सूर्य नमस्कार : सूर्य देव को प्रसन्न करने का अद्भुत तरीका (Surya Namaskar : Surya Dev Ko Prasann Karne Ka Adbhut Tarika )
सनातन धर्म के सभी वेद, पुराण, उपनिषदों में भगवान सूर्य नारायण (Bhagwan Surya Narayan) का अपना अलग और विशेष स्थान है। सूर्य जिन्हें सभी ग्रहों में श्रेष्ठ तथा पिता का दर्जा दिया गया है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, भगवान सूर्य नारायण की कथा मात्र को सुनने से ही मनुष्य समस्त पापों तथा दुर्गतियों से मुक्ति पा लेता है। सनातन ऋषि मुनियों ने भगवान सूर्य नारायण को ज्ञान रूपी ईश्वर के रूप में स्वीकार किया तथा सूर्य देव की पूजा और उपासना का निर्देश समस्त मानव जाति को दिया।
ब्रह्म मुहूर्त के समय भगवान सूर्य देव की किरणों को अमृत वर्षा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य देव की उत्पत्ति “विराट पुरुष” के नेत्रों से हुआ था।
भगवान सूर्य नारायण को प्रसन्न करने से मनुष्य नाम, मान-सम्मान, प्रसिद्धि, तथा अपने पिता के प्रेम को प्राप्त करता है। आज हम आपको बताने वाले है सूर्य देव को प्रसन्न करने का खास उपाय अर्थात – सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) तथा सूर्य नमस्कार से जुड़ें कुछ जरुरी बातों को, तो चलिए शुरू करते है :
सूर्य नमस्कार का महत्व तथा चमत्कार :
सूर्य देव को यूँ ही नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त नहीं है बल्कि सूर्यदेव को ब्रह्माण्ड का केंद्र शक्ति भी माना जाता है। पूरे ब्रह्माण्ड में सभी प्राणी सूर्यदेव पर ही आश्रित है, फिर चाहें वो जीवन में प्रकाश के लिए हो, ज्ञान हो या ऊर्जा। भूत, प्रेत, पिशाचों के नाश के लिए, जीवन शक्ति संचार तथा रोग – कीटाणु के नाश के लिए भी सभी सूर्य देव पर ही निर्भर करते हैं। सूर्य नमस्कार से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं तथा हमारे मन और जीवन के अज्ञानता को दूर कर ऊर्जा तथा शक्ति का संचार करते हैं। सूर्य नमस्कार केवल एक व्यायाम ही नहीं बल्कि भगवान सूर्य नारायण की उपासना का अद्भुत तरीका भी है। जितना आशीर्वाद भगवान सूर्य की पूजा विधि विधान से करने से मिलता है उतना ही पुण्य सूर्य नमस्कार से भी प्राप्त होता है। शास्त्रों में सूर्य नमस्कार को लेकर कहा भी गया है :
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्रयं नोपजायते।।
अर्थात : जो व्यक्ति हर दिन सुबह सूर्य नमस्कार करता है उसे किसी भी जन्म में दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। सूर्य नमस्कार द्वारा सूर्योपासना करने से कुष्ठ रोग तथा आँखों से जुड़ीं बीमारियां नहीं होती। जिन लोगों के जन्म कुंडली में सूर्य अशुभ भाव में हों तो उन लोगों को अग्नि रोग, जलन, क्षय, अतिसार आदि रोग होने की संभावना प्रबल रहती है इसलिए प्रतिदिन सुबह सूर्य नमस्कार करें जिससे कि इन सारी बीमारियों से दूर रहा जा सके। सूर्य नमस्कार करने से व्यक्ति निरोगी, सामर्थ्यवान, वैभवशाली तथा कार्य को सही रूप से करने वाला बन जाता है ।
दिन में सूर्य नमस्कार कितनी बार करनी चाहिए?
शास्त्र तथा ज्योतिष के अनुसार, दिन में 13 मंत्रों द्वारा 13 बार सूर्य नमस्कार करनी चाहिए । ये मंत्र इस प्रकार हैं :
- “ॐ मित्राय नमः”
- “ॐ रवये नमः”
- “ॐ सूर्याय नमः”
- “ॐ भानवे नमः”
- “ॐ खगाय नमः”
- “ॐ पूष्णे नमः”
- “ॐ हिरण्यगर्भाय नमः”
- “ॐ मरीचये नमः”
- “ॐ आदित्याय नमः”
- “ॐ सवित्रे नमः”
- “ॐ अर्काय नमः”
- “ॐ भास्कराय नमः”
- “ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः”
कैसे करें – सूर्य नमस्कार :
सूर्य नमस्कार को विधिवत तरीके से करने के लिए” स्थित प्रार्थनासन”, “हस्तोत्तानासन” या अर्धचंद्रासन, “हस्तपादासन” या पादहस्तासन, “एकपाद प्रसरणासन”, “भूधरासन” या दंडासन, “साष्टांग प्रणिपात”, “सर्पासन” या भुजंगासन, “पर्वतासन”।
इसके पश्चात फिर से एकपाद प्रसारणासन (दूसरे पांव के द्वारा), हस्तपादासन, हस्तोत्तानासन करें और अंत में, पहले वाली स्थिति यानि “स्थितप्रार्थनासन” आदि 12-स्थितियों से गुजरनी पड़ती है।बारह स्थितियों के कारण ही “सूर्य नमस्कार” को “सर्वांग व्यायाम” भी कहा जाता है। सूर्य नमस्कार के साथ ही सूर्यदेव को जल चढ़ाना अति शुभ माना जाता है।
Frequently Asked Questions
1. सूर्य नमस्कार कब करनी चाहिए?
सूर्य नमस्कार प्रातःकाल अथवा ब्रह्म मुहूर्त में करें।
2. एक दिन में सूर्य नमस्कार कितनी बार करनी चाहिए?
एक दिन में सूर्य नमस्कार 13 बार करें।
3. सूर्य नमस्कार में कितनी स्थितियों से होकर गुजरनी पड़ती है?
सूर्य नमस्कार में 12 स्थितियों से होकर गुजरनी पड़ती है
4. शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की उत्पत्ति कहाँ से हुई है??
शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की उत्पत्ति “विराट पुरुष” के नेत्रों से हुई है ।
5. जन्म कुंडली में सूर्य कमजोर है – क्या करें?
सूर्य को मजबूत करने के लिए सूर्य नमस्कार करें।