श्रीमद्भगवद्गीता के चौका देने वाले 11 रहस्य, जानकर हो जाएंगे हैरान (Shrimad Bhagwat Geeta Ke Chauka Dene Wale 11 Rahasya, Jankar Ho Jayenge Hairan)
महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने रणभूमि में खड़े होकर पाण्डु पुत्र को बहुत ही अनमोल ज्ञान सौपा था जो कि कृष्ण-अर्जुन संवाद के नाम से ही नहीं बल्कि भगवत गीता ज्ञान (Bhgwat Geeta Gyan) तथा गीता के उपदेश (Geeta Ke Updesh) के नाम से भी प्रचलित हुआ। परन्तु भगवत गीता ज्ञान सिर्फ अर्जुन के युद्ध विजय के लिए ही नहीं बल्कि सारे संसार के भलाई के लिए भी था। तो, आइये आपको रहस्यमयी श्रीमद्भगवद्गीता के चौका देने वाले 11 रहस्य के बारे में बतलाते है :
श्रीमद्भगवद्गीता के चौका देने वाले 11 रहस्य :
1. श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को प्रभु श्री कृष्ण ने पाण्डु पुत्र अर्जुन को कुरुक्षेत्र में खड़े होकर दिया था और यही श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच का वार्तालाप कृष्ण अर्जुन संवाद के नाम से जाना गया ।
2. श्री कृष्ण अर्जुन संवाद के द्वारा स्वयं परमेश्वर अर्थात प्रभु श्री कृष्ण ने इस संसार को बहुत ही बहुमूल्य ज्ञान दिया था जो की श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जाना गया। कहते है उस समय प्रभु श्री कृष्ण योगरूढ़ थे।
3. श्रीमद्भगवद्गीता के चौथे अध्याय में प्रभु श्री कृष्ण जी कहते है कि इससे पहले अर्थात पूर्व काल में मैंने इस योग की दीक्षा विवस्वान को दिया था और फिर विवस्वान ने मनु को दिया और मनु ने इच्छवाकु को दिया और इस तरह से पीढ़ी दर पीढ़ी यह योग महर्षि और राजाओं तक पहुँचता गया और अंत में विलुप्त हो गया और अब इस योग की दीक्षा मै तुम्हें दे रहा हूँ। हिन्दू परंपरा के अनुसार यह योगरुपी ज्ञान सबसे पहले भगवान सूर्य को मिला और फिर उनके पुत्र वैवस्वत मनु को मिला।
4. भगवान श्री कृष्ण के गुरु घोर अंगिरस थे। अंगिरस ने देवकी नंदन श्री कृष्ण को जो उपदेश दिया था वही उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया और वही उपदेश था श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान। छांदोग्य नाम के उपनिषद में इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रभु श्री कृष्ण अंगिरस के शिष्य थे।
5. श्रीमद्भागवत गीता में कर्म, ज्ञान और भक्ति के बारे में चर्चा की गयी है । इसके अलावा इसमें याम – नियम तथा धर्म – कर्म के बारे में बताया गया है । श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार ईश्वर एक है। श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ने पर समझ आती है कि श्रीमद्भगवद्गीता के प्रत्येक शब्द पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता में सृष्टि-उत्पत्ति, हिन्दू संदेवाहक क्रम, जीव विकासक्रम, मानव उत्पत्ति, धर्म – कर्म, योग, ईश्वर, देवी – देवता, प्रार्थना, उपासना, याम – नियम, मोक्ष, राजनीती, युद्ध, आकाश, अंतरिक्ष, धरती, वंश, संस्कार, कुल, अर्थ, निति, जीवन प्रबंधन, पूर्व जन्म, राष्ट्र निर्माण, कर्मसिद्धांत, आत्मा, त्रिगुण की संकल्पना तथा प्रत्येक प्राणी में मैत्रीभाव इत्यादि की जानकारी ।
6. श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्री कृष्ण की वाणी है। श्रीमद्भागवत गीता के प्रत्येक श्लोक में ज्ञान रूपी प्रकाश है,और जिसके प्रफुल्लित होते ही अज्ञान का अंधकार नष्ट हो जाता है। कर्म, ज्ञान और भक्ति योग मार्ग का विस्तृत वर्णन किया गया है, इस मार्ग पर चलने से मनुष्य निश्चित रूप से ही परम पद का अधिकारी बन जाता है।
7. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था। इसके बाद कलयुग का आरम्भ शक संवत 3176 वर्ष पूर्व की चैत्र शुक्ल एकम (प्रतिपदा) को हुआ। वर्तमान में 1939 शक संवत चल रहा है। आर्यभट्ट के अनुसार, 3137 ईसा पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ था। महाभारत के युद्ध के ३५ वर्ष बाद भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हो गयी और तभी से कलयुग का आरम्भ हुआ। भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु एक बहेलिया के हाथों हुई। उस समय भगवान श्री कृष्ण की आयु 119 वर्ष थी। आर्यभट्ट अनुसार श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान 5154 वर्ष पूर्व श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया था।
8. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह ज्ञान दिया तब एकादशी तिथि थी और उस दिन रविवार था। श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता ज्ञान लगभग 45 मिनट तक दिया था। श्रीमद्भागवत गीता में “श्री कृष्ण ने – 574”, “अर्जुन ने- 85”, “संजय ने 40” और “धृतराष्ट्र ने – 1” श्लोक कहा है।
9. श्रीमद्भगवद्गीता की गिनती उपनिषदों में की जाती है। यही कारण है कि इसे गीतोपनिषद् भी कहा जाता है। श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत के भीष्म पर्व का अंश है। महाभारत में श्रीमद्भगवद्गीता का कुछ स्थानों पर हरिगीता नाम से उल्लेख किया गया है।
10. श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान अर्जुन को दिया क्योंकि वो अपने कर्तव्य पथ से भटक कर संन्यासी और वैराग्य जैसा आचरण करके महाभारत का युद्ध छोड़ने को तैयार हो गए थे। वह भी ऐसे समय जब सेना डटकर मैदान में कड़ी थी। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण को अर्जुन को उनका कर्तव्य बोध कराने के लिए यह श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान देना पड़ा। श्रीमद्भगवद्गीता को अर्जुन के अलावा संजय ने सुना और फिर संजय ने यह ज्ञान धृतराष्ट्र को सुनाया।
11. श्रीमद्भगवद्गीता एकमात्र ऐसा दिव्य ग्रंथ है जिस पर इस संसार की समस्त भाषाओं में सबसे ज्यादा टीका, भाष्य, व्याख्या, निबंध, टिप्पणी, शोधग्रंथ इत्यादि लिखे गए हैं। “आदि शंकराचार्य”, “रामानुज”, “रामानुजाचार्य”, “मध्वाचार्य”, “निम्बार्क”, “भास्कर”, “वल्लभ”, “श्रीधर स्वामी”, “आनंद गिरि”, “मधुसूदन सरस्वती”, “संत ज्ञानेश्वर”, “बाल गंगाधर तिलक”, “परमहंस योगानंद”, “महात्मा गांधी”, “सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन”, “महर्षि अरविन्द घोष”, “एनी बेसेन्ट”, “गुरुदत्त”, “विनोबा भावे”, “स्वामी चिन्मयानंद”, “चैतन्य महाप्रभु”, “स्वामी नारायण”, “जयदयाल गोयन्दका”, “ओशो रजनीश”, “स्वामी क्रियानंद”, “स्वामी रामसुखदास”, “श्रीराम शर्मा आचार्य” आदि सैंकड़ों विद्वानों ने श्रीमद्भागवत गीता पर भाष्य लिखें तथा प्रवचन दिए हैं। लेकिन कहते है कि ओशो रजनीश ने श्रीमद्भगवद्गीता पर जो प्रवचन दिए है वह दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ प्रवचनों में से एक है।
Frequently Asked Questions
1. भगवत गीता में कितने अध्याय तहत श्लोक है?
भगवत गीता में 18 अध्याय तथा 720 श्लोक है।
2. श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश किसे दिया था ?
श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था।
3. किस युद्ध में श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया?
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।