सूर्य राशि और चंद्र राशि : स्वभाव तथा दोनों के बीच का अंतर (Surya Rashi Aur Chandra rashi : Swabhav tatha Donon Ke Bich Ka Antar)
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 2 तरीके की राशियां बताई गई है – चंद्र राशि तथा सूर्य राशि। लेकिन, कुछ लोग इन दोनों राशियों को ही एक मान लेते है। पर ऐसा नहीं है – ज्योतिष शास्त्र में बताये गए दोनों ही राशि अलग अलग होते है और इनका प्रभाव भी जातक पर अलग अलग ढंग से पड़ता है। आज हम जानेंगे, सूर्य राशि तथा चंद्र राशि के बारे में, सूर्य राशि और चंद्र राशि किस प्रकार निकाली जाती है ? तथा इन दोनों के बीच का अंतर। तो चलिए शुरू करते है।
सूर्य राशि तथा चंद्र राशि क्या है ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी जातक का व्यक्तित्व उसके सूर्य राशि द्वारा तय किया जाता है। सूर्य राशि द्वारा ही तय किया जाता है कि जातक कैसा इंसान है और कैसा राह पर चलना पसंद करता है। साथ ही इसके द्वारा ही यह भी पता चलता है की जातक किस तरह के नियम और धारणाओं का पालन करता है।
चंद्र राशि द्वारा हम किसी भी जातक के मनोदशा तथा स्वभाव का पता लगाते है। किसी भी जातक के जन्म के समय चन्द्रमा के गोचर के आधार पर ही चंद्र राशि तय की जाती है। चंद्र राशि के द्वारा जातक के भावनाओं के बारे में पता चलता है साथ ही हम यह बहुत ही आसानी से जान लेते है की जातक कोमल स्वभाव का है या फिर अत्यधिक क्रोधित।
सूर्य राशि तथा चंद्र राशि तय करने की विधि :
वैदिक ज्योतिष में कुल 12 राशियां होती है : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन।
इन सभी राशियों का आधिपत्य नौ ग्रहों को प्राप्त है अर्थात : सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध बृहस्पति, शुक्र और शनि ।
किसी भी व्यक्ति की चंद्र राशि या सूर्य राशि को देखने के लिए सबसे पहले उसकी जन्म तिथि की जरूरत पड़ती है और उस जन्म तिथि से उस जातक की जन्म कुंडली अर्थात लग्न चार्ट बनायी जाती है। लग्न चार्ट के जिस भी भाव में चन्द्रमा विराजित हो उस भाव में लिखी संख्या के आधार पर राशि चिन्ह का निर्णय लिया जाता है अर्थात अगर चन्द्रमा भाव संख्या 1 में हो तो व्यक्ति की राशि मेष राशि होती है और उस व्यक्ति के राशि स्वामी मंगल होते है किउ के मेष राशि के स्वामी मंगल है।
इसी प्रकार जिस भी भाव में सूर्य विराजित हो वही उस जातक की सूर्य राशि कहलाती है ।
अगर किसी जातक के जन्म कुंडली में सूर्य और चंद्रमा एक साथ विराजित हो तो उस व्यक्ति की चंद्र और सूर्य राशि भी एक ही होती है ।
यह भी पढ़े – जानें तिलक के प्रकार, प्रभाव और लाभ
सूर्य राशि और चंद्र राशि में क्या अंतर है?
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता की संज्ञा दी गयी है तथा चन्द्रमा को माता की संज्ञा दी गयी है और दोनों ही राशियां अलग अलग गुणों से परिपूर्ण होती है। दोनों ही राशियों को ज्ञात करने का तरीका एक ही है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य को बारह राशियों के पूरे चक्र को समाप्त करने में 12 महीने लगते है। लेकिन बारह राशियों के पूरे चक्र को समाप्त करने में चंद्रमा को ढाई दिन लगते है।
इसके अलावा, चंद्र राशि जातक के मनोदशा, भावना तथा इन्द्रियों का ज्ञान है और सूर्य राशि जातक के इच्छा, नियम तथा मान्यताओं की रूपरेखा है।
यह दोनों राशियां ही एक साथ ही काम करते है। आइये इसे एक उदाहरण से समझते है :
ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई जगह है जहा पर सूर्य और चंद्र राशि एक साथ कार्य करते है और एक दूसरे के पूरक कहलाते है। जैसे की : वृषभ और कर्क राशि।
वृषभ राशि का सूर्य पोषण और देखभाल का सूचक है वहीं कर्क राशि का चन्द्रमा बहुत ही कोमल, भावुक तथा संवेदनशील होता है। बिल्कुल उसी तरह, सिंह राशि का सूर्य और मकर राशि का चन्द्रमा भी एक दूसरे के पूरक है यानी की सिंह राशि का सूर्य में जूनून और मकर के चन्द्रमा में कृतज्ञता पायी जाती है।
यहाँ एक बात और गौर करने की है – कि जब एक ही राशि में सूर्य और चंद्रमा एक साथ में युति बनाए हुए हो तो ऐसा जातक प्रेरणात्मक और बेहद बोल्ड होता है। और यही जातक के सफलता का भी कारण होता है। उदाहरण के लिए – सिंह राशि में सूर्य और चन्द्रमा का एक साथ होना – जातक को ड्रामेटिक और भावुक दोनों ही बनाता है और इस कारण जातक जीवन भर असमंजस में फसा रहता है।
नोट : कई लोग सिर्फ सूर्य राशि को ही मानते है तो कुछ लोग केवल चंद्र राशि को ही मानते है पर ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ज्योतिषशात्र सूर्य और चंद्र – दोनों ही राशियों के बल पर ही कुंडली की रचना करता है। इसलिए, किसी भी जातक के बारे में अगर सही रूप से जानना हो तो जातक के सूर्य राशि, चंद्र राशि तथा उसके लग्न को अच्छे तरह से समझ लें और तभी किसी निर्णय पर पहुंचे।
यह भी पढ़े – वायु तत्व राशियां : वायु तत्व राशियों के गुण और विशेषताएं
Frequently Asked Questions
1. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य राशि और चंद्र राशि क्या एक ही होते है ?
जी नहीं, ज्योतिष शास्त्र में सूर्य राशि और चंद्र राशि दोनों ही अलग अलग तथ्य है।
2. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य राशि क्या है ?
जातक के जन्म के समय जातक के लग्न कुंडली में सूर्य जिस भी राशि में उपस्थित हो उसे सूर्य राशि कहते है।
3. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र राशि क्या है ?
जातक के जन्म के समय जातक के लग्न कुंडली में चंद्र जिस भी राशि में उपस्थित हो उसे चंद्र राशि कहते है।
4. क्या सिर्फ चंद्र राशि या सिर्फ सूर्य राशि के बल पर जातक की कुंडली तय कर सकते है ?
जी नहीं, किसी भी जातक की जन्म कुंडली बनाते समय चंद्र राशि तथा सूर्य राशि दोनों की ही आवस्यकता पड़ती है।
5. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य राशि द्वारा क्या तय किया जाता है ?
किसी भी जातक का व्यक्तित्व उसके सूर्य राशि द्वारा तय किया जाता है।
6. ज्योतिष शास्त्र में चंद्र राशि द्वारा क्या तय किया जाता है ?
किसी भी जातक की मनोदशा तथा उसकी भावना उसके चंद्र राशि द्वारा तय किया जाता है।