जन्म कुंडली में उपस्थित सूर्य मंगल युति का जातक पर प्रभाव और उपाय (Janm Kundali Me Upasthit Surya Mangal Yuti Ka Jatak Par Prabhav Aur Upay)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्मकुंडली में कुल 9 ग्रह होते है जिनका प्रभाव जातक के जीवन में शुभ या अशुभ तरह से पड़ता है। एक ग्रह जन्म कुंडली के अलग-अलग भाव में बैठ कर जातक के जीवन में अलग-अलग रूप से अपना प्रभाव दिखाता है। किन्तु जन्म कुंडली में कुछ ग्रहों के युति भी देखने को मिलते है अर्थात जब 2 या 2 से ज्यादा ग्रह जन्म कुंडली के किसी भाव में एक साथ विराजित हो। ये ग्रहों की युतियां जातक के जीवन में कुंडली के भावों के अनुसार ही फल देते है। आज हम बात करेंगें सूर्य और मंगल युति के बारे में। तो चलिए शुरू करते है :
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जहाँ मंगल – साहस, वीरता तथा पराक्रम का कारक ग्रह है और सूर्य पिता और अधिकार का प्रतीक है। एक तरफ जहाँ मंगल को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा गया है वहीं दूसरी तरफ सूर्य को अग्नि और आक्रामकता का प्रभुत्व प्राप्त है। अर्थात मंगल सूर्य की युति अग्नियों का मेल है।
सूर्य मंगल युति का जातक के व्यक्तित्व पर असर :
जन्म कुंडली में सूर्य मंगल युति होने से उसका सीधा असर जातक के व्यक्तित्व पर पड़ता है। सूर्य मंगल – दोनों ग्रह ही अग्नि तत्व राशि वाले है। इसलिए ये दोनों ग्रह ही जातक को ऊर्जावान बनाते है। ऐसे लोग जीवन के विषम परिस्थिति में भी सही निर्णय लेने में सक्षम होते है। ये किसी भी तरह का रिस्क उठाने में हिचकिचाते नहीं है। स्वभाव से ये बेहद आक्रामक हो सकते है। किसी के अंदर काम करना इन्हें बर्दाश्त नहीं होता। ये स्वतंत्रता प्रेमी होते है।
जन्म कुंडली में सूर्य मंगल यदि कारक ग्रहों में आते हों हो तो ऐसे जातक जीवन में कई रिस्क उठाते है और सफल भी होते है। साथ ही ये अपने परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन भी लाते है।
दोनों ही ग्रह अग्नि तत्व के होने के कारण ऐसे जातक में अहंकार की भावना अधिक पाई जाती है। साथ ही ये सिर्फ अपनी बातों को ही अहमियत देते है और इन्हें कोई भी बात आसानी से नहीं समझाया जा सकता। जन्म कुंडली में सूर्य मंगल युति यदि शुभ अवस्था में हो तो जातक में आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती। वहीं सूर्य मंगल युति यदि अशुभता लिए हुए हो तो जातक बहुत ही डरपोक होता है।
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सूर्य मंगल युति दिलाता है मान सम्मान :
सूर्य मंगल युति किसी भी जातक को न सिर्फ आत्मविश्वास देता है बल्कि यह समाज में मान सम्मान तथा पद – प्रतिष्ठा भी दिलवाता है। सूर्य मंगल युति के वजह से जातक में गजब की नेतृत्व क्षमता होती है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा तथा मंगल को उनका सेनापति का दर्जा दिया गया है। इसलिए सूर्य मंगल युति जातक में राजा और सेनापति दोनों के ही गुणों को भर देता है। इसके कारण ऐसे लोगों के तरफ समाज के लोग काफी आकर्षित होते है। ऐसे जातक अपने आस पास के लोग तथा अपने रिश्तेदारों के लिए बड़े से बड़ा कदम भी उठा लेते है और यही कारन है की ये समाज में मान सम्मान प्राप्त करते है।
सूर्य मंगल युति का कार्यक्षेत्र पर प्रभाव :
जन्म कुंडली में सूर्य मंगल युति होने के कारण जातकों को विशेष रूप से राजनीती, सेना, सरकारी नौकरी तथा सामाजिक कार्यों में दिलचस्पी होती है। इसके अलावा, ऐसे जातक मंगल के प्रभाव के कारण भवन निर्माण से जुड़ें कार्यों को करने वाले होते है। साथ ही सूर्य मंगल की प्रधानता के कारण ऐसे जातक सरकारी नौकरी में उच्च पद पर आसीन होते है।
सूर्य मंगल युति का स्वास्थ्य पर प्रभाव :
जन्म कुंडली में यदि सूर्य मंगल युति शुभ अवस्था में हो तो जातक बलशाली, तंदुरुस्त और ऊर्जावान होगा और यदि सूर्य मंगल अशुभता लिए हुए हो तो जातक पतला – दुबला होता है और साथ ही जातक उच्च रक्तचाप, तथा हृदय संबंधी रोग से परेशान होता है। ऐसे जातक दुर्घटना का शिकार भी हो सकते है। ऐसे जातकों को तीखा और मसालेदार भोजन नहीं खाना चाहिए। साथ ही इन्हें योग अवश्य करनी चाहिए।
सूर्य मंगल युति के कारण अंगारक दोष :
जन्म कुंडली में सूर्य मंगल अंगारक दोष का निर्माण करता है। अंगारक दोष के कारण जातक को जीवन भर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण जातक का स्वास्थ्य भी बिगड़ता है। ऐसे जातकों को गुस्सा बहुत जल्दी आती है। ऐसे जातकों के पारिवारिक जीवन तथा दाम्पत्य जीवन में भी कलह बनी रहती है। इसलिए ऐसे जातकों को समय रहते अंगारक दोष का उपाय अवश्य करना चाहिए।
सूर्य मंगल युति उपाय :
जन्म कुंडली में सूर्य मंगल अंगारक दोष का अगर निर्माण हो रहा हो तो ऐसे जातक को निचे बताये गए उपाय अवश्य करनी चाहिए :
- प्रत्येक दिन भगवान सूर्य देव को जल चढ़ाएं।
- मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- भगवान शिव को जल के साथ घी और मधु अवश्य चढ़ाएं।
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Frequently Asked Questions
1. सूर्य मंगल युति को और किस नाम से जाना जाता है ?
सूर्य मंगल युति को अंगारक दोष के नाम से भी जाना जाता है।
2. जन्म कुंडली में उपस्थित सूर्य मंगल दोष को किस तरह से दूर करें ?
जन्म कुंडली के 12वें भाव में बृहस्पति और चंद्रमा है तो आयु लम्बी होती है।
3. ज्योतिष में सूर्य और मंगल को किस विशेष श्रेणी में रखा गया है ?
ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा तथा मंगल को सेनापति का दर्जा दिया गया है।