 को है। शरद पूर्णिमा व्रत की मुहूर्त :
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ :19th अक्टूबर 2021 : 07 pm
पूर्णिमा तिथि शेष : 20th अक्टूबर 2021 : 08 :20 pm
शरद पूर्णिमा व्रत की कथा :
एक बार की बात है, एक साहूकार की 2 पुत्रियां थी। साहूकार की दोनों पुत्रियां ईश्वर पर विश्वास करती, पूजा-अर्चना करती तथा पूर्णिमा का व्रत भी करती थी। परन्तु, साहूकार की बड़ी पुत्री तो पूर्णिमा का व्रत अच्छे तरीके से करती तथा व्रत को पूरा भी करती थी किन्तु, साहूकार की छोटी पुत्री पूर्णिमा का व्रत तो उठाती थी पर उसे अधूरा ही छोड़ देती थी, और इसी कारण छोटी पुत्री की प्रत्येक संतान जन्म लेते ही मर जाती थी। साहूकार की छोटी पुत्री ने कई पंडितों से सन्तानों के मृत्यु का कारण भी पूछा और उन्होंने यही बताया की तुमने पूर्णिमा का व्रत तो किया परन्तु आधा अधूरा ही किया और इसी कारण तुम्हारी संतान पैदा होते ही मर जाती है। यदि तुम पूर्णिमा के व्रत को सही रूप से और पूरी विधि विधान से करोगी तो तुम्हारी संताने जीवित रहेंगी।
कुछ समय उपरांत, साहूकार की छोटी बेटी ने फिर से पूर्णिमा का व्रत रखा और उस व्रत को विधि-विधान के साथ पूरा भी की जिसके फलस्वरूप छोटी बेटी को एक पुत्र संतान भी हुआ परन्तु, वो संतान भी कुछ समय के बाद मर गई। साहूकार की छोटी बेटी यह बात जानती थी की उसकी बड़ी बहन पूर्णिमा के व्रत को सही ढंग और पूरे विधि-विधान से करती है। साहूकार की छोटी बेटी ने अपने मरे हुए पुत्र को एक पीढ़े पर सुलाकर एक कपड़े से ढ़क दी और उसने अपनी बड़ी बहन को बुलाया तथा उसी पीढ़े पर अपनी बहन को बैठने को कहने लगी परन्तु, बड़ी बहन जब बैठने ही जा रही थी तो उसका घाघरा संयोगवश बच्चे को छू गया जिससे बच्चे में प्राण आगई और बच्चा जोर-जोर से रोने लगा। बच्चे की आवाज सुनकर बड़ी बहन कहने लगी कि तुम मुझ पर कलंक लगाना चाहती थी और इसीलिए तुम पीढ़े पर पहले से ही बच्चे को सुला रखी थी। बड़ी बहन की यह बात सुनकर छोटी बहन कहने लगती है कि ऐसा बिलकुल नहीं है मेरा बच्चा तो पहले से ही मृत है। यह तो तुम्हारे भाग्य के कारण जीवित हो उठा, सिर्फ तुम्हारे पूर्णिमा के व्रत और तुम्हारे पुण्यों के कारण और इसके बाद छोटी पुत्री ने नगर भर में पूर्णिमा के व्रत को सही ढंग से और पूरे विधि-विधान से करने का ढिंढोरा पिटवा दिया।
शरद पूर्णिमा व्रत का महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की किरणें अमृत के समान हो जाती है। कहते है, इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने गोपियों के संग में महारास रचाया था और इतना ही नहीं पुरानी हिन्दू मान्यता यह भी है कि शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी अपने भक्तों को धन तथा अभय का आशीर्वाद देती है इसलिए ये मान्यता है की शरद पूर्णिमा की रात को चन्द्रमा के रौशनी में चावल और दूध की मीठी खीर बनाकर प्रथम पहर तक रखें और फिर उस खीर को माता लक्ष्मी को भोग लगाएं। कहते है, इस क्रिया द्वारा मनुष्य की हर इच्छा पूर्ण होती है तथा इंसान किसी भी प्रकार के आर्थिक तंगी से जल्दी बाहर निकल जाता है।
Frequently Asked Questions
1. शरद पूर्णिमा कौन से माह में पड़ती है?
शरद पूर्णिमा अश्विन महीने के शुक्ल पक्ष को पड़ती है ।
2. शरद पूर्णिमा 2021 कब है?
शरद पूर्णिमा 19th अक्टूबर 2021 को है।
3. किस दिन चन्द्रमा अपने 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है?
शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।
4. शरद पूर्णिमा के दिन किस भगवान ने रास रचाया था?
शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्री कृष्ण ने रास रचाया था।