स्वाति नक्षत्र का फल : पुरुष जातक तथा स्त्री जातक की विशेषताएं (Swati Nakshatra Ka Fal : Purush Jatak Tatha Stri Jatak Ki Vishestaye)
वैदिक ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्र है जिनमें से एक है “स्वाति नक्षत्र”(Swati Nakshatra)। इस नक्षत्र का विस्तार राशि चक्र में “186।40” से लेकर “200।00” अंश तक है। “त्रेत्रीय ब्राह्मण” के अनुसार “स्वाति” का एक अर्थ “निष्ट्य” भी है जिसका मतलब है “फेंक देना”। स्वाति नक्षत्र के और भी कई नाम है, इसे अरब में “अल गफर”, ग्रीक में इसे “अर्कटूरूस” तथा चीनी सियु मे इसे “कंग” भी कहा जाता है। स्वाति नक्षत्र दिखने में अंडाकार मूंगे के जैसी होती है।
स्वाति नक्षत्र एक शुभ, तामसिक तथा स्त्री नक्षत्र है । स्वाति का अर्थ है “तलवार” अथवा “स्वन्त्रता” – शुद्ध जल की बून्द या बारिश की पहली बून्द। स्वाति क्षत्र में एक पानी की बून्द मोती के रूप में परिवर्तित हो जाती है ।
- स्वाति नक्षत्र के देवता – वरुण
- स्वाति नक्षत्र स्वामी ग्रह – राहु
- स्वाति नक्षत्र राशि – तुला
- स्वाति नक्षत्र जाति – कृषक
- स्वाति नक्षत्र योनि – व्याघ्र
- स्वाति नक्षत्र योनि वैर – गौ
- स्वाति नक्षत्र गण – राक्षस
- स्वाति नक्षत्र दिशा – पश्चिम
- शुभ वर्ष (उम्र) – 25, 26, 27, 30, 36, 42
स्वाति नक्षत्र में चार चरणे होती है। जो इस प्रकार है :
1. स्वाति नक्षत्र प्रथम चरण :
स्वाति नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी “गुरु वृहस्पति” है तथा इस चरण पर गुरु, शुक्र और राहु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक लेखन का द्योतक तथा खुले विचारों वाले होते है। इस चरण के जातक अश्व मुखी, गौर वर्ण, बड़े नेत्रों वाले, सुन्दर दांत तथा लम्बे हाँथ-पाँव वाले यशस्वी होते है। ये मेघावी, असाधारण अध्यापक, रंगमंच कलाकार, सुखी दाम्पत्य जीवन जीने वाले होते है ।
2. स्वाति नक्षत्र द्वितीय चरण :
स्वाति नक्षत्र के द्वितीय चरण के स्वामी “शनि देव” है तथा इस चरण पर शनि, शुक्र तथा राहु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक वाणिज्य का द्योतक, भौतिकता, स्थिरता तथा विकासशील होते है। इस चरण के जातक के पतले दुर्बल कन्धे तथा भुजाएं होती है। इनके दांत टेढ़े होते है, नाक छोटी तथा मृग समान आँखें होती है। ये सदव्यवहारी तथा दुखी होते है। इनके झुकाव आध्यमिकता के तरफ होता है । ये व्यवसायिक, साधारण दाम्पत्य जीवन जीने वाले तथ अप्रगतिवान होते है ।
3. स्वाति नक्षत्र तृतीय चरण :
स्वाति नक्षत्र तृतीय चरण के स्वामी “शनि देव” है तथा इस चरण पर शनि, शुक्र तथा राहु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक लक्ष्य का द्योतक तथा सहयोग, सृजन, वृद्धि, करने वाले होते है। इस चरण के जातक के गंभीर नेत्र, रूखे घने बाल, चपटी नाक तथा आत्मा से स्थिर होते है। ये बहुत ही सरल ह्रदय के होते है। तीसरा चरण स्वाति नक्षत्र का सबसे अच्छा चरण है। ये आर्थिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से उन्नति करते है। इनमें सिखने की बहुत इच्छा होती है, बुद्धि से तेज तथा उम्र के 42 वर्ष बाद उन्नति करते है। इस चरण के लोगों का दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
4. स्वाति नक्षत्र चतुर्थ चरण :
स्वाति नक्षत्र के चतुर्थ चरण के स्वामी “गुरु वृहस्पति” है तथा इस चरण पर गुरु, शुक्र और राहु का प्रभाव ज्यादा रहता है। इस चरण के जातक निरंतरता का द्योतक तथा धैर्य, लचीले तथा प्रवीणतावान होते है। इस चरण के जातक गोरे रंग के, बड़े नेत्रों वाले, सुन्दर नाक तथा चमकदार नख वाले नीतिज्ञ, बहुत सारे विषयों का ज्ञाता होते है। ये बुद्धिमान लेकिन भावुकता से भरे, ऋण से परेशान, अत्यधिक परिश्रमी, सुखी दाम्पत्य जीवन जीने वाले होते है ।
स्वाति नक्षत्र सम्पूर्ण फलादेश :
