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जानिए तिलक में श्रेष्ठ गोपी चंदन के विषय में सब कुछ (Janiye Tilak Me Shrestha Gopi Chandan Ke Vishay Me Sab Kuch)

जानिए तिलक में श्रेष्ठ गोपी चंदन के विषय में सब कुछ (Janiye Tilak Me Shrestha Gopi Chandan Ke Vishay Me Sab Kuch)

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भारतीय सभ्यता व हमारी संस्कृति में तिलक का विशेष महत्व दिया गया है। हमारे सनातन धर्म में माथे पर तिलक लगाने को अनिवार्य बताया गया है और बिना तिलक लगाए हुए मनुष्य का चेहरा देखने को भी वर्जित बताया गया है। हमारे ऋषि मुनि व हमारे शास्त्र भी यही कहते हैं कि व्यक्ति को किसी न किसी प्रकार का टीका जरूर लगाना चाहिए। आज के युग में मनुष्य तिलक लगाते ही नहीं है और जो लोग लगाते है वो बिना किसी तौर तरीके के तिलक को लगाते है। वास्तविकता में आज की पीढ़ी को तिलक का महत्व पता ही नही है। यदि आप इस तिलक के विषय में पूरी जानकारी चाहते है तो आप यह लेख ध्यान से पढ़िए। वैसे तो तिलक के लिए कुमकुम, हल्दी, केसर, रोली, चंदन, भभूत आदि का उपयोग करना शुभ होता है लेकिन आज हम आपको गोपी चंदन के तिलक के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

क्या है गोपी चंदन?

गोपी चंदन एक प्रकार का चंदन है जो कि द्वारका के पास स्थित गोपी सरोवर की रज से बनता है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व दिया गया है और ब्राह्मणों में इसको परम् पवित्र माना गया है। ऐसा कहा गया है कि श्री कृष्ण ने गोपियों की भक्ति से खुश होकर द्वारका के पास  गोपी सरोवर का निर्माण किया था। इस सरोवर की खासियत थी कि इसमें स्नान करने से सदैव सुंदर होने का वरदान प्राप्त होता था। यही कारण है कि हमारे पूर्वज इसका तिलक अपने माथे पर लगते थे ताकि माथे पर तेज बना रहे।

गोपी चन्दन से जुड़ी पौराणिक कथा :

सनातन धर्म मे हर वस्तु, परंपरा, पर्व, रीति रिवाज से जुड़ी पौराणिक कथाओं का उल्लेख है। गोपी चन्दन से भी एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। जैसा कि हमने आपको बताया कि भारतीय सनातन संस्कृति में हर वस्तु, परंपरा, पर्व, रीति रिवाज का आधार व महत्व होता है। आज भले ही मनुष्य तिलक के महत्व के बारे में न जानता हो लेकिन इस कथा को पढ़ने के बाद उसे इसके महत्व के बारे में अवश्य पता चल जाएगा।

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पौराणिक कथा :

एक राजा था जो कि बहुत निर्दयी व कठोर था। सभी लोग उससे दुखी व थे फिर चाहे उसके राज्य के लोग हो या आसपास के राज्यों के राजा। उसके पड़ोस के राजा कई बार सोचते थे कि यदि इस राजा को मार दिया जाए तो आसपास के पूरे छेत्र में शांति व समृद्धि आ जायेगी व उस राज्य के साथ साथ पूरे क्षेत्र की लगभग सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी जिससे विकास को गति मिलेगी। लेकिन उस राजा के पराक्रम से सभी लोग परिचित थे और जानते थे कि युद्ध में उसको पराजित कर पाना असंभव है। अब जब बल से किसी को पराजित न कर सको तो बुद्धि या षड्यंत्र से ही पराजित किया जा सकता है। तो बस एक पड़ोसी राज्य के राजा ने उस दुराचारी राजा को मारने का षड्यंत्र बनाया और अपने गुप्तचरों को उस राजा के पीछे लग दिया। गुप्तचरों ने उस राजा की दिनचर्या की संपुर्ण जानकारी अपने राजा तो दी और जानकारी लेने के बाद पड़ोसी राज्य के राजा ने ये आदेश दिया कि जब वह दुराचारी राजा संध्या में वन विहार को जाए तब उसे मार दिया जाए। पड़ोसी राज्य के राजा के आदेशानुसार सैनिकों ने संध्या काल मे वन विहार करने आये उस दुराचारी राजा की हत्या कर दी।सैनिकों ने घुड़सवारी करते हुए राजा पर हमला कर दिया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इस हमले से उसका सिर दूर जाकर गिरा। जिस स्थान पर राजा पर हमला हुआ उसी के पास एक ऋषि अपने मस्तक पर गोपी चंदन का तिलक लगा रहे थे। तिलक लगाते वक्त गोपी चंदन की कुछ बूंदें धरती पर गिर गई। अब जिस जगह वह गोपी चंदन की बूँदें गिरीं उसी जगह उस राजा का सिर आकर गिरा जिससे राजा के सिर पर गोपी चंदन लग गया। मृत्यु के बाद राजा को यमराज के पास ले जाया गया जहाँ उसके द्वारा किये गए कर्मों का हिसाब किताब हुआ। अब राजा तो ठहरा दुराचारी इसलिए उसने एक भी पुण्य का कार्य नहीं किया था जिसके कारण उसे कुम्भीपाक नरक में डाला गया। आपने नरक के बारे में तो सुना ही होगा और नरक में खौलते तेल में आत्मा को डाले जाने के बारे में सभी ने सुना होगा। तो यह सब कुम्भीपाक नरक में ही होता है। इसे सबसे खतरनाक और पीड़ादायक नरक भी कहा जाता है। अब जैसे ही उस पापी राजा की आत्मा को खौलते तेल में डाला गया वैसे ही भट्टी की अग्नि पूरी तरह से शांत हो गयी और तेल भी ऊष्मा विहीन हो गया। इस चमत्कार को देखकर सब चकित हो गए। जैसे ही इस घटना की जानकारी धर्मराज को दी गयी वह हैरत व सोच में पड़ गए। उनके अंदर इस प्रकरण को लेकर उत्सुकता व कई सारे प्रश्न उत्पन्न हुए। उनकी उत्सुकता व प्रश्नों को दूर करने ले लिए नारद जी प्रकट हुए।धर्मराज ने नारदजी को पूरी घटना की जानकारी दी जिसके बाद नारद जी ने अपनी दृष्टि से उस पूरे प्रकरण को देखा और फिर उन्होंने सबको यह जानकारी दी कि इस चमत्कार की वजह गोपी चंदन है। अंतिम समय में राजा के माथे पर गोपी चंदन लग गया था और इसके प्रभाव से ही भट्टी की अग्नि शांत हुई है।

नारदजी द्वारा पूरी जानकारी सुनने के बाद वहां उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित व प्रसन्न हुए तथा पूरे य। लोक में श्री हरि की जय जयकार होने लगी।इसके बाद से ही हमारे समाज में गोपी चंदन का विशेष महत्व दिया गया है तथा इसके तिलक को सबसे उत्तम भी बताया गया है।

वैज्ञानिक दृष्टि से तिलक का महत्व :

तिलक का मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले ये आपको अपनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े रखता है। इसके प्रभाव को आधुनिक विज्ञान भी मान चुका है। जिस जगह तिलक लगाया जाता है यानी दोनों भौहों के बीच, वहां एक ऐसा बिंदु है जो कि पूरे शरीर खासकर चेहरे पर रक्त के बेहतर प्रभाव को सुनिश्चित करता है।

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Frequently Asked Questions

1. गोपी चन्दन क्या होता है ?

गोपी चंदन एक प्रकार का चंदन है जो कि द्वारका के पास स्थित गोपी सरोवर की रज से बनता है।

2. क्या गोपी चन्दन का तिलक लगाना शुभ है ?

जी हाँ, गोपी चन्दन का तिलक लगाना शुभ है।वें भाव में बृहस्पति और चंद्रमा है तो आयु लम्बी होती है।

3. गोपी सरोवर का निर्माण किसने करवाया था ?

श्री कृष्ण ने गोपियों की भक्ति से खुश होकर द्वारका के पास  गोपी सरोवर का निर्माण किया था।

4. गोपी चन्दन का तिलक लगाने से क्या होता है ?

गोपी चन्दन का तिलक लगाने से माथे पर तेज बना।