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अनंतनाथ भगवान की आरती | Shri Anantnath Bhagwan Aarti | Free PDF Download

अनंतनाथ भगवान की आरती | Shri Anantnath Bhagwan Aarti | Free PDF Download

करते हैं प्रभु की आरती, आतम की ज्योति जलेगी |
प्रभुवर अनंत की भक्ति, सदा सोख्य भरेगी, सदा सोख्य भरेगी ||

हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |

हे सिंहसेन के राज दुलारे, जयश्यामा के प्यारे |
साकेतपूरी के तुम नाथ, गुणाकार तुम न्यारे ||
तेरी भक्ति से हर प्राणी में, शक्ति जगेगी, प्राणी में शक्ति जगेगी |

हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |

वदि ज्येष्ठ द्वादशी में प्रभुवर, दीक्षा को धारा था |
चैत्री मावस में ज्ञान कल्याणक उत्सव प्यारा था ||
प्रभु की दिव्यध्वनि दिव्यज्ञान, आलोक भरेगी, ज्ञान आलोक भरेगी ||

हे त्रिभुवन स्वामी, हे अन्तरयामी |
हे त्रिभुवन स्वामी, हे अंतर्यामी |

 

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