भगवान शिव के जन्म की कथा : जानिए कैसे, कब और कहां प्रकट हुए भगवान भोलेनाथ (Bhagwan Shiva Ke Janm Ki Katha : Janiye Kaise, kab, Aur kaha Prakat Hue Bhagwan Bholenath)
सृष्टि के संहारक भगवान भोलेनाथ के अनेकों नाम है जैसे : शिव, शंकर, महाकाल, उमापति आदि। भगवान शिव का एक नाम “आदिनाथ” भी है अर्थात जो सबसे प्राचीन है, जो सबसे पुराने है। भगवान शिव शंकर की भक्ति तो पूरा संसार ही करता है और हर शिव भक्त ये जानना चाहता है कि भोलेनाथ के जन्म के पीछे की कहानी क्या है? आज हम आपको बताएंगे भगवान भोलेनाथ के जन्म की पौराणिक कथा तथा ये भी बताएंगे कि कैसे, कब और कहां प्रकट हुए भगवान भोलेनाथ। तो, चलिए शुरू करते है :
मान्यताओं के अनुसार, तो भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है। शिव जी तो स्वयंभू आदिनाथ हैं। किन्तु, यदि आप पुराणों में ढूंढेंगे तो भगवान शिव शंकर की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है। “विष्णु पुराण” (Vishnu Puran) के अनुसार ब्रह्म देव, भगवान श्री हरि विष्णु के नाभि से उत्पन्न हुए और भगवान शिव शंकर, भगवान विष्णु के मस्तक की तेज से उत्पन्न हुए। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु के मस्तक की तेज से उत्पन्न होने के कारण ही भगवान शिव हमेशा “योग मुद्रा” (Yog Mudra) में रहते हैं।
“श्रीमद् भागवत गीता” के अनुसार, एक बार की बात है जब भगवान श्रीहरि विष्णु और ब्रह्म देव अहंकार से अभिभूत होकर अपने आप को ही श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए लड़ रहे थे, तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए।
“विष्णु पुराण” में बताए गए भगवान शिव शंकर के जन्म की कथा शायद भगवान शिव की एकमात्र बाल रूप का वर्णन है। विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्म देव को एक बच्चे की जरूरत थी और ब्रह्म देव ने इसके लिए कठिन तपस्या की थी। तब, अचानक ही ब्रह्म देव के गोद में रोता हुआ एक छोटा सा बालक प्रकट हुए। ब्रह्म देव ने उस बच्चे से उसके रोने का कारण पूछा तो, उसने बड़ी ही मासूमियत से उत्तर दिया कि उसका कोई नाम नहीं है और इसलिए वह रो रहा है। तब, ब्रह्म देव ने उस बालक का नाम “रूद्र” रख दिया, जिसका अर्थ है “रोने वाला“। बालक के रूप में जन्में भगवान शिव शंकर तब भी शांत नहीं हुए। इसलिए ब्रह्म देव ने भगवान शिव को दूसरा नाम दिया पर वो नाम भी भगवान शिव को पसंद नहीं आया और वे फिर भी शांत नहीं हुए और इस तरह भगवान शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्म देव ने शिव जी को 8 नाम दिए और इसी कारण भगवान शिव शंकर 8 नामों द्वारा जाने गए, ये नाम इस प्रकार से है :
रूद्र (Rudra)
शर्व (Sharva)
भाव (Bhav)
उग्र (Ugra)
भीम (Bhim)
पशुपति (Pashupati)
ईशान (Irshan)
महादेव (Mahadev)
“शिव पुराण” (Shiva Puran) के अनुसार ये सारे नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे।
भगवान शिव शंकर के इस प्रकार ब्रह्म देव के पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसका उल्लेख विष्णु पुराण में की गई है। इस कथा के अनुसार जब धरती, आकाश, और पाताल समेत समस्त ब्रह्माण्ड जलमग्न हो गया था तब सृष्टि में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के अलावा और कोई भी देव नहीं था। उस समय केवल भगवान श्री हरि विष्णु ही उस जलमग्न सतह पर अपने शेषनाग की शैया पर लेटे हुए नजर आ रहे थे और तभी भगवान विष्णु जी के नाभि से “कमल नाल” पर ब्रह्म देव प्रकट हुए और जब ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु सृष्टि के संबंध के बारे में बातें कर रहे थे तब भगवान शिव शंकर प्रकट हुए। किन्तु, ब्रह्म देव ने भगवान शिव को पहचानने से इंकार कर दिया। तब शिव जी के रूठने के भय से भगवान श्री हरि विष्णु ने ब्रह्म देव को दिव्य दृष्टि प्रदान किया, जिसे पाकर ब्रह्म देव को भगवान शिव शंकर से जुड़ें सत्य का बोध हुआ।
सत्य का बोध होते ही ब्रह्म देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो शिव जी से क्षमा मांगने लगें तथा उन्होंने भगवान शिव शंकर से अपने पुत्र रूप में पैदा होने का वरदान मांगा। शिव जी ने ब्रह्म देव की प्रार्थना को स्वीकार किया और उन्हें मनचाहा वरदान भी दिया। जब ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की तब उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब ही उन्हें भगवान शिव के दिए हुए वरदान का ध्यान आया। अत: ब्रह्म देव ने कठिन तपस्या की और बालक के रूप में भगवान शिव ब्रह्म देव की गोद में प्रकट हुए।
Frequently Asked Questions
1. ब्रह्म देव ने भगवान शिव के बच्चे के रूप में प्रकट होने पर क्या नाम दिया था ?
ब्रह्म देव ने भगवान शिव के बच्चे के रूप में प्रकट होने पर 8 नाम दिए थे जो इस प्रकार है रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव।
2. ब्रह्म देव की उत्पत्ति कैसे हुई थी?
ब्रह्म देव की उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुई थी।
3. किस देव का दूसरा नाम आदिनाथ है ?
आदिनाथ भगवान शिव शंकर का दूसरा नाम है।
4. भगवान शिव हमेशा किस मुद्रा में रहते है?
शिव जी हमेशा योग मुद्रा में रहते है।