स्वाति नक्षत्र के जातक अथवा जातिका विवेकशील, मेघावी, वफादार, नीतिवान, अपने उद्देश्यों के साथ कभी समझोता नही करने वाला, सुगम जीवन व्यतीत करने वाला होता है। ये अपनी की हुई गलती को जिंदगी में कभी नहीं दोहराते। ये शिक्षा तो उच्च की पा लेते है परन्तु जीवन में उन्नति काफी देर से ही पाते है। जातक अथवा जातिका का जीवन प्रेमपूर्ण तथा प्रणय से परिपूर्ण रहता है।
स्वाति नक्षत्र के जातक अथवा जातिका का शरीर गठीला, आकर्षक तथा इनके नाक-नक्श के वजह से विपरीत लिंग वाले इनके तरफ बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है। इनका दाम्पत्य जीवन खुशनुमा तथा सुखद होता है। ये अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद बफादार होते है। वृद्धावस्था के समय ये आध्यात्मिकता का मार्ग चुनते है।
स्वाति नक्षत्र के जातक की विशेषताएं :
1. इन्हें कला, संगीत ब्रह्म, अंतर्ज्ञान का पूरा ज्ञान होता है ।
2. स्वाति नक्षत्र के लोग युवा तथा तेज हवा के बहाव में झुकना भी जानते है।
3. इनमें प्रध्वंशात्मक शक्ति होती है ।
4. इन्हें धर्मशास्त्र तथा वेद का ज्ञान होता है ।
5. इनमें सृजनात्मक तथा विध्वंसात्मक शक्तियां भी होती है।
6. इन्हें आत्म नियंत्रण का ज्ञान होता है तथा इनमें वाकपटुता तथा करुणा भी भरी होती है ।
स्वाति नक्षत्र के पुरुष की विशेषताएं (Swati Nakshatra Male Characteristics In Hindi):
- इनके पाँव इनके घुटनों के निचे मुड़े रहते है, इनकी ऐड़ी बहुत सुन्दर होती है। इनका चेहरा और शरीर काफी आकर्षक होता है।
- स्वाति नक्षत्र के पुरुष जातक का बचपन समस्याओं से घिरा हुआ होता है ।
- स्वाति नक्षत्र के पुरुष जातक शांतिप्रिय स्वभाव के तथा स्वतंत्र होते है।
- स्वाति नक्षत्र के पुरुष जातक न तो दुसरो का धन हड़पना चाहते है ना ही अपना हड़पने देना चाहते है ।
- ये अपने कार्य तथा अपने प्रति निंदा नहीं सुन सकते, इन्हें गुस्सा होने पर शांत करना अति मुश्किल होता है।
- ये लोगों की मदद करते है तथा बहुत अच्छे दोस्त भी होते है पर दुश्मनी भी अच्छा निभाते है।
- ये 25 वर्ष की उम्र तक आर्थिक तथा मानसिक रूप से विपत्तियों का सामना करते है।
- इनके दाम्पत्य जीवन में बाधाएं आती है। बाहर से देखने पर इनका दाम्पत्य जीवन सुखद दीखता है पर वास्तविकता कुछ और होती है।
स्वाति नक्षत्र के स्त्री जातक की विशेषताएं (Swati Nakshatra Female Characteristics In Hindi):
- ये दिखने में बहुत आकर्षक होती है और इसलिए विपरीत लिंग के जातक इनके तरफ बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है ।
- इनकी चाल बहुत धीमी होती है इसके वजह से आसानी से पहचानी भी जाती है ।
- स्वाति नक्षत्र के स्त्री जातक दयालु, धर्म परायणी, सहानुभूति-पूर्ण तथा सदाचारी होती है।
- स्वाति नक्षत्र की जातिका समाज में उच्च पद प्राप्त करने वाली, धार्मिक रीती-रिवाजो का सही रूप से अनुशरण करने वाली तथा सत्यवादी होती है ।
- इनकी बहुत सारी सखी – सहेलियां होती है तथा ये शत्रु विनाशक होती है।
- स्वाति नक्षत्र की जातिका व्यवसाय या व्यापार नहीं करती और यदि ये करे, तो उसमे काफी विख्यात होती है ।
- स्वाति नक्षत्र की जातिका यात्रा करना पसंद नहीं करती है लेकिन भाग्य के कारण नौकरी के लिए इन्हें यात्राएं करनी ही पड़ती है ।
- इस नक्षत्र की जातिकाओं को कभी-कभी घर परिवार के वजह से सदाचार के विपरीत जाकर भी कार्य करने पड़ते है ।
Frequently Asked Questions
1. स्वाति नक्षत्र के देवता कौन है?
स्वाति नक्षत्र के देवता वरुण है ।
2. स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?
स्वाति नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है ।
3. स्वाति नक्षत्र के शुभ वर्ष (उम्र) कौन कौन से है?
स्वाति नक्षत्र के शुभ वर्ष (उम्र) – 25, 26, 27, 30, 36, 42 है।
4. स्वाति नक्षत्र की शुभ दिशा कौन सी है?
स्वाति नक्षत्र की शुभ दिशा पश्चिम है।
5. स्वाति नक्षत्र का कौन सा गण है?
स्वाति नक्षत्र का राक्षस गण है।