श्री विद्यासागर महाराज की आरती | Shri Vidhya Sagar Ji Maharaj Aarti | Free PDF Download
विद्यासागर की गुण आगर की शुभ मंगल दीप सजायके |
मैं आज उतारूं आरतिया…. मैं आज उतारूं आरतिया ||1||
मलप्पा श्री श्रीमती के गर्भ विषै गुरु आये-2
ग्राम सदलगा जनम लियो है सब जन मंगल गायें |
गुरु जी सब जन मंगल गाये
न रागी की, न द्वेषी की, शुभ मंगल दीप सजायके
मैं आज उतारूं आरतिया ||2||
गुरुवर पंच महाव्रत धारी, आतम ब्रम्ह बिहारी |
खड्गधार शिवपथ पर चलकर, शिथिलाचार निवारी ||
गुरु जी शिथिलाचार निवारी
गृह त्यागी की, ले दीप सुमन का थाल रे
मैं आज उतारूं आरतिया ||3||
गुरुवर आज नयन से लखकर, आलौकिक सुख पाया |
भाव भक्ति से आरती करके, फूला नहीं समाया ||
गुरु जी फूला नहीं समाया
ऐसे मुनिवर की, ऐसे ऋषिवर की, हो वन्दन बारम्बार हो |
मैं आज उतारूं आरतिया ||4||
विद्यासागर की गुण आगर की शुभ मंगल दीप सजायके |
मैं आज उतारूं आरतिया…. मैं आज उतारूं आरतिया…