जानें तिलक के प्रकार, प्रभाव और लाभ (Jane Tilak Ke Prakar, Prabhav Aur Labh)
भारत की सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक और इसमें न जाने कितने ही रीति रिवाज, परंपराएं, सांस्कृतिक मान्यताएं आदि शामिल है। शायद यही कारण है कि भारत को परम्पराओं और रीति रिवाजों का भी देश कहा जाता है और यही हमारी सांस्कृतिक विरासत व पहचान भी है। जैसा की हमने आपको बताया की भारत की संस्कृति में जाने कितनी परंपराएं व रीति रिवाज हैं लेकिन आज हम लोग एक विशेष परंपरा या यूँ कहें की एक विशेष रीति के बारे में आपको बताएंगे। आज हम आपको तिलक के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।
तिलक हमारी भारतीय संस्कृति में एक विशेष महत्व रखता है और यह एक ऐसी परंपरा है जो की सदियों से चली आ रही है। हमारे शास्त्रों में तो तिलक हीन व्यक्ति के दर्शन पर भी आपत्ति जताई गयी है।
क्या होता है तिलक?
तिलक एक विशेष प्रकार का चिन्ह होता है जिसे आमतौर पर किसी भी शुभ कार्य करने से पहले अपने माथे पर लगाया जाता है। हालांकि, यह बात आधा सच है क्योंकि हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज प्रतिदिन स्नान के बाद तिलक लगाते थे और हमारे शास्त्रों में भी इसको प्रतिदिन लगाने का वर्णन किया गया है। इसका सीधा सम्बन्ध इस बात से भी है कि मनुष्य प्रतिदिन पूजा तो करता ही है और बिना तिलक के पूजा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। अब चूंकि आप प्रतिदिन पूजा करते हैं तो आपको प्रतिदिन तिलक लगाना ही पड़ेगा। यही कारण है की हमारे पूर्वज व हमारे शास्त्र दोनों ही प्रतिदिन तिलक लगाने की सलाह देते हैं।
तिलक लगाने का सही बिंदु :
इस बात का तो हर व्यक्ति को ज्ञान होगा कि तिलक माथे पर लगाया जाता है लेकिन वास्तव में इसे लगाने का उचित स्थान क्या है और यह बहुत कम लोगों को ही पता है। वास्तविकता तो यह है कि तिलक को सदैव दोनों भौहों के बीच आज्ञा चक्र पर स्थित भ्रुकुटी पर लगाया जाता है और यहां तिलक लगाने का भी विशेष महत्व है। इस स्थान को हमारे शरीर का चेतना केंद्र कहते हैं यानी इसका सीधा प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर पड़ता है। जैसे ही यह बिंदु दबता है हमारे शरीर में एक नई प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है और हमारे अवचेतन मन को शांति मिलती है।
तिलक के लिए सर्वोच्च सामग्री :
तिलक लगाने का ये मतलब नहीं है कि किसी भी प्रकार की सामग्री का तिलक लगा लिया जाए। शास्त्रों में प्रमुख तौर पर 4 वस्तुओं से तिलक लगाने की बात कही गयी है।
- केसर और हल्दी :
आज के समय में केसर व हल्दी का तिलक सबसे ज्यादा प्रचलित है। किसी भी प्रकार के काम की शुरुआत में जैसे की – हवन व पूजन में, यात्रा के लिए निकलते समय, आदि स्थितियों में हल्दी व केसर का तिलक लगाया जाता है। किसी भी कार्य को मंगल व सफल बनाने में इसका बहुत महत्व है।
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- सिंदूर :
सिंदूर का महत्व तो हम सभी जानते हैं खासकर की महिलाएं। सिंदूर देवी माता अर्थात शक्ति का प्रतीक है। आम तौर पर महिलाएं इसे लगाती हैं। देवी देवताओं को इसका तिलक लगाया जाता है और बिना सिंदूर के तिलक के देवी देवताओं की पूजा अधूरी मानी जाती है।
- चन्दन :
चंदन का हिन्दू रीति रिवाजों व हमारी धार्मिक संस्कृति में बहुत महत्व है। शीतलता के मामले में चंदन का कोई मुकाबला नहीं। चंदन का तिलक हमारे मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है साथ ही इसकी सुगंध से मन प्रफुल्लित रहता है।
- भभूत :
भभूत का नाम आते ही समझ गए होंगे कि इसका संबंध शिव जी से है। इसका तिलक लगाने से मन शांत होता है साथ ही यह हमारे मन और मस्तिष्क को स्थिर बनाता है। शिव जी की भांति यह हमारे भीतर वैराग्य भाव जगाता है।
तिलक लगाने के उद्देश्य :
वैसे तो, तिलक बिना किसी उद्देश्य के भी लगाया जाता है लेकिन कई बार किसी विशेष उद्देश्य के लिए तिलक को लगाया जाता। तो आइये जानते हैं तिलक लगाने के उद्देश्य के बारे में :
- सुख समृद्धि के लिए :
तिलक को सुख व समृद्धि के लिए भी लगाया जाता है।जैसा की हमने आपको बताया कि तिलक शुभता का प्रतीक होता है इसलिए फिर चाहे आप नौकरी के लिए जा रहे हो, परीक्षा देने जा रहे हो या किसी और विशेष काम के लिए – तिलक आपको उस कार्य में सफलता दिलाता है जिससे जीवन में सुख व समृद्धि आती है। इसके लिए तिलक अंगूठे से लगाया जाता है।
- शांति के लिए :
तिलक को जीवन में शांति और संतोष लाने के लिए भी लगाया जाता है। आपको ऊपर हमने बताया की चंदन व भभूत आदि का तिलक लगाने से जीवन व मन में शांति आती है तथा मन को स्थिर रखने में भी मदद मिलती है। इस उद्देश्य के लिए तिलक तर्जनी उंगली से लगाया जाता है।
- आशीर्वाद के लिए :
माता पिता, शिक्षक यहां तक की भगवान का आशीर्वाद भी तिलक के माध्यम से दिया जाता है। यह टीका मध्यमा उंगली से लगाया जाता है। ऐसा करने का कारण यह है की हिन्दू शास्त्रों में मध्यमा उंगली में शनि ग्रह का वास माना जाता है।
तिलक का प्रभाव :
तिलक का मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले ये आपको अपनी संस्कृति और परम्पराओं से जुड़े रखता है। इसके प्रभाव को आधुनिक विज्ञान भी मान चुका है। जिस जगह तिलक लगाया जाता है यानी दोनों भौहों के बीच, वहां एक ऐसा बिंदु है जो कि पूरे शरीर खासकर चेहरे पर रक्त के बेहतर प्रभाव को सुनिश्चित करता है। तिलक लगाते समय कुछ विशेष बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए जैसे तिलक की सामग्री, तिलक लगाने के लिए उंगली, संकल्प आदि। तिलक लगाते समय सकारात्मक विचार रखने चाहिए साथ ही एक बेहतर सोच और संकल्प शक्ति भी रखनी चाहिए तभी इसका पूरा लाभ मिलेगा।
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Frequently Asked Questions
1. हिन्दू धर्म में तिलक लगाना शुभ है या अशुभ ?
हिन्दू धर्म में तिलक लगाना शुभ है।
2. नौकरी पर जाने के लिए किस ऊँगली से तिलक करना चाहिए ?
नौकरी पर जाने के लिए अंगूठे से तिलक करना चाहिए।
3. क्या केसर और हल्दी का तिलक लगाना शुभ है ?
जी हाँ, केसर और हल्दी का तिलक लगाना शुभ है।
4. तिलक को कहाँ पर लगाना चाहिए ?
तिलक को सदैव दोनों भौहों के बीच आज्ञा चक्र पर स्थित भ्रुकुटी पर लगाया जाता है i