Sign In

शिव तांडव स्तोत्र का चमत्कारी पाठ : जानिए इसके फायदे और विधि (Shiva Tandav Stotra ka Chamatkari Path : Janiye Iske Fayde Aur Vidhi)

शिव तांडव स्तोत्र का चमत्कारी पाठ : जानिए इसके फायदे और विधि (Shiva Tandav Stotra ka Chamatkari Path : Janiye Iske Fayde Aur Vidhi)

Article Rating 4.3/5

शिव तांडव स्तोत्र रावण द्वारा रचित है इसलिए इसे “रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र” (Ravan Rachit Shiv Tandav Stotra) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें संस्कृत भाषा में कुल 17 श्लोक लिखे गए है जिसमें लंकापति रावण ने भगवान शिव की स्तुति की है। शिव तांडव स्तोत्र के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है आइये जानते है उस कथा के बारे में :

एक बार की बात है, जब रावण ने अपने अहंकार में आकर कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश कि तब भगवान भोलेनाथ ने अपने अंगूठे द्वारा कैलाश पर्वत को दबाकर स्थिर कर दिया था। जिसके कारण रावण का हाथ कैलाश पर्वत के नीचे दब गया था। तब उसी पीड़ा को सहते हुए रावण ने भगवान शिव की आराधना और स्तुति की थी। उस समय रावण द्वारा गाए गए श्लोक व स्तुति ही शिव तांडव स्तोत्र के नाम से विख्यात हुआ। रावण, भगवान भोलेनाथ का अन्य भक्त था और रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अन्य किसी भी पाठ की तुलना में भगवान भोलेनाथ को सबसे अधिक प्रिय है। शिव तांडव स्तोत्र का चमत्कारी पाठ करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। शिव तांडव स्तोत्र बहुत चमत्कारिक और शीघ्र फलदायक माना जाता है। तो, आइये जान लेते हैं शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कार अथवा फायदे और पाठ की सही विधि के बारे में :

यह भी पढ़े – कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष क्या है : हिंदू कैलेंडर से कैसे की जाती है इसकी गणना

शिव तांडव स्तोत्र के फायदे : (Shiva Tandav Stotra ke Fayde) 

  • मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति भगवान शिव की स्तुति शिव तांडव स्तोत्र द्वारा करता है, तो उससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और यदि कोई नियमित रूप से रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करे तो उसे कभी भी धन, सम्पदा की कोई भी कमी नहीं होगी। 
  • शिव तांडव स्तोत्र के चमत्कारी पाठ से साधक को उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है।
  • इसके पाठ से व्यक्ति तेजस्वी होता है साथ ही साधक का आत्मबल मजबूत होता है।
  • शिव तांडव स्तोत्र के पाठ से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
  • मान्यताओं के अनुसार, शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से, “वाणी की सिद्धि” भी प्राप्त की जा सकती है।
  • भगवान शिव शंकर – योग, नृत्य, ध्यान, समाधि, चित्रकला और लेखन आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले देव हैं। इसलिए यदि आप शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते है तो आपको इन सभी विषयों में बहुत जल्द सफलता प्राप्त होगी।
  • यदि आपके जन्मकुंडली में शनि देव अशुभ स्थान पर विराजित हों या आप शनि की ढैया या शनि की साढ़ेसाती से परेशान हो, तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें इससे आप बहुत जल्द शनि देव के दंड से छुटकारा पा लेंगें।
  • जिनकी जन्म कुंडली में कालसर्प दोष या पितृ दोष हो उन्हें शिव तांडव स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।

शिव तांडव स्तोत्र करने की विधि : (Shiva Tandav Stotra Karne Ki Vidhi)

शिव तांडव स्तोत्र करने से पहले शिव तांडव स्तोत्र की उचित विधि को जानना अति आवश्यक है, तो आइये जान लेते है शिव तांडव स्त्रोत की विधि के बारे में :

  • इस स्तोत्र का पाठ प्रात:काल या प्रदोष काल में ही करना ही उचित माना जाता है।
  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित कर उन्हें प्रणाम करें और धूप, दीप, जल और नैवेद्य से उनका पूजन करें।
  • इस स्त्रोत का जाप रावण ने पीड़ा को सहन करते हुए गाया था, इसलिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ उच्च स्वर में गाकर करें।
  • ऐसा भी माना जाता है कि यदि आप शिव तांडव स्तोत्र का जाप नृत्य के साथ करते है तो यह श्रेष्ठ फलदायक माना जाता है। किन्तु, तांडव नृत्य सिर्फ पुरूषों को ही करना चाहिए।
  • शिव तांडव स्तोत्र का पाठ पूर्ण होने पर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
  • शिव तांडव स्तोत्र का पाठ बहुत ही शक्तिशाली और ऊर्जादायक माना जाता है। इस तांडव स्त्रोत का पाठ करते समय किसी के भी लिए अपने मन में किसी भी प्रकार का बदला या दुर्भावना न रखें।

यह भी पढ़े – महामृत्युंजय मंत्र : जानिए मृत्यु को टालने वाले मंत्र की रचना की कथा

Frequently Asked Questions

1. शिव तांडव स्त्रोत किसने लिखा था?

शिव तांडव स्त्रोत को रावण ने लिखा था।

2. भगवान शिव के मस्तक पर किस देव नदी का वास है?

भगवान शिव के मस्तक पर देव नदी गंगा का वास है ।

3. शिव तांडव स्त्रोत को किस दिन पढ़ना चाहिए?

शिव तांडव स्त्रोत को हर दिन या प्रदोषकाल या प्रत्येक सोमवार को पढ़ना चाहिए।

4. रावण ने अहंकार में आकर किस पर्वत को उठाने की कोशिश थी?

रावण ने अहंकार में आकर कैलाश पर्वत को उठाने की कोशिश थी